Saturday, April 24, 2010

"नयी चुनौतियां और वैकल्‍पिक मीडिया" विषयक परिसंवाद

उदयपुर । 23 अप्रैल

आवारा पूंजी की मीडिया पर पकड़ मजबूत हुई है और इस पकड़ ने खबर को मनोरंजन में बदल दिया है। राहुल महाजन, मल्‍लिका शेरावत या राखी सावंत जैसे चरित्रों का मीडिया सुर्खियों में होने के कारण भी यही है। मनोरंजन की प्रवृत्ति स्‍थिर नहीं है। अतः ये चरित्र भी तेजी से बदलते और आते जाते है।

जनार्दनराय नागर राजस्‍थान विद्यापीठ विश्‍वविद्यालय के जनपद विभाग और मीडिया अध्‍ययन केन्‍द्र के साझे में हुए ‘‘नयी चुनौतियाँ और वैकल्‍पिक मीडिया'' विषय पर सुप्रसिद्ध पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी ने अपने व्‍याख्‍यान में कहा कि मनुष्‍यता की पहचान और हिंसा रहित समाज के लिए वैकल्‍पिक मीडिया की जरूरत हमेशा बनी रहेगी। उन्‍होंने कहा कि सीमान्‍त लोगों के बारे में पत्रकारिता ही वैकल्‍पिक पत्रकारिता है जो समाज में सामान्‍य मनुष्‍य की भागीदारी बढ़ाने की जिम्‍मेदारी लेती है। उन्‍होंने वर्तमान दौर को आंदोलन विहीन समय बताते हुए कहा कि टीवी और इंटरनेट जैसे नये माध्‍यमों के दबाव से अखबार भी वैकल्‍पिक मीडिया का हिस्‍सा होते जा रहे है। चतुर्वेदी ने विश्‍व मीडिया के प्रमुख चैनलों, समाचार पत्रों एवं वेब साइट्‌स की चर्चा करते हुए कहा कि पूंजी और मीडिया का गठजोड़ स्‍वतः नहीं टूटेगा इसके लिए छोटे छोटे प्रयासों की निरन्‍तरता जरूरी है।

परिसंवाद में मीडिया विष्‍ोषज्ञ डॉ. माधव हाड़ा ने कहा कि परिवर्तन की गति से तकनीक ने बेहद तेज कर दिया है और इसके भाषाई साहित्‍यिक अंतर्क्रियाएं बढ़ रही है। उन्‍होंने कहा कि मीडिया बदलते समय के साथ रूप और वस्‍तु में खुद से तेजी से बदलने में सक्षम है लेकिन साहित्‍य ऐसा नहीं कर पाता। उन्‍होंने मीडिया को सम्‍मोहक और वर्चस्‍वकारी बताते हुए कहा कि मीडिया अपने बारे में स्‍वयं भी कई मिथक गढ़ता है। डॉ. हाड़ा ने कहा कि मीडिया में जब तक बूढ़े आदिवासी और गरीबों को समुचित स्‍थान नहीं मिलता, वैकल्‍पिक मीडिया की जरूरत बनी रहेगी। उन्‍होंने इसके लिए वैकल्‍पिक माध्‍यमों को भी तकनीक सम्‍पन्‍न होने की जरूरत बताई। आयोजन में मीडिया अध्‍ययन केन्‍द्र के समन्‍वयक डॉ. पल्‍लव ने लघु पत्रिकाओं का संदर्भ देते हुए कहा कि मीडिया में सच्‍चे जन पक्ष का निर्माण करने में इन पत्रिकाओं की बड़ी भूमिका है।

उन्‍होंने मीर्डिया की पष्‍चिमोन्‍मुखी को भारतीय समाज के लिए प्रतिकूल बताते हुए कहा कि अपने पड़ौसी और एशियाई देशों में दिलचस्‍पी बढ़ाना हमारे लिए अधिक प्रासंगिक है। उन्‍होंने देश के