Thursday, January 22, 2009

पहला भोजपुरी-मैथिली कवि सम्मेलन

कहते हैं उतरती हुई सर्दी गुलाबी हो जाती है और ऐसी सर्दी में जब पुरबिया माटी के लाल शब्दों के गुलाल से एक-दूसरे को रंगने अखाडें में उतर आयें तो फ़िर क्या कहिये! ऐसा ही कुछ नजारा था दिल्ली के श्रीराम सेंटर का जहाँ प्रथम भोजपुरी मैथिली कवि सम्मलेन में पुरबिया माटी की सोंधी खुशबू ने दिल्ली के खुश्क मिजाज को खालिस गंवई रंग से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम का विधिवत् आरम्भ होता इसके पहले दर्शकों का मन बहलाने मंच पर आए मशहूर भोजपुरी गायक गजाधर ठाकुर ने जब ''गोरिया चाँद के अंजोरिया नियर गोर बाडू हो, तोहार जोड़ा केहू नईखे तू बेजोड़ बाडू हो' छेड़ी तो उपस्थित पुरुषों का मन बरबस मचल उठा। माहौल की रूमानियत बढ़ ही रही थी की 'बेसी बोलबा ता धयिके हो रजवु चीर देयिब' ने माहौल को देशभक्ति के जज्बे से भर दिया।

इसके बाद सुधांशु बहुगुडा की टीम ने अपनी प्रस्तुतियों से संगीत का मायाजाल बुनना शुरू ही किया था कि दिल्ली सरकार की भाषा मंत्री किरण वालिया का आगमन हो गया। उन्होंने दीप प्रज्जवलन कर कवि सम्मलेन का शुभारम्भ किया।

सबसे पहले बारी आई डाक्टर चंद्र देव यादव की जिन्होंने 'गाँवपुर के बस इहे निशानी, छाता के बस बचल कमानी' से गांवों की व्यथा व्यक्त की।
इसके बाद मिथिला की झलक पेश करने आए रमन सिंह ने 'ओल्ड होम में वृद्ध' कविता से वृद्धों के दर्द को मुखरित किया।

माहौल बिल्कुल तनावपूर्ण हो चला था कि संचालक डाक्टर रमाशंकर श्रीवास्तव ने मनोज "भावुक" को आवाज दी, भावुक के आते ही मंच की रंगत ही बदल गई। अपनी रंग-बिरंगी रचनाओं से उन्होंने एकबार फिर मंच को गति प्रदान करते हुए 'आम मउरल बा जिया गंध से पागल बाटे, ऐ सखी-ऐ सखी भावुक के बुलावल जाए' और 'अबकी गणतंत्र दिवस अईसे मनावल जाए, आग के राग दुश्मन के सुनावल जाए' सुनाया। इसके बाद मैथिली की कामनी कामायनी ने 'विस्थापित लोग' के माध्यम से दर्शकों की वाहवाही लूटी तो नहले पे दहला मारते हुए भोजपुरी कवयित्री अल्का सिन्हा ने 'करवा चौथ' कविता से पुरुषों और स्त्रियों दोनों को सोंचने पर मजबूर कर दिया।

तुरन्ता की परम्परा का निर्वाह करते हुए रविन्द्र लाल दास ने 'हमर गाँव', 'रोटी' और 'बाद्हिक असली फायदा' जैसी क्षणिकाओं से आधुनिक समाज पर करारा व्यंग्य किया। मैथिल कवि रविन्द्र नाथ ठाकुर ने 'छंद मधुर, भाव मधुर, मॉस मधुर गीतक' से महफ़िल को मिठास से भर दिया तो मैथिल सम्राट गंगेश गुंजन ने 'हम मरिजाब' से श्रोताओं को आँखे मींचने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा शत्रुघ्न कुमार, सारण कुमार आदि ने भी काव्य पाठ किया।

अंत में सम्मलेन की अध्यक्षता कर रहे डाक्टर नित्यानंद तिवारी ने सभी कविताओं की समीक्षा करते हुए कहा कि 'कविता के मतलब सिर्फ़ आस्वाद रूचि के पोषण कईल न ह, कविता ता उ हा, जवन दिक् करे.'

