Tuesday, July 14, 2009

उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल को 15वां अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान

कथा यू.के. सम्मान समारोह में भगवानदास मोरवाल और मोहन राणा सम्मानित

10 जुलाई 2009 । लंदन

(बैठे हुए बाएं से मोहन राणा, ज़कीया ज़ुबैरी, टोनी मैकनल्टी, मधु अरोड़ा, श्रीमती मोहन राणा। खड़े हुएः आनंद कुमार, तेजेन्द्र शर्मा, विभाकर बख़्शी, के.सी. मोहन, रवि शर्मा, इंदिरा, अजित राय)

ब्रिटेन के सांसद और पूर्व आंतरिक सुरक्षा राज्य मंत्री टोनी मैक्नल्टी ने ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में आयोजित एक गरिमामय समारोह में हिन्दी के सुपरिचित कथाकार भगवानदास मोरवाल को उनकी अनुपस्थिति में 15वां अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान प्रदान किया। किसी कारणवश मोरवाल पुरस्कार लेने लंदन नहीं आ सके। यह सम्मान मोरवाल के नवीनतम उपन्यास ‘रेत’ (राजकमल प्रकाशन) के लिये दिया गया। उनकी ओर से यह सम्मान उनके मित्र और दिल्ली के सांस्कृतिक पत्रकार अजित राय ने प्राप्त किया। इस अवसर पर उन्होंने ब्रिटेन के हिन्दी लेखकों के लिये स्थापित ‘पद्मानंद सम्मान’ ब्रिटिश हिन्दी कवि मोहन राणा को उनके ताज़ा कविता संग्रह ‘धूप के अन्धेरे में’ (सूर्यासत्र प्रकाशन) के लिये प्रदान किया। इस सम्मान का यह दसवां साल है।

टोनी मैक्नल्टी ने लंदन एवं ब्रिटेन के अन्य क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आए एशियाई लेखकों और ब्रिटिश साहित्य प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा संगीत की तरह होती है। यदि आप किसी दूसरे की भाषा समझते हैं तो आप ज़िन्दगी की लय को समझ सकते हैं। दूसरों की भावनाओं को समझ सकते हैं। भाषा में आप सपने रच सकते हैं। इस तरह भाषा के माध्यम से आप मनुष्यता तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने हिन्दी में अपना भाषण शुरू करते हुए कहा की भाषाओं के माध्यम से हम सभ्यताओं के बीच संवाद स्थापित कर सकते हैं। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि आपकी पहचान होती है। उन्होंने कहा कि कथा यू.के. पिछले कई वर्षों से ब्रिटेन में बसे एशियाई समुदाय के बीच भाषा और साहित्य के माध्यम से संवाद स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

हाउस ऑफ़ लॉर्डस में भारतीय मूल के सांसद लॉर्ड तरसेम किंग ने कहा कि ब्रिटेन जैसे देश में सारी भाषाएं एक दूसरे की पूरक हैं। अंग्रेज़ी जानना हिन्दी का विरोध नहीं है। उन्होंने कहा कि कथा यू.के. भाषा और साहित्य के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के बीच समन्वय का काम कर रही है।

लेबर पार्टी की काउंसलर और कथा यू.के. की सहयोगी संस्था एशियन कम्यूनिटी आर्ट्स की अध्यक्ष ज़कीया ज़ुबैरी ने भगवानदास मोरवाल के पुरस्कृत उपन्यास ‘रेत’ का परिचय देते हुए कहा कि लेखक ने काफ़ी शोध के बाद एक ऐसी कथा पेश की है जिसका समाजशास्त्रीय अध्ययन किया जाना चाहिये। इस उपन्यास में कंजर जाति की स्त्रियों के जीवन संघर्ष का ऐसा प्रमाणिक चित्रण है कि पाठक चकित रह जाता है।

लंदन में नेहरू सेंटर की निदेशक मोनिका कपिल मोहता ने कहा कि कथा यू.के. को अब ब्रिटेन के साथ साथ युरोप, अमरीका और अन्य देशों में भी अपनी गतिविधियों की नेटवर्किंग करनी चाहिये। भारतीय उच्चायोग में मंत्री समन्वय आसिफ़ इब्राहिम ने कहा कि भाषा एवं संस्कृति के बिना जीवन अधूरा है। इसे बचाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिये। उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी आनंद कुमार ने कथा यू.के. के प्रयासों की सराहना करते हुए विदेशों में हिन्दी के नाम पर हो रही गतिविधियों में गंभीरता और गुणवत्ता लाने की वक़ालत की।



कथा यू.के. के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा ने 15 वर्षों की कथा-यात्रा को याद करते हुए कहा कि मुंबई से शुरू हो कर हम ब्रिटेन की संसद तक पहुंचे हैं। अब हम अपनी गतिविधियों को नया विस्तार देना चाहते हैं। कथा यू.के. आने वाले दिनों में विदेशों में और भारत में हिन्दी भाषा और साहित्य से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही है। इससे विश्व स्तर पर हो रहे निजि प्रयासों की नई नेटवर्किंग सामने आएगी।

इस अवसर पर मोहन राणा ने सम्मान स्वीकार करते हुए अपनी नई कविताओं का पाठ किया। पुरस्कृत उपन्यास रेत उपन्यास पर सुशील सिद्धार्थ एवं मोहन राणा के काव्य संकलन धूप के अन्धेरे में पर गोबिन्द प्रसाद के आलेखों का पाठ किया गया। इंदु शर्मा की पुत्री दीप्ति कुमार ने भगवानदास मोरवाल और ललित मोहन जोशी ने मोहन राणा का परिचय दिया। मधु अरोड़ा (मुंबई) ने कथा यू.के. 15 वर्षों की यात्रा का विवरण दिया। सरस्वती वंदना जटानील बैनरजी ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन किया सनराइज़ रेडियो के लोकप्रिय कलाकार रवि शर्मा ने।

कथा यू.के. के इस आयोजन में हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, गुजराती एवं अंग्रेज़ी भाषा के लेखक बड़ी संख्या में शामिल हुए। पूर्व पद्मानंद सम्मान विजेता डा. गौतम सचदेव, दिव्या माथुर एवं गोविन्द शर्मा के अतिरिक्त समारोह की गरिमा बढ़ाने के लिये मौजूद थे सर्वश्री मधुप मोहता, प्रो. अमीन मुग़ल, प्रो. जगदीश दवे, बलवन्त जानी (भारत), के.सी. मोहन (प्रलेस - पंजाबी), डा. इतेश सचदेव (सोआस विश्विद्यालय), कैलाश बुधवार, डा. नज़रूल इस्लाम, अचला शर्मा, वेद मोहला, ग़ज़ल गायक सुरेन्द्र कुमार एवं इन्द्र स्याल, इलाहबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर नारायण सक्सेना, अनुज अग्रवाल (सूर्यास्त्र प्रकाशन), डा. हबीब ज़ुबैरी, महेन्द्र दवेसर, जय वर्मा, डा. महीपाल वर्मा, विभाकर बख़्शी एवं रमेश पटेल।


प्रस्तुति- दीप्ति कुमार (संयोजक– कथा यू.के. सम्मान समिति)

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6 पाठकों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

भगवानदास मोरवाल और मोहन राणा जी को बधाई.

शरद कोकास का कहना है कि -

भगवानदास मोरवाल जी और कवि मित्र मोहन राणा को बधाई.शरद कोकास दुर्ग

Manju Gupta का कहना है कि -

गरिमामय सम्मान के लिए भगवान दास मोरवाल और मोहन राणा जी को कोटी- कोटी
बधाई. टोनी मैक्नेली के विचार हमें प्रेरणा देते है.फोटो ने नये व्यक्तित्व से मुलाकात करवाई .

Disha का कहना है कि -

भई हमारी और से भी सम्मान के लिये बधाई.

Anonymous का कहना है कि -

ये साहित्य नहीं दुकान्दारी हैं. लिखने वाले भी और ये London dream दिखाने वाले भी. ये साहित्य के दलाल लोग है और ये जो इन्हें छाप रहे है ये अनुदान के लालच में इन्हें सर आंखो पर उठा रखा हैं आपने हिम्मत दिखाई है.आप को बधाई . अब हम सभी को मिल कर इन तमाम दलालों को सहित्य से दूर फ़ेंकना हैं.

Anonymous का कहना है कि -

NAKALI GHODE PAR DANV

15th Indu Sharma samman ke liye Shri Tejender Sharma ji ko Badhai.

Is baar yeh samman Shri Bhagawan Das Moraval ko diya gaya, jinake baare me report me kaha gaya ki voh kisi karan se nahi aa paaye. Yadi Tejender ji pathakon ko sach bata dete to Morwal ko yah samman dene se samman ki jo GARIMA ghati voh aur nahi ghatati.

Morwal ji isliye London nahi ja paye kyonki unake khilaph Department se NGOs ko diye jaane vaale ANUDAN KE CORES OF RUPEES KE GHOTALE KA KES CHAL RAHA HAI. Ek lekhak ko karm aur jeevan me Imandar hona chahiye. Jeevan ka chhadma rachana me nahi hoga? Samman ki ghoshna ke bad se Indu Sharma ki Atma par kya bit rahi hogi!

Ek Karmchari
Samaj Kalyan Vibhag,
Institutional Area,
Qutab Enclave,

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