Thursday, February 25, 2010

चम्बल के लेखक का उपन्यास मुखबिर

ग्वालियर। पुस्तक मेला में पिछले दिनों चम्बल के लेखक राजनारायण बोहरे के उपन्यास ‘ मुखबिर’ का लोकार्पण हुआ। चम्बल घाटी हमेशा से इस बात के लिए कुख्यात रही है कि यहां डाकू ओैर पुलिस के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहता है। इस खेल को अंजाम देने का काम करते हैं मुखबिर! मुखबिर यानी कि खबर देने वाला-खबरिया। पुलिस हो या डाकू दोनों ही मुखबिर की बदौलत सफल या असफल होते हैं। चम्बल के कथाकार राजनारायण बोहरे का नया उपन्यास इन्ही मुखबिरों पर केन्द्रित है।

पिछले एक लम्बे अरसे से पुलिस को छकाता रहा डाकू रामबाबू गड़रिया और उसका नाटकीय अन्त ही इस कहानी की पृष्ठभूमि में मौजूद है, जिसमें जातिवादी राजनीति और पुलिसिया मानसिकता के साथ असली नकली मुठभेड़ों का पर्दाफास किया गया है।