कुछ और तस्वीरें-




दिल्ली से आलोक सिंह 'साहिल'

कु. ईशिता मधुसुदन शर्मा पुरस्कृत


रविवार १८ जनवरी, २००९ को महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा, पुणे एवं गुजरात हिन्दी प्रचार समिति, अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में ४७वीं अन्तर राज्यीय "महाराष्ट्र-गुजरात संयुक्त हिन्दी वक्तृत्व स्पर्धा" का आयोजन गुजरात के डाकोर स्थित उत्तर बुनियादी विद्यालय में किया गया। इस अवसर पर एस. बी. ओ. ए. पब्लिक स्कूल, औरंगाबाद के आठवीं की छात्रा कु. ईशिता मधुसुदन शर्मा को दूसरे विभाग (कक्षा ८वीं व ९वीं) में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रमुख अतिथि श्री राजेन्द्र भाई सिमानी (कुल सचिव गुजरात विद्यापीठ ), विनोद भाई सुखाडिया (सामाजिक कार्यकर्ता ), डॉ. चम्पक लाल मोदी (निवृत्त प्राध्यापक, बी.एड. कालेज), लल्लू भाई पटेल (संयोजक ,गुजरात हिन्दी प्रचार समिति ) की उपस्थिति में पुरस्कार के रूप में प्रमाण पत्र, स्मृति चिह्न,चांदी का सिक्का व नगद प्रदान किए गए। विद्यालय की मुख्याध्यापिकाएं श्रीमती सुरेखा माने, श्रीमती अर्चना फडके, मार्ग दर्शक शिक्षिका श्रीमती सुनीता प्रेम यादव तथा अन्य शिक्षिका गण सुयश की कामना करते हुए ईशिता मधुसूदन शर्मा की सफलता पर बधाई दी।

Wednesday, January 21, 2009

सुनीता प्रेम यादव भाषा भूषण पुरस्कार से सम्मानित

रविवार १८ जनवरी, २००९ को राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार परिषद, सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र (अखिल भारातीय हिन्दी प्रचार सभा) की ओर से कैलाशवासी यशवंत राव चौहान सभा गृह, जिला परिषद, नांदेड़ में 'राज्यस्तरीय हिन्दी प्रचार सम्मलेन -२००९" का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर एस.बी.ओ.ए. पब्लिक स्कूल, औरंगाबाद की हिन्दी शिक्षिका तथा हिन्द-युग्म के बाल-उद्यान की गतिविधि प्रमुख सुनीता प्रेम यादव को कैलाशवासी द्रोपदी नारायण तारी की स्मृति में 'राज्यस्तरीय भाषा भूषण पुरस्कार' (२००८ के लिए) से सम्मानित किया गया। अध्यक्ष श्री प्रोफेसर जोगेंद्र सिंह विसेन ( हिन्दी विभाग, नाथोत्तर दयानंद कला महाविद्यालय), उद्घाटक श्री वसंत राव बलवंत राव चौहान (पु.आमदार ), मुख्य अतिथि श्री कैलाश जाधव (अध्यक्ष केन्द्रीय प्रचार समिति ), संभाजी काम्बले (मुंबई हिन्दी विद्यापीठ,संपर्क प्रमुख ) की उपस्थिति में यह समारोह सम्पन्न हुआ। विद्यालय की ओर से मुख्याध्यापिका श्रीमती सुरेखा माने, अर्चना फडके व अन्य शुभेच्छुगण उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करते हुए बधाई दी।

हमारी भी बधाइयाँ।

Friday, January 16, 2009

नये साल की पहली आनंदम गोष्ठी

इस गोष्ठी को यहाँ सुना भी जा सकता है।


भूपेन्द्र कुमार और प्रेमचंद सहजवाला

'आनंदम' संस्था की नव वर्ष गोष्ठी 11 जनवरी 2009 को संस्था के संस्थापक जगदीश रावतानी के निवास पश्चिम विहार में आयोजित की गई। गोष्ठी में मुनव्वर सरहदी, ज़फर देहलवी, जगदीश रावतानी, पी के स्वामी, मनमोहन तालिब, डॉ रेखा व्यास, रमेश सिद्धार्थ, साक्षात भसीन, प्रेमचंद सहजवाला, राम निवास इंडिया, पंडित प्रेम बरेलवी, आशीष सिन्हा 'कासिद', जितेंदर प्रीतम, रविन्द्र शर्मा रवि, भूपेन्द्र कुमार, डॉ. सत्यपाल चबर, कैसर अजिग, सुरेंदर पम्मी व सपना संजीव दत्त ने हिस्सा लिया। गोष्ठी का संचालन भूपेंद्र ने किया तथा प्रारम्भ में प्रेमचंद सहजवाला ने आगंतुक कवियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि कविता 'अभिव्यक्ति की उत्कट इच्छा' से ही पनपती है। अपने कॉलेज के दिनों का एक रोचक उदहारण देते हुए उन्होंने बताया कि तब तो अक्सर कुल्फी वाले के बक्से पर भी एक शेर लिखा रहता:

बन जाते हैं सब रिश्तेदार जब ज़र पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में जो रिश्ता ख़ास होता है.


गोष्ठी में जर्फ़ देहलवी ने अपनी गज़लों से वाह-वाह की धूम मचा दी। उनके दो दिलचस्प शेर थे:

कुछ के जैसा मैं हूँ और कुछ मेरे जैसे हैं यहाँ,
किस को अपना मैं कहूं और किस को बेगाना कहूं।

कुछ मुझे वो और कुछ मैं उस को देता हूँ फरेब,
उसको दीवाना कहूं या ख़ुद को दीवाना कहूं।


रविन्द्र शर्मा 'रवि' हमेशा की तरह सशक्त गज़लों के साथ उपस्थित थे। बिछडे हुए साथियों की प्रतीक्षा में रत लोगों की स्थिति का एक अंदाजे-बयान:

हवा चुपचाप अपना काम करके जा चुकी होगी
सभी इल्ज़ाम चिंगारी के जिम्मे हो गए होंगे
शजर की मौत का इस शहर में मतलब नहीं कोई
बहुत होगा तो आकर कुछ परिंदे रो गए होंगे


जगदीश रावतानी की कविता राजनीती पर एक करारा प्रहार थी:

राजनीति और कूटनीति ने अपदस्थ कर सबको / विचारों से बना दिया भिखारी / दुर्भाग्य, इन्सान से बदल कर आदमी हुआ मराठी या बिहारी

सहजवाला ने अपनी ग़ज़ल के एक शेर में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के मद्दे-नज़र पूरे सिस्टम पर प्रहार किया:

साज़िश से बेखबर थे, सब शहर के मसीहा
घर जल गया तो सारे निकले कुएं बनाने।


मुनव्वर सरहदी हमेशा की तरह सदाबहार रहे और अपने हास्य शेरों से सब के बेतहाशा हंसा कर माहौल को तनाव-मुक्त कर दिया।

ग़ज़ल, ग़ज़ल है मुहब्बत की आरती के लिए
ये शेर फूल है पूजा की तश्तरी के लिए।
क़रीब आती हैं कालेज की जब हसीनाएँ
मैं अपने इश्क़ का सिक्का उछाल लेता हूँ।
ख़ुदा का शुक्र है सब हिन्दी पढ़ने वाली हैं
मै उर्दू बोल कर हसरत निकाल लेता हूँ।


अंत में जगदीश रावतानी ने सभी कवियों का हार्दिक धन्यवाद किया व गोष्ठी सम्पन्न हुई।


जगदीश रावतानी

गोष्ठी में पढ़े गये कुछ और ग़ज़लों/कविताओं के अंश-

सर्वश्री ज़र्फ़ -

एक शीरीं आलमे एहसासे मयख़ाना कहूँ
ज़िंदगी को मैं हक़ीक़त या कि अफ़साना कहूँ
है जहाँ में दरमियाँ ख़ुशियों के ग़म का मसविदा
मैं इसे बज़्मे मसर्रत या कि ग़मख़ाना कहूँ


जितेन्द्र प्रीतम -

तुम्हारी गली में मैं आता रहूँगा
में गाता रहा हूँ मैं गाता रहूँगा


प्रेमचन्द सहजवाला -

दुनिया में आए थे जो तारीख़ को बनाने
अब गुमशुदा हैं लोगों उनके पते ठिकाने
साजिश से बेख़बर थे सब शहर के मसीहा
घर जल गया तो सारे निकले कुएँ बनाने


पी.के. स्वामी -

क़रीब होती है उनकी मंज़िल, जो तेरे ग़म में समा रहे हैं
जो दूर होते हैं ख़ुद से अपने, क़रीब तेरे ही आ रहे हैं
रूह को जो ख़ुशी न पहुँचे तो क्या किया ज़िन्दगी में हमने
जो बाँटते हैं सुरूर पै हम वो लुत्फ़े मय वो ही पा रहे हैं


रमेश सिद्धार्थ (रेवाड़ी से)-

रात भर आँखें तरसीं सपन के लिए
जैसे तरसे है बेवा सपन के लिए


क़ैसर -

दिलों में हमको निहाँ मिलेगा
यहाँ नहीं तो वहाँ मिलेगा
सजदे में जा कर तो देखो
सुकून वहाँ कितना मिलेगा


डॉ. रेखा व्यास -

शाम ढलने लगी, घर को चलने लगी
रात बाघिन सी हमको छलने लगी
खेत खलिहान मैदान ताल तलैया
भोर सूरज के संग में मचलने लगी
गीत ग़ज़लों का व्यास बढ़ा जब से ही
रेखा तू भी आग उगलने लगी


भूपेन्द्र कुमार -

सोना है जिसे आज भी सड़कों के किनारे
कैसे कहेगा वो नया साल मुबारक।

Wednesday, January 7, 2009

जिला-बीड़ महाराष्ट्र में हुआ चुनिंदा शिक्षक शिविर का आयोजन


इतवार, १४ दिसम्बर को महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा पुणे-औरंगाबाद विभाग द्वारा आयोजित बीड़ जिला चुनिन्दा हिन्दी अध्यापक कार्यकर्ताओं का एक दिवसीय शिविर श्रीमती गोदावरी कुंकुलोल योगेश्वरी कन्या विद्यालय, अम्बाजोगाई, जि. बीड़ में सम्पन्न हुआ। प्रारम्भ में प्रमुख अतिथि के हाथों दीप प्रज्ज्वलन एवं माँ सरस्वती के प्रतिमा को माल्यार्पण किया गया। स्वागत गीत के बाद शिविर का प्रस्ताविक श्री के. डी.शेटे (सचिव, हिन्दी विभाग प्रमुख, योगेश्वरी नूतन विद्यालय, बीड़) ने किया। स्वागत प्राचार्या श्रीमती आर. पी. देश पांडे ने किया। शिविर का उदघाटन करते हुए प्रमुख अतिथि प्राध्यापक डॉ . महेंद्र कुमार ठाकुर दास(विभाग प्रमुख,हिन्दी विभाग, कला व वाणिज्य महाविद्यालय, धारूर, जिला-बीड़) ने छात्रों को को सही दिशा देने में शिक्षकों की भूमिका के बारे में अपना मंतव्य व्यक्त किया। प्रमुख अतिथि श्री सुनीता यादव (औरंगाबाद विभागीय सदस्य व शिक्षिका, एस. बी. ओ. ए. पब्लिक स्कूल, औरंगाबाद) ने विद्यार्थियों की आतंरिक कला को उभारने में एक शिक्षक की भूमिका क्या होना चाहिए, इस बारे में अपनी बात कही। हिन्द-युग्म की जानकारी देते हुए शिक्षकों को अंतरजाल की उपयोगिता छात्रों के लिए कितने फायदेमंद साबित हो सकती है इसकी भी जानकारी दी। अध्यक्षीय समारोप श्री गो .म. दाभोलकर (प्रसार शिक्षण प्रमुख ) ने किया। दूसरे सत्र में श्री गो .म. दाभोलकर जी ने कार्यकर्ताओं के विचार सुने एवं उनकी शंकाओं का समाधान किया व प्रचार सम्बन्धी जानकारी दी। औरंगाबाद के विभागीय सचिव श्री अनिल नरहरी जोशी जी के मार्ग दर्शन व सह कार्यकर्ता श्री संतोष वेरुलकर जी व अन्य सह कर्ताओं की सहायता के बिना यह कार्यक्रम अधूरा होता। अंत में स्कूल के विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। राष्ट्रगीत के साथ यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कुछ तस्वीरें ....









Saturday, January 3, 2009

एस . आर. जोशी जी का देहांत



पुणे।
महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा, पुणे के सचिव श्रीमान् एस . आर. जोशी जी का देहांत कल ०२/०१/०९ को पुणे में अपने निवास स्थान पर दिल का दौरा पड़ने से हो गया। ये ७३ वर्ष के थे। हिन्दी सेवक , कर्मठ हिन्दी कार्यकर्ता क रूप में जोशी भली भांति परिचित थे। गंगाशरण सिंह पुरस्कार, दक्षिण भारतीय ज्येष्ठ हिन्दी प्रेमी पुरस्कार (कर्नाटक की संस्था की ओर से) पुरस्कृत उस महान आत्मा की शान्ति के लिए आइये हम सब प्रार्थना करें।