Friday, March 12, 2010

साहित्य कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता : विजय बहादुर सिंह

विजय वर्मा कथा सम्मान तथा हेमंत स्मृति कविता सम्मान में जुटे दिग्गज रचनाकार

मुंबई : "यह सच है कि सभ्यता का ज्यों-ज्यों उत्कर्ष होता जाता है, मनुष्य उतना ही अकेला पड़ता जाता है इसलिये साहित्य का दायित्व भी उतना ही बढ़ता जाता है। ऐसे में कोई कुछ भी कहे कविता और साहित्य कभी अप्रसांगिक नहीं हो सकते बल्कि दिन-दिन उनका महत्व बढ्ता ही जाएगा। इस दृष्टि से हेमंत फ़ाउंडेशन के काम को मैं अत्यन्त महत्वपूर्ण मानता हूँ और उनके जज्बे का सम्मान करता हूँ।" ये उदगार भारतीय भाषा संस्थान के निदेशक डा. विजय बहादुर सिंह ने 23 जनवरी 2010 शनिवार को श्री राजस्थानी सेवासंघ प्रांगण में हेमंत फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित विजय वर्मा कथा सम्मान एवं हेमंत स्मृति कथा सम्मान समारोह में व्यक्त किए।
साहित्यकारों, टी.वी. अभिनेताओं, साहित्यप्रेमियों तथा मीडिया, प्रेस से संलग्न तथा लखनऊ से विशेष रुप से आए तद्‍भव के संपादक अखिलेश एवं भोपाल से आए राजेश जोशी भी उपस्थित थे। जनसमूह से भरे खुले प्रांगण में तालियों की गडगडाहट के बीच वर्ष २०१० का विजय वर्मा कथा सम्मान राजू शर्मा को उनके उपन्यास 'विसर्जन' तथा हेमंत स्मृति कविता सम्मान राकेश रंजन को उनके कविता संग्रह 'चांद में अटकी पतंग' के लिए कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि विजय बहादुर सिंह ने प्रदान किया। उन्होंने सम्मानित उपन्यासकार एवं कवि को ग्यारह हजार की धनराशि,शाल, श्री फ़ल, स्मृति चिन्ह ,पुष्प गुच्छ प्रदान करते हुए अपना हर्ष व्यक्त किया।
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन के साथ पुष्पगुच्छ एवं शाल भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया गया। एवं कवि तथा गीतकार हरिश्चन्द्र ने भावविभोर होकर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष विनोद टीबडेवाला श्री राजस्थानी सेवा संघ ,एवं चांसलर श्री जगदीश प्रसाद झाबरमल टीबडेवाला विश्व विधालय झुंझनू ने कहा कि '' उन्होंने हेमंत फ़ाउंडेशन को अपने झुंझनु स्थित विश्वविधालय का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विभाग बनाया है। इसके अंतगर्त वे पुरस्कार समारोह, साहित्यिक गोष्ठियां एवं पुस्तकों का लोकार्पण का आयोजन भी किया करेंगे। संस्था की प्रबंधन्यासी,कथा लेखिका संतोष श्रीवास्तव ने अपने बीज वक्तव्य में कहा- '' हेमंत स्मृति कथा सम्मान राकेश रंजन को देते हुए मैं अत्यन्त हर्षित हूं कि मुझे आज एक और हेमंत मिल गया। आज जब धर्म के नाम पर आतंक ने तमाम देशों के विश्वास और संस्कृति को कुचला है, राकेश रंजन ने अपनी कविताओं में संप्रदायवाद के विरुद्व बडी पैनी बानगी प्रस्तुत की है।"
समारोह में राजू शर्मा के उपन्यास''विसर्जन'' पर डा. राजम नटराजम पिल्लै ने अपना आलोचनात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किया। राकेश रंजन के कविता संग्रह ''चांद में अट्की पतंग'' के लिए प्रमिला वर्मा ने समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि राकेश की कविताओं में चांद की भरमार है। चांद को केन्द्र में रखकर लिखी कविता 'चांद से' विलक्षण कविता है। उनकी अन्य कविताओं में पशु-पक्षियों की सघन उपस्थिति गहरी मानवीय संवेदना का परिचायक हैं।
विशेष रूप से इस समारोह में आए प्रभु जोशी ने कहा ''कितने ही महानगरीकरण के शीर्ष पर पहुंचते व्यवस्थाएं अन्तर्विरोध पैदा हो जाएं बावजूद इसके कविता मौजूद रहेगी। विसर्जन मैनें पढा नहीं है पर इतना कह सकता हूं कि रचना किस वजह से कितनी पसंद होती है यह पाठकों की रुचि पर निर्भर है।''
पुरस्कृत रचनाकारों ने अपने वक्तव्यों में अपनी रचना प्रक्रिया, प्रतिबद्वता और सरोकारों को स्पष्ट किया। पुरस्कार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए राजू शर्मा ने कहा-'' मौजूदा परिस्थितियों में इतना जोखिम उठाकर साहित्यिक काम में यह संस्था लगी है। सम्मानों का महत्व तो होता है कि वह इस बहाने पाठ्कों तक लेखकों को पहुंचाता है।''
राकेश रंजन ने संस्था के प्रति आभार व्यक्त किया। और संग्रह की कुछ कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वनाथ सचदेव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा-'' कि सम्मान के रूप में साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार १२ वर्षों से हेमंत फ़ांउडेशन तमाम दिक्कतों के बावजूद सक्रिय है, यह बहुत महत्वपूर्ण है।''
समारोह में कार्यक्रम का संचालन कवि आलोक भट्टाचार्य ने किया। सभी का आभार टी.वी. कलाकार सोनू पाहूजा ने व्यक्त किया।

संतोष श्रीवास्तव