Thursday, December 17, 2009

बच्चों के सीखने की प्रक्रिया का भाषा विशेष से गहरा संबंध

‘समझ का माध्यम’ के मुद्दे पर एनसीईआरटी की गोष्ठी में रखे गए ये विचार

17 दिसम्बर, 2009 । नई दिल्ली
एनसीईआरटी के भाषा विभाग ने समझ का माध्यम: शृंखला की समीक्षा पर 16 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया।

बच्चों की समझ के माध्यम को ध्यान में रखते हुए इस गोष्ठी में शिक्षक की तैयारी, अकादमिक और प्रशासनिक तैयारी तथा सामाजिक तैयारी और मीडिया की भूमिका संबंधी मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा हुई। गोष्ठी की शुरूआत करते हुए प्रो. कृष्ण कुमार, निदेशक एनसीईआरटी ने कहा कि पढना लिखना सीखने की पूरी प्रक्रिया के केन्द्र में भाषा है। भाषा का विस्तार अन्य विषयों के साथ जुड़ने से होता है। इसलिए सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चे की समझ कैसे और किस भाषा में बनती है इस पर ध्यान देना होगा।

अकादमिक तैयारी को ध्यान में रखते हुए श्री रोहित धनकर ने कहा कि हमें भाषा सीखने से जुडे़ हिन्दी में कई तरह के शोध करने की ज़रूरत होगी। ये शोध स्थानीय सर्दभों को ध्यान में रखते हुए किये जाने चाहिए।

शिक्षक की तैयारी पर बल देते हुए प्रो. अनीता रामपाल ने कहा कि हमें शिक्षक प्रशिक्षण संबंधी पाठ्यक्रमों मे बड़े स्तर पर बदलाव करना होगा। अभी तक पाठ्यक्रमों में भाषा समस्या के रूप में पढ़ी जाती रही है। इस मानसिकता को पूरी तरह उलटते हुए सेवापूर्व और सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों मे हिन्दी भाषा से संबंधित भ्रान्तियों का भी निराकरण करना होगा।

प्रो. अरूण कमल ने सामाजिक तैयारी और मीडिया की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि अंग्रेजी ही सफलता का एकमात्र साधन नही हैं, यह बात हमें अभिभावकों और समुदायों तक पहुँचाना ही होगा। इसके लिए हमें मीडिया के साथ मिलकर एक योजना के तहत अभिभावकों और समुदाय के साथ लगातार संवाद करना होगा।

समापन सत्र में इस बात पर विशेष चर्चा हुई कि उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए समझ का माध्यम संबंधी अवधारणा को विश्व विद्यालयों तक पहुँचाना होगा। इसके लिए पढना लिखना सीखने के साथ-साथ परीक्षा के माध्यम के रूप में भी हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को शामिल करना होगा।

इस चर्चा/परिचर्चा में विभिन्न विश्व विद्यालयों और संस्थाओं से आए शिक्षाविद - एस. रघुनाथन, एच. के. दीवान, शुभा राव, अपूर्वानन्द, मनीन्द्र नाथ ठाकुर,, कीर्ति जयराम, प्रेमपाल शर्मा, राजेश भूषण, शारदा कुमारी, ज्ञानदेव त्रिपाठी तथा एनसीईआरटी के रामजन्म शर्मा, संध्या सिंह, कीर्ति कपूर तथा ए. के मिश्रा इत्यादि शामिल हुए।

इससे पहले एनसीईआरटी इस शृंखला को पटना, वाराणसी और उदयपुर में आयोजित कर चुकी है। दिल्ली में आयोजित यह गोष्ठी उनकी समीक्षा थी।

डॉ. संध्या सिंह
रीडर, भाषा विभाग
एनसीईआरटी