Saturday, July 31, 2010

निमंत्रणः साहित्य शिरोमणि स्वर्गीय पंडित दामोदर दास चतुर्वेदी स्मृति सम्मान समारोह

नई दिल्ली।

पंडित रामप्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन के तत्वावधान में आगामी 11 अगस्त 2010 को हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार-पत्रकार एवं स्वतंत्रता
सम्मानित होने वाली विभूतियाँ
  • प्रदीप पंडित (संपादक-शुक्रवार)
  • मणिकिशोर तिवारी (संपादक-लोकायत)
  • संतोष चौबे (चेअरमैन-आईसेक्ट संपादक-आई.टी इंडिया)
  • शैलेश भारतवासी (संपादक-हिंदी ब्लाग-हिंद युग्म डॉट कॉम)
  • विजया भारती (लोक गीत गायिका)
  • डॉ. प्रेमलता नीलम (हिंदी कवयित्री)
  • डॉ. आनंद सुमन (संपादक-सरस्वती सुमन)
  • संजीव सेंगर (प्रकाशक)
  • अंकित जैन (टीवी सीरियल निर्माता)
  • राजकुमार सचान होरी (कवि-कथाकार)
  • रूपनारायम सोनकर (दलित साहित्यकार)
  • कमलेश चतुर्वेदी (अंतर्राष्ट्रीय भूगर्भवेत्ता)
सेनानी साहित्य शिरोमणि स्वर्गीय पंडित दामोदर दास चतुर्वेदी की स्मृति में हर साल आयोजित किया जानेवाला स्मृति सम्मान समारोह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद,आजाद भवन,आईटीओ के सभागार में सायं 5.00 बजे आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम का उदघाटन संसद सदस्य एवं संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी करेंगे। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक सुरेश के. गोयल, समारोह के जहां मुख्य अतिथि होंगे, वहीं हिंदुस्तान मीडिया वेंचर के प्रधान संपादक शशि शेखर इस समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी के लोकप्रिय कवि एवं पत्रकार पंडित सुरेश नीरव होंगे। आयोजन के केन्द्रीय कथ्य का विषय प्रवेश संडे इंडियन के संपादक ओंकारेश्वर पांडेय करेंगे।

इस अवसर पर कला,साहित्य, संगीत, पत्रकारिता, विज्ञान और हिंदी ब्लाग लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विशिष्ट लोगों को साहित्य शिरोमणि स्वर्गीय पंडित दामोदर दास चतुर्वेदी स्मृति सम्मान-2010 से अलंकृत भी किया जा रहा है। जिसमें प्रदीप पंडित (संपादक¬-शुक्रवार), मणिकिशोर तिवारी (संपादक-लोकायत), संतोष चौबे (चेअरमैन-आईसेक्ट संपादक-आई.टी इंडिया) शैलेश भारतवासी (संपादक-हिंदी ब्लाग-हिंद युग्म डॉट कॉम), विजया भारती (लोक गीत गायिका), डॉ. प्रेमलता नीलम (हिंदी कवयित्री), डॉ. आनंद सुमन(संपादक-सरस्वती सुमन), संजीव सेंगर(प्रकाशक), अंकित जैन (टीवी सीरियल निर्माता), राजकुमार सचान होरी (कवि-कथाकार), रूपनारायम सोनकर (दलित साहित्यकार) तथा कमलेश चतुर्वेदी( अंतर्राष्ट्रीय भूगर्भवेत्ता) के नाम उल्लेखनीय हैं।

इसी कार्यक्रम में हिन्द-युग्म प्रकाशन द्वारा प्रकाशित डॉ॰ अरुणा कपूर के उपन्यास 'उनकी नज़र है हम पर' का विमोचन भी होगा।

समारोह के दूसरे चरण में राष्ट्रीय एकता और सदभाव विषय पर कवि सम्मेलन में प्रकाश प्रलय, डा. अरविंद चतुर्वेदी, मृगेन्द्र मकबूल, अरविंद पथिक, भगवान सिंह हंस, डॉ. मधु चतुर्वेदी कविता पाठ करेंगे। समारोह के स्वागताध्यक्ष ज्ञानेन्द्र चतुर्वेदी तथा संयोजक रजनीकांत राजू ने इस अवसर पर अधिक-से-अधिक साहित्यप्रेमियों को उपस्थित रहने की अपील की है।

स्थान- आजाद भवन, आईटीवी, नई दिल्ली
समय- सायं 5 बजे

कार्यक्रमोपरांत भोजन की व्यवस्था है।


(निमंत्रण-पत्र को बड़ा करके देखने और पूरा विवरण पढ़ने के लिए निम्नलिखित चित्रों पर क्लिक करें)

Thursday, July 29, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी को उचित स्थान दिलाने के लिए संघर्ष किया जाएगा

राजभाषा समर्थन समिति मेरठ ; अक्षरम एवं वाणी प्रकाशन दिल्ली की संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा

संगोष्ठी में पारित प्रस्ताव
1. राजभाषा समर्थन समिति मेरठ एवं अक्षरम के संयोजन में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिंमंडल जिसमें सांसद, पत्रकार, साहित्यकार शामिल होंगे गृहमंत्री, गृहराज्यमंत्री, दिल्ली की मुख्य मंत्री, राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्य़क्ष, खेल मंत्री से मुलाकात कर राजभाषा हिंदी के प्रयोग का प्रश्न उनके संज्ञान में लाएगा।
2. संसद व मीडिया में इस प्रश्न को उठाने के लिए सांसदों तथा मीडियाकर्मियों से संपर्क किया जाए।
3. खेलों की वेबसाइट हिंदी में तुरंत बनाई जाए।
4. दिल्ली पृलिस और नई दिल्ली नगरपालिका द्वारा सभी नामपट्टों व संकेतकों में हिंदी का भी प्रयोग हो ।
5. खेलों के दौरान वितरित की जाने वाली सारी प्रचार सामगी हिंदी में भी तैयार की जाए।
6. खेलों के आंखो देखे हाल के प्रसारण की व्यवस्था हिंदी में भी हो।
7. पर्यटकों व खिलाडियों के लिए होटलों व अन्य स्थानों पर हिंदी की किट भी हो।
8. उदघाटन समारोह व समापन समारोह भारत की संस्कृति व भाषा का प्रतिबिम्ब हो । सांस्कृतिक कार्यक्रम देश की गरिमा के अनुरूप हों। राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री व अन्य प्रमुख लोग अपनी भाषा में विचार व्यक्त करें।
9. राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी के प्रयोग के लिए एक जनअभियान चलाया जाए और सरकार द्वारा सुनवाई ना किये जाने पर जंतरमंतर व अन्य स्थानों पर धरने व प्रदर्शन की योजना बनाए जाए।
10. इस अवसर का उपयोग करते हुए राष्ट्रमंडल के देशों में हिंदी के प्रचार – प्रसार के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।
राष्ट्रमंडल खेलों में राजभाषा की अवेहलना की जा रही है। दिल्ली नगरपालिका , दिल्ली पुलिस द्वारा नामपट्टों और संकेत चिन्हों पर लगातार ध्यान दिलाने के बावजूद केवल अंग्रेजी का प्रयोग हो रहा है। खेलों की वेबसाइट तक हिंदी में नहीं है। उदघाटन समारोह और समापन समारोह जैसे कार्यक्रमों में भारत की भाषा और संस्कृति का प्रतिबिम्ब होना चाहिए और भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को इन कार्यक्रमों में अपनी भाषा में संबोधन करना चाहिए। ‘ राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी ’ विषय पर अक्षरम, राजभाषा समर्थन समिति और वाणी प्रकाशन द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 27 जुलाई को आयोजित संगोष्ठी में सांसदों , पत्रकारों, साहित्यकारों, कमेंटटरों ने यह विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डा रत्नाकर पांडेय , कलराज मिश्र, हुक्मदेव नारायण यादव, प्रदीप टमटा , राजेन्द्र अग्रवाल ( सांसदों) डा वेदप्रताप वैदिक, रामशरण जोशी, डा गंगा प्रसाद विमल, जसदेव सिंह, रवि चतुर्वेदी , महेश शर्मा , नवीन लोहानी, नारायण कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। गोष्टी का संयोजन अक्षरम के अध्यक्ष अनिल जोशी ने किया।

गोष्टी में श्री कलराज मिश्र ( सांसद) और रत्नाकर पांडेय आदि ने सुझाव दिया कि श्री सुरेश कलमाडी, श्रीमती शीला दीक्षित, श्री एम.एस .गिल से हिंदी की अवहेलना के मुद्दे पर प्रतिनिधिमंडल लेकर मिला जाए और ठोस कार्ययोजना बनाई जाए । श्री हुक्म नारायण यादव ( सांसद) और श्री वेदप्रताप वैदिक ने समस्या का समाधान ना निकलने पर आंदोलनात्मक रवैया अख्तियार करने का आह्वान किया। श्री प्रदीप टमटा ( सांसद) ने देश में हिंदी की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर क्षोभ प्रकट किया। श्री राजेन्द्र अग्रवाल ( सांसद) जिनकी पहल पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था ने इस संबंध में किसी भी प्रकार के सहयोग

के लिए प्रस्तुत होने तथा राजभाषा संसदीय समिति के मंच के माध्यम से इसके लिए प्रयास करने की बात की। श्री गंगा प्रसाद विमल और गीतेश शर्मा ने कहा कि यह मात्र भाषा का नहीं संस्कृति का भी प्रश्न है। श्री रामशरण जोशी ने राष्ट्रमंडल खेलों से जुडे ठोस मुद्दों को सामने रखा। रवि चतुर्वेदी व श्री जसदेव सिंह ने बताया कि किस प्रकार विश्व भर के आयोजनों में स्थानीय देश की भाषा को महत्व दिया जाता है। मेरठ विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफ नवीन चन्द्र लोहानी ने अभियान की प्रस्तावना रखी वहीं श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने सारगर्भित सुझाव दिए । नारायण कुमार ने धन्यवाद दिया व प्रस्ताव पढ़े जिन्हें सभा ने पारित किया। अरूण महेश्वरी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया व अंत में अनिल जोशी ने आगे की कार्ययोजना प्रस्तुत की। इस अवसर पर मेरठ दिल्ली सहित आप पास से लोगों की उपस्थिति रही


अनिल जोशी (अध्यक्ष, अक्षरम)


प्रेषक- प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी (09412207200)

Wednesday, July 28, 2010

राजेश चेतन काव्य पुरस्कार 2010 श्याम वशिष्ट 'शाहिद' को

श्याम वशिष्ठ ‘शाहिद’
24 फरवरी 1970 को भिवानी (हरियाणा) में जन्मे श्याम वशिष्ठ ‘शाहिद’ कॉमर्स से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। वर्तमान में वे पीएच.डी.शोध में संलग्न हैं और बनवारी लाल जिन्दल सूईवाला महाविद्यालय, तोशाम में वाणिज्य विभाग में सहायक प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं।
सन् 1998 में आपका ग़ज़ल संग्रह ‘मेरे हिस्से का आसमान’ के नाम से प्रकाशित हुआ जिसे पाठकों से ख़ूब सराहना मिली। सन् 2004 में आपके काव्य-कर्म का कुछ अंश ‘मुखौटे’ नामक काव्य-संग्रह में संग्रहीत हुआ। इसके अतिरिक्त आपकी ग़ज़लें, कविताएँ और लघुकथाएँ भी समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से पाठकों तक पहुँचती हैं। इतना ही नहीं आपने ‘चेतना’ और ‘कौन हूँ मैं’ के नाम से दो रेडियो नाटक भी लिखे, जो रोहतक आकाशवाणी से प्रसारित हुए।
आपकी साहित्यिक प्रतिभा के आधार पर लॉयन्स क्लब, भिवानी ने आपको ‘साधना सम्मान’ से सम्मानित किया। नटराज कलामंच ने आपको ‘साहित्य सेवी’ की उपाधि से विभूषित किया। इसके अतिरिक्त विविध साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं ने रंगमंच तथा साहित्य सृजन के लिए आपको सम्मानित किया है।
रंगमंच तथा संगीत आपके भीतर के कलाकार के महत्तवपूर्ण आयाम हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के युवा महोत्सवों तथा राष्ट्रीय युवा महोत्सव (1992) में आप सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में चिन्हित किए जा चुके हैं। तमाम कवि-सम्मेलनों तथा मुशायरों में आप निरंतर शिरक़त करते हैं। मेघदूत थिएटर ग्रुप (भिवानी) से आप सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त दो वर्ष तक आपने दूरदर्शन पर समाचार वाचन भी किया है। सन् 1991 से आप आकाशवाणी के नाटक, साहित्य, संगीत कार्यक्रमों में अनुबंधित कलाकार हैं।
वर्ष 2010 का ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’ भिवानी के लोकप्रिय कवि श्री श्याम वशिष्ठ ‘शाहिद’ को दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा प्रांत के भिवानी ज़िले में जन्मे कवि राजेश चेतन जी के जन्मदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष ‘सांस्कृतिक मंच, भिवानी’ द्वारा प्रदान किया जाता है। प्रतिवर्ष उक्त पुरस्कार उस कवि को दिया जाता है जिसका काव्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा हो। जो काव्य पाठ में समर्थ तथा समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित हो। इस पुरस्कार में सांस्कृतिक मंच की ओर से 5100 रुपये की राशि, प्रतीक चिन्ह, अभिनन्दन पत्र व दुशाला प्रदान किया जाता है। 2006 से अब तक कुल चार रचनाकारों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। सबसे पहला पुरस्कार मिला- युवा गीतकार डॉ. रमाकांत शर्मा को। 2007 में यह पुरस्कार लोकप्रिय गीतकार विपिन सुनेजा को दिया गया। 2008 में हास्य कवि योगेन्द्र मौद्गिल को यह पुरस्कार प्रदान किया गया और 2009 में अरुण मित्तल अद्भुत ने पुरस्कार को सुशोभित किया। ये सभी रचनाकार हिन्दी के प्रचार-प्रसार में वाचिक परम्परा को माध्यम बनाकर निरन्तर प्रयासरत हैं। इस वर्ष आगामी 8 अगस्त को पुरस्कार भिवानी में श्री श्याम जी को अर्पित किया जाएगा।

स्मृति संगीत संध्या ’सत्य राग’ का आयोजन



नर्मदापुरम् (होशंगाबाद)। सांस्कृतिक, साहित्यिक, सृजनधर्मी संयोजन नर्मदापुरम् कला जगत द्वारा प्रसिद्ध गीतकार ‘सत्यकवि’ स्व. ठाकुर बृजमोहन सिंह के जन्म दिवस के अवसर पर स्मृति संगीत संध्या ’सत्य राग’ का आयोजन किया गया। स्थानीय एन. ई. एस. महाविद्यालय के सभागृह में हुये कार्यक्रम में ठाकुर बृजमोहन सिंह द्वारा रचित गीतांे की भव्य संगीतमय प्रस्तुति नर्मदापुरम् कला जगत के कलाकारों द्वारा दी गई।

समाजसेवी व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पं. भवानी शंकर शर्मा के मुख्य आतिथ्य, साध्वी राधामुनि जी के विशेष आतिथ्य एवं वरिष्ठ गायक श्री ओमप्रकाश शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न इस गरिमामयी कार्यक्रम में सरस्वती आराधना, दीप प्रज्जवलन एवं बाल कलाकारों ज्ञानप्रिया, मनप्रीति व रीतिका द्वारा अतिथियों के सत्कार पश्चात् ‘सत्यकवि’ बृजमोहन द्वारा रचित गणेश वंदना ‘गणपति गिरजानंदन, स्वीकार करो वंदन‘ से आरंभ विविधता से परिपूर्ण कार्यक्रम में ‘सत्यकवि’ की कालजयी रचनाओं ‘घटा उतरी है, आंगनों के गांव में,‘ ‘जहॉं भी गये, हम अहम छोड़ आये,’ ‘कुछ अकारण कटा सा है मन इन दिनों,’ ‘छंदों की जंजीर,’ ‘छैला ज्वार के, पीर हरो रामा पीर,’ ‘धुआँ सांसों की काया का,’ ‘गोरी नर्मदा कछार की,’ ‘फूल दुपहरिया के’ आदि के मनमोहक प्रवाह में अंतिम प्रस्तुति के रुप में बृजमोहन सिंह की अमर कृति ‘शक्ति दे, भक्ति दे, सत्य दे, धर्म दे‘ दी गई।



श्रीमती जयश्री तरडे, श्री ओ.पी. शर्मा, श्री राम परसाई, श्री राकेश दुबे, श्री नमन तिवारी, सुश्री रागिनी तरडे, सुश्री नेहा दीक्षित, सुश्री रेणुका जैन के सुमधुर गायन के साथ बेहतरीन संगत श्री इंदर सोनी (तबला), श्री कमल झा(सिंथेसाइज़र), श्री उमाशंकर(श्री
रत्नेश साहू व श्री महाराज सिंह के सुव्यवस्थित कार्य प्रबंधन ने कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। कार्यक्रम के अंत में आभार वरिष्ठ कवि रंगकर्मी श्री जगदीश वाजपेई ने व्यक्त किया।


देर रात तक चले इस कार्यक्रम में कार्यकारिणी सदस्य श्री राधेश्याम रावल, श्री तेजेश्वर प्रसाद मिश्र, श्री सजीवन ’मयंक’, श्री
रामकृष्ण दीक्षित सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोताओं और आसपास के क्षेत्रों के ठाकुर बृजमोहन सिंह के प्रशंसकों की उपस्थिति में देर रात तक चले कार्यक्रम की सर्वत्र सराहना की जा रही है।

Tuesday, July 27, 2010

अज्ञेय और शमशेर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

(द्वितीय प्रमोद वर्मा स्मृति समारोह-2010 )
मधुरेश, ज्योतिष जोशी और डॉ.शोभाकांत झा का सम्मान


मधुरेश

जयोतिष जोशी
रायपुर। छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर देश के दो मूर्धन्य रचनाकार अज्ञेय और शमशेर की जन्मशताब्दी वर्ष को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है। यह आयोजन 30-31 जुलाई, 2010 को होटल गोल्डन ट्यूलिप, व्ही.आई.पी.रोड किया जा रहा है जिसमें देश और राज्य के 200 से अधिक साहित्यकार भाग ले रहे हैं। समारोह की शुरूआत 30 जुलाई की शाम 7 बजे राष्ट्रीय कविता पाठ से होगी जिसमें देश के प्रतिष्ठित कवि- सर्वश्री नंदकिशोर आचार्य (जयपुर), दिविक रमेश (दिल्ली), अष्टभुजा शक्ल (बस्ती), बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून), श्रीप्रकाश मिश्र (इलाहाबाद), नरेंद्र पुंडरीक (बांदा), रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति (भोपाल), प्रेमशंकर रघुवंशी (हरदा), अनिल विभाकर(रायपुर), रति सक्सेना (त्रिवेन्द्रम), सुधीर सक्सेना (दिल्ली), राकेश श्रीमाल (वर्धा), श्री अरुण शीतांश (आरा), संतोष श्रेयांश(आरा), शशांक (बक्सर), कुमुद अधिकारी (नेपाल), कुमार नयन (बक्सर), जयशंकर बाबु (आंध्रप्रदेश)आदि अपनी श्रेष्ठ कविताओं का पाठ करेंगे। अध्यक्षता करेंगे जाने माने आलोचक डॉ. धनंजय वर्मा। मुख्य अतिथि होंगे - डॉ. गंगा प्रसाद विमल और विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे श्री मधुरेश, प्रभुनाथ आजमी आदि।

संस्थान के कार्यकारी निदेशक जयप्रकाश मानस ने बताया है कि 31 जुलाई, 2010 9 बजे प्रातः द्वितीय प्रमोद वर्मा आलोचना सम्मान-2010 से प्रमुख कथाआलोचक श्री मधुरेश और युवा आलोचक ज्योतिष जोशी को सम्मानित किया किया जायेगा । इसके पूर्व गत वर्ष श्रीभगवान सिंह और कृष्ण मोहन जैसे आलोचकों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है । इस सम्मान के अंतर्गत 21, 11 व 7 हजार रुपये, प्रतीक चिन्ह, सम्मान पत्र आदि से सम्मानित किया जाता है। इस अवसर पर राज्य स्तरीय प्रमोद वर्मा रचना सम्मान से हिन्दी के पूर्णकालिक ललित निबंध लेखन के लिए डॉ. शोभाकांत झा को भी अंलकृत किया जायेगा। इस अवसर पर राज्य से प्रकाशित होने वाली संपूर्ण त्रैमासिक पत्रिका पांडुलपि के प्रवेशांक (प्रधान संपादक- अशोक सिंघई), कठिन प्रस्तर में अगिन सुराख (विश्वरंजन), ठंडी धुली सुनहरी धूप (विश्वरंजन), शिलाओं पर तराशे मज़मून (डॉ. धनंजय वर्मा पर एकाग्र) छत्तीसगढ़ की कविता(डॉ. बलदेव), मीडिया : नये दौर, नयी चुनौतियाँ (संजय द्विवेदी, भोपाल) चाँदनी थी द्वार पर ( सुरेश पंड़ा), पक्षी-वास (मूल उडिया उपन्यास–सरोजिनी साहू, अनुवाद– दिनेश माली, उड़ीसा), झरोखा (पंकज त्रिवेदी, अहमदाबाद),विष्णु की पाती – राम के नाम (विष्णु प्रभाकर के पत्र- जयप्रकाश मानस), कहानी जो मैं नहीं लिख पायी ( श्री कुमुद अधिकारी, नेपाल), 11 किताबें (डॉ. के. के. झा, बस्तर), पत्रिका देशज (अरुण शीतांश, बिहार), ये है इंडिया मेरी जान (युक्ता राजश्री) आदि का विमोचन भी किया जायेगा।

31 जुलाई को 11 बजे ‘अज्ञेय की शास्त्रीयता’ विषय पर राष्ट्रीय विमर्श होगा जिसमें डॉ. कमल कुमार-दिल्ली डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी-सागर, श्री बजरंग बिहारी-दिल्ली, डॉ.देवेन्द्र दीपक-भोपाल, डॉ. रति सक्सेना-त्रिवेन्द्रम, डॉ. सुशील त्रिवेदी-रायपुर, श्री बुद्धिनाथ मिश्र-देहरादून, श्री महेन्द्र गगन-भोपाल, श्री प्रकाश त्रिपाठी-इलाहाबाद, श्री माताचरण मिश्र-भोपाल, श्री संतोष श्रेयांस-आरा अपना वक्तव्य देंगे। अध्यक्ष मंडल में होगें- श्री नंदकिशोर आचार्य-जयपुर, श्री गंगाप्रसाद विमल-दिल्ली, डॉ. दिविक रमेश-दिल्ली, डॉ. धनंजय वर्मा-भोपाल आदि। इसी तरह उसी दिन 3 बजे शमशेर का कविता संसार पर विमर्श में वक्ता के रूप में डॉ. रोहिताश्व-गोवा, श्री राकेश श्रीमाल-वर्धा, श्री प्रभुनाथ आजमी-भोपाल, श्री ज्योतिष जोशी-दिल्ली, श्री नरेन्द्र पुंडरीक-बांदा, डॉ. शिवनारायण-पटना, संतोष श्रीवास्तव-मुंबई श्री दिवाकर भट्ट-हलद्वानी,श्री मुकेश वर्मा-उज्जैन, श्री कुमार नयन-बक्सर, श्री राजेन्द्र उपाध्याय-दिल्ली, श्री रविन्द्र स्वप्निल प्रजापति-भोपाल, डॉ. कमलेश-इलाहाबाद, डॉ. सुधीर सक्सेना-दिल्ली, अध्यक्ष मंडल में होंगे- डॉ. धंनजय वर्मा-भोपाल, श्री मधुरेश-कानपुर, श्री खगेन्द्र ठाकुर-पटना, श्री त्रिभुवन नाथ शुक्ल-भोपाल आदि। इस अवसर पर टैगोर, शमशेर, अज्ञेय, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एवं प्रमोद वर्मा की कविताओं की प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है।

Sunday, July 25, 2010

हिंदी और उर्दू और नज़दीक आयीं


(बाएं से मोनिका मोहता, हरि भटनागर, ज़कीया ज़ुबैरी, आसिफ़ इब्राहिम, तेजन्द्र शर्मा)

२१ जुलाई २०१० । लंदन
“ये बहुत सुकून देने वाली बात है कि कथा यूके और एशियन कम्‍यूनिटी आर्ट्स मिल कर यहां यूके में हिंदी और उर्दू के बीच भाषाई पुल बनाने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें इस बात को भी देखना होगा कि हमारा आज का पाठक इन कहानियों की विषय-वस्‍तु कथानक और लोकेल से जुड़ सके और कहानियों से जुड़ाव महसूस कर सके।” उक्‍त विचार कथा यूके और एशियन कम्‍यूनिटी आर्ट्स द्वारा प्रकाशित ब्रिटेन की उर्दू क़लम का नेहरू सेटर, लंदन में 21 जुलाई 2010 की शाम लोकार्पण करते हुए हुए भारतीय उच्‍चायोग में मंत्री (समन्‍वय) श्री आसिफ़ इब्राहिम ने व्‍यक्‍त किये।

हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार तेजेन्द्र शर्मा एवं ज़कीया ज़ुबैरी द्वारा संपादित ब्रिटेन की उर्दू क़लम में ब्रिटेन में बसे 8 उर्दू कहानीकारों की 16 कहानियों का हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया गया है। इस पुस्तक की लम्बी भूमिका कथाकार-पत्रकार एवं कथा यूके की उपाध्यक्षा अचला शर्मा ने लिखी है। इस मौक़े पर प्रोफ़ेसर अमीन मुग़ल ने अपनी बात कहते हुए कहा कि बेशक नेचर के हिसाब से हिंदी और उर्दू बहुत नज़दीकी भाषाएं हैं और दोनों भाषाओं के बीच आदान प्रदान की लम्‍बी परम्‍परा है, कथा यूके और एशियन कम्‍यूनिटी आर्ट्स की इस बात के लिए तारीफ़ की जानी चाहिये कि वे अपने सीमित साधनों से इतने महत्‍वपूर्ण काम को अंजाम दे रहे हैं।
इस अवसर पर भारत से विशेष रूप से पधारे कहानीकार-संपादक-प्रकाशक हरि भटनागर ने अपने लम्बे लिखित लेख द्वारा श्रोताओं का परिचय कहानियों से करवाया। उनके अनुसार संकलन की कहानियां ग़म की कथा को रो पीट कर, चिल्ला चोट कर के नहीं बल्कि बहुत ही ख़ामोश ढंग से व्यक्त करती हैं। कि कथा का कलात्मक वैभव कहीं भी क्षतिग्रस्त नहीं होता और सबसे बड़ी बात यह कि उस निज़ाम का चेहरा बेनक़ाब होता है जो भेदभाव की राजनीति कर के लोगों में फूट डालता है और उन्हें कहीं का नहीं छोड़ता।
कथा यूके के महासचिव, कथाकार ओर किताब के संपादक द्वय में से एक तेजेन्‍द्र शर्मा का कहना था कि हमें पहले समस्या को स्वीकार करना होगा। अब समय आ गया है कि हम मान लें कि हिन्दी और उर्दू दो भाषाएं हैं और हमें उनके बीच की दूरी को पाटना है। उन्होंने इस किताब और इस तरह की दूसरी किताबें प्रकाशित किये जाने की ज़रूरत की बात कही और बताया कि उनकी कोशिश रहेगी कि कहानी के अलावा, कविता, ग़ज़ल और इतर साहित्‍य का भी दोनों भाषाओं में अनुवाद कराते रहें।
नेहरू सेंटर की निदेशक मोनिका मोहता ने इस अवसर पर नेहरू सेंटर और कथा यूके के लम्‍बे समय चले आ रहे सार्थक रिश्‍तों की बात कही और उम्‍मीद की कि ये सिलसिला आगे भी चलता रहेग।
भारत से पधारे पत्रकार अजित राय ने कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशित होना एक ऐतिहासिक घटना है क्योंकि पहली बार ब्रिटेन के आठ उर्दू लेखकों की कहानियां हिन्दी में एक साथ छपी हैं। हिन्दी और उर्दू एक भाषा नहीं हैं। हम आज़ादी के बाद से ही इनके एक होने का भ्रम पाले रहे और दूरियां बढ़ती गईं।
एशियन कम्‍यूनिटी आर्ट्स की अध्‍यक्ष ज़कीया जुबैरी ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार मानते हुए कहा मेरा सपना है कि हिन्दी और उर्दू की गंगा जमुनी तहज़ीब, शब्दों की मिठास, अपनापन, ख़ुलूस सब हमारे साहित्य और ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाएं। हमारे रिश्ते राजनीति से संचालित न हों। हमारे रिश्ते साहित्य, कला और एक दूसरे पर विश्वास से पैदा हों। यह न तो पहला प्रयास है और न ही आख़री । हम इस मुहिम को जारी रखेंगे। हिन्दी उर्दू कहानियों की निशस्तें रखी जाएंगी, और अगला संकलन शायद उन कहानियों का हो जो कि उन नशिस्तों में पढ़ी जाएं।
इसी अवसर पर कथाकार सूरज प्रकाश (भारतीय प्रतिनिधि कथा यूके) की नवीनतम कृति दाढ़ी में तिनका का अनूठा विमोचन भी हुआ जब एक युवा पाठिका हेमा कंसारा ने मंच पर आकर उनकी कृति का लोकार्पण किया। सूरज प्रकाश ने अपने लम्बे लेखकीय सन्नाटे के बारे में बात करते हुए लेखक की न लिख पाने की छटपटाहट का विस्तार से ज़िक्र किया। सूरज प्रकाश पिछले बारह वर्षों से कथा यूके से जुड़े हैं।
कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त उर्दू कहानीकार जितेन्द्र बिल्लु, सफ़िया सिद्दीक़ि, मोहसिना जीलानी, बानो अरशद एवं फ़हीम अख़्तर, फ़िल्मकार यावर अब्बास, भूतपूर्व बीबीसी हिन्दी अध्यक्ष कैलाश बुधवार, हिन्दी कथाकार दिव्या माथुर, उषा राजे सक्सेना, कादम्बरी मेहरा एवं महेन्द्र दवेसर, कवि निखिल कौशिक, शिक्षाविद वेद मोहला, नाटककार इस्माइल चुनारा, अयूब औलिया, हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी आनंद कुमार, भारत से आए फ़िल्म आलोचक विनोद भारद्वाज, लदंन और आसपास के शहरों के हिंदी और उर्दू के रचनाकार बड़ी संख्‍या में मौजूद थे।

- कथा यूके प्रतिनिधि

Saturday, July 24, 2010

उर्मिल सत्यभूषण के कहानी संग्रह ‘सृजन समग्र – खंड 1 पर समीक्षा गोष्ठी

(सृजन समग्र – उर्मिल सत्यभूषण कथा संसार – नमन प्रकाशन)

दि. 23 जुलाई 2010 को नई दिल्ली के फेरोज़शाह रोड स्थित ‘रशियन कल्चर सेण्टर’ में ‘परिचय साहित्य परिषद’ की स्थाई अध्यक्ष व सुपरिचित साहित्यकार उर्मिल सत्यभूषण के सद्य:प्रकाशित कहानी संग्रह ‘सृजन समग्र – खंड 1’ पर एक समीक्षा गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार बालस्वरूप राही थे व श्री राजेंद्र गौतम, श्री महेश दर्पण, श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेई व श्री प्रेमचंद सहजवाला गोष्ठी के विशिष्ट वक्ता रहे. श्री सहजवाला ने उर्मिल सत्यभूषण के कहानी संग्रह पर एक समीक्षा पत्र पढ़ते हुए कहा कि उर्मिल सत्यभूषण के पास बेहद विस्तृत अनुभव संसार है तथा उन के इस संग्रह की 27 में से अधिकाँश कहानियों में नारी जीवन की बेहद यथार्थ झलकियाँ हैं. उर्मिल सत्यभूषण के पास एक सिद्धहस्त कलम है जिस के माध्यम से वे नारी के सामाजिक जीवन की सशक्त तस्वीर प्रस्तुत करती हैं. नारी किन किन परिवेशगत दबावों में जीती है तथा किन किन मोर्चों पर वह इस पुरुष प्रधान समाज में हारती है, इस का बेहद सशक्त लेखा-जोखा उर्मिल जी के कथा संसार में मिलता है. कुछ कहानियों की विशेष प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इन कहानियों की विशिष्टता यह है कि इन में अन्याय अनाचार के विरुद्ध नारी की विद्रोही तेवरों से साक्षात्कार होते हैं, जैसे कहानी ‘अब और नहीं’, ‘आखिर कब तक’ वगैरह. श्री राजेंद्र गौतम ने कहा कि उर्मिल सत्यभूषण की कहानियों में नारी-पुरुष प्रेम को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है. पर कहानी ‘रौशनी की जीत’ जो कि सन् 84 की निर्मम सिख हत्याओं पर आधारित है, की उन्होंने विशेष प्रशंसा करते हुए कहा कि जैसे ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ मानव सभ्यता की एक अविस्मरणीय त्रासदी है जिस पर निरंतर आज भी बहुत से उपन्यास लिखे जा रहे हैं, वैसे ही हमारे देश में सन् 84 का कलंक कभी नहीं मिटेगा और उस पर लगातार साहित्य लिखा जाता रहेगा. श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने कहा कि ‘शाबास कुडिये’ जैसी व इस संग्रह की अन्य कई कहानियों जैसी नारी पात्र हमारे पूरे समाज में लगभग घर घर में हैं, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए छटपटाती न जाने किन किन पारिवारिक सामजिक दबावों में जीती हैं. इस सब को रेखांकित करने में पूर्ण सफलता पर उन्होंने उर्मिल सत्यभूषण को हार्दिक बधाई दी. श्री महेश दर्पण ने कहा कि लेखिका के सरोकार बेहद ‘जेनुइन’ रहे और इस संग्रह को पढ़ कर किसी शिल्पगत गठन या अन्य तत्वों की ओर ध्यान न जा कर सीधे उन नारी पात्रों के जीवन पर जाता है, जिन्हें लेखिका ने अपने करीब पाया है. श्रोतागण में से लेखिकाओं तूलिका व शोभना समर्थ आदि ने भी संग्रह की कुछ कहानियों की विशेष प्रशंसा की. अंत में मुख्य अतिथि बाल स्वरुप राही ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि जो लेखन अपने अनुभव को पाठक की अनुभूति में बदल सकता है, वही लेखन सही लेखन है और उर्मिल सत्यभूषण इस कसौटी पर पूर्णतः खरी उतरी हैं. उन्होंने संग्रह में नारी के विस्तृत रूपों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि भारत में पहली नारी शतरूपा थी और उर्मिल के कथा संसार में भी नारी के अनेकों रूपों से साक्षात्कार होता है. गोष्ठी का संचालन भी प्रेमचंद सहजवाला ने किया.

रिपोर्ट – ‘परिचय साहित्य परिषद’ रिपोर्ट विभाग

Tuesday, July 20, 2010

डॉ॰ रमा द्विवेदी कृत 'रेत का समंदर' का विमोचन सम्पन्न



अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन, भोपाल का 22वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन 10/7/2010-11/7/2010 भोपाल के अरेरा कालोनी स्थित चित्रांश महाविद्यालय के परिसर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पं. श्री लक्ष्मीकान्त शर्मा, मंत्री, संस्कृति, जनसंपर्क, उच्चशिक्षा एवं खनिज संसाधन, मध्य प्रदेश, मंचासीन हुए। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सतीश चतुर्वेदी ने अध्यक्षता की। राष्ट्रीय महासचिव पं. सुरेश नीरव, कर्नल विपिन चतुर्वेदी, प्रो. यासमीन सुलताना नक़वी (ओसाका वि.वि.,जापान), डा. मधु चतुर्वेदी ने उद्गाटन सत्र में भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी का स्वागत किया। पं. लक्ष्मी कान्त शर्मा के कर कमलों से संस्था द्वारा प्रदत्त विविध सम्मानों से प्रान्त-प्रान्तान्तर से आए साहित्यकारों का सम्मान किया गया। तत्पश्चात मंत्री जी के द्वारा विविध विधाओं की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।
इसी क्रम में हैदराबाद की वरिष्ठ कवयित्री डॉ.रमा द्विवेदी के काव्य संग्रह ‘रेत का समन्दर’ का विमोचन माननीय मंत्री श्री पं. लक्ष्मी कान्त शर्मा के कर कमलों द्वारा किया गया। डॉ. अहिल्या मिश्र ने कवयित्री डॉ. रमा द्विवेदी के काव्य संग्रह की जानकारी दी और अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की। पं. लक्ष्मी कान्त शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा -‘साहित्यकार प्रणम्य होते हैं। साहित्य लेखन के माध्यम से जनजागृति एवं समाज निर्माण की महती भूमिका निभाते हैं। द्वितीय सत्र में बहु भाषा कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आए अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया, जिसमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं- डॉ. यासमीन सुलताना नक़वी, डॉ. राजश्री रावत, जगदीश श्रीवास्तव, जगदीश किंजल्क, डा. संध्या भराडे, रमा कान्त पूनम, पं. सुरेश नीरव, डॉ. मधु चतुर्वेदी, श्याम बिहारी सक्सेना, डॉ. प्रेमलता नीलम, उषा रानी, राजेश टैगोर, क्रान्ति चतुर्वेदी, डॉ. सरोज ललवानी, डा. शशि नायक, डॉ. अहिल्या मिश्र, डॉ. रमा द्विवेदी, कृति चतुर्वेदी, रजनी कान्त राजन, रिचा अनुरागी, देवकी नंदन शुक्ल, तपन बंद्यौपाध्याय, अंजना अनिल, यतींद्र राही, वीरेन्द्र सिंह, राम स्वरूप शाह, बनवारी लाल वर्मा, मधु सक्सेना, वैभव कोतवाल, डॉ. एन.एम मूर्ति, अश्विनी वर्मा इत्यादि ने भाग लिया ।



11/7/2010 के प्रात: प्रथम सत्र राष्ट्रीय महिला साहित्यकार सम्मेलन के नाम रहा और इस अवसर पर मंचासीन हुईं डॉ. सरोज ललवानी (अध्यक्ष), डॉ. यासमीन सुलताना नक़वी, डॉ. अहिल्या मिश्र एवं डॉ. मधु चतुर्वेदी विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। डॉ. अहिल्या मिश्र ने अपने उद्बोधन में सभ्यता, संस्कृति एवं भाषात्मक संकट से आगाह करते हुए इससे निपटने हेतु साहित्यकारों को एक जुट होकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। इस सत्र में महिलाओं की समस्याओं पर चर्चा की गई एवं कवयित्री सम्मेलन में डॉ. रमा द्विवेदी, डॉ. प्रेमलता नीलम, डॉ. राजश्री रावत, डॉ. मधु चतुर्वेदी, डॉ. शशि नायक, डॉ. शीला तिवारी, डॉ. रिचा अनुरागी, डॉ. कमला सक्सेना, आदि ने गीत-ग़ज़ल कविताओं के माध्यम से अपना संदेश प्रेषित किया। अपरान्ह सत्र में राष्ट्रीय परिसंवाद में ‘भारतीय भाषाओं की उपेक्षा और समन्वय, आंग्ल भाषा का बढ़ता प्रभाव' लेखकों की समस्याओं पर चर्चा संपन्न हुई। इस सत्र के मुख्य अतिथि श्री बाबूलाल जैन, अध्यक्ष निर्धन वर्ग कल्याण आयोग, म. प्र. विशिष्ट अतिथि श्री आशीष उपाध्याय, आई ए. एस., आयुक्त उच्च शिक्षा, म.प्र. थे। सायं समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. संतोष चौबे, कुलपति, सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, रायपुर रहे। अधिवेशन के अन्त में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ और कृति चतुर्वेदी के आभार से कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

प्रस्तुति: डा.रमा द्विवेदी