Saturday, September 24, 2011

'युवा रचनाधर्मिता - हिंदी कहानी' पर एक विचारोत्तेजक सभा का आमंत्रण


निमंत्रण 
'अंजना - एक विचार मंच'
द्वारा
'युवा रचनाधर्मिता - हिंदी कहानी'पर एक विचारोत्तेजक सभा
(आज के युवा कथाकार की हिंदी कहानी पर एक महत्वपूर्ण चर्चा )
मुख्य अतिथि - मैत्रेयी पुष्पा,
विशिष्ट अतिथि - कमल कुमार, 
प्रेम भारद्वाज, मनीषा कुलश्रेष्ठ, अनुज व दिनेश कुमार विशिष्ट वक्ता होंगे.


इस सभा में कुछ युवा साहित्यकारों को 'डॉ अंजना सहजवाला साहित्य सम्मान' भी दिया जाएगा. 


सभा के अंत में उपस्थित श्रोता विषय से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठा सकेंगे.
कार्यक्रम दि. 24 सितम्बर 2011, समय - सायं 5 बजे से
स्थान - हिंदी भवन, विष्णु दिगंबर मार्ग, दिल्ली (निकट तिलक ब्रिज)


इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आप अवश्य उपस्थित हों.

Monday, September 5, 2011

कवि उद्भ्रांत को भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार

भोपाल: विगत 25 अगस्त, 2011 को भारत भवन सभागार में मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद की साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित
एक भव्य समारोह में वरिष्ठ हिंदी कवि श्री उद्भ्रांत को उनकी लम्बी कविता ‘अनाद्यसूक्त’ के लिए अकादमी का वर्ष 2008 का अखिल भारतीय भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार प्रदान किया गया। ‘पूर्वग्रह’ के 123वें अंक में संपूर्ण प्रकाशित होकर पहले ही चर्चा में आई इस लम्बी कविता को कवि ने नौ स्पंदों में विभक्त किया है। अकादमी द्वारा प्रकाशित अलंकरण समारोह की पुस्तिका में कहा गया है कि कवि ने ‘‘नासदीय सूक्त की परंपरा में नए प्रयोग कर सृष्टि के उन्मेष और रहस्य को जानने के लिए वैदिक और तांत्रिक जानकारी का उपयोग किया है। ऐसी भावभूमि वैदिक और औपनिषद् काव्य के बाद कुछ निर्गुणीय कवियों में ही दिखाई देती है। अनाद्यसूक्त में एक शब्दीय पंक्ति का उपयोग कर उसके भीतर समाहित दार्शनिक अर्थों का संप्रेषण, कवि के सोच को अर्थवान बनाता है।’’

इसके अतिरिक्त निबंध संग्रह ‘विवेचना के सुर’ के लिए प्रो. शरद नारायण खरे (मंडला) को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, ‘एक अचानक शाम’ पर कहानी के लिए मनमोहन सरल (मुम्बई) को मुक्तिबोध पुरस्कार, उपन्यास ‘काहे री नलिनी’ के लिए उषा यादव (आगरा) को वीरसिंह देव पुरस्कार और आलोचना पुस्तक ‘गांधी: पत्रकारिता के प्रतिमान’ के लिए डॉ. कमलकिशोर गोयनका (दिल्ली) को आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार से भी अलंकृत किया गया।

सभी पुरस्कृत रचनाकारों को नारियल, शॉल, सम्मान-पत्र के साथ इक्यावन हज़ार रुपये की धनराशि उत्तर प्रदेश की संस्कृति मंत्री माननीय श्री लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा प्रदान की गयी।

Saturday, September 3, 2011

डॉ. श्याम सखा 'श्याम' बने हरियाणा साहित्य अकादमी के नये निदेशक



प्रख्यात साहित्यकार डॉ. श्याम सखा 'श्याम' को हरियाणा साहित्य अकादमी की कमान सौंपी गई है। डॉ. श्याम ने बृहस्पतिवार, 1 सितम्बर 2011 को अकादमी के निदेशक के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया है। अकादमी के पंडित लख्मीचंद सम्मान से सम्मानित डॉ. श्याम सखा 'श्याम' अब तक विभिन्न भाषाओं में 18 पुस्तकों की रचना कर चुके हैं।

डॉ. श्याम को हिंदी एवं हरियाणवी की तीन पुस्तकों पर अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। हिंदी कहानी प्रतियोगिता के अंतर्गत अकादमी द्वारा उनकी चार कहानियां पुरस्कृत हो चुकी है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. 'श्याम' जाने-माने चिकित्सक भी हैं। ऑल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हरियाणा इकाई के दो वर्ष तक प्रधान रह चुके हैं और एसोसिएशन के आजीवन मानद संरक्षक भी हैं। चार भाषाओं में सृजनरत डॉ. श्याम सखा 'श्याम' ने साहित्यक पत्रिका 'मसिकागद' का 11 वर्ष तक संपादन किया है। डॉ श्याम की चर्चित कृतियों में अकथ, समझणिये की मर तथा कोई फायदा नहीं, महात्मा, एक टुकड़ा, दर्द, घनी गई थोड़ी रही, नाविक के तीर सम्मिलित हैं। पंजाबी भाषा में भी डॉ. श्याम की 'अश्लील' व 'अखीरला बयान' रचनाएं चर्चित रही है। हाल ही में श्याम ने एक अंग्रेजी उपन्यास को पूरा किया है जो प्रकाशाधीन है।

साहित्य तथा चिकित्सा दोनों क्षेत्रों में डॉ. श्याम सखा 'श्याम' अनेक ख्याति प्राप्त संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं। हरियाणवी भाषा की उनकी रचनाएं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं। इनकी अनेक कहानियों का तमिल, तेलगू, बंगला व उड़िया में अनुवाद हो चुका है। उन्हें हिंदी विद्या रत्न भारती सम्मान आइएमए हरियाणा का स्टेट एक्सीलेंस अवार्ड 2008, हिंदी विद्यारत्न भारती सम्मान (छत्तीसगढ़) 2003, हिंदी रत्न सम्मान (मानव भारती शिक्षा समिति सांपला) 2002, साहित्य सेवी सम्मान (अ.भा. साहित्य सम्मेलन गाजियाबाद) 2003 से सम्मान मिल चुका है।

डॉ. श्याम सखा विगत 3 वर्षों से इंटरनेट पर भी साहित्य-सेवा कर रहे हैं और अपने निजी ब्लॉगों के अतिरिक्त तमाम साहित्यिक ई-पत्रिकाओं को अपना सृजनात्मक सहयोग दे रहे हैं। हिन्द-युग्म पर लम्बे समय से सक्रिय हैं और इसे हर प्रकार से मदद करते रहे हैं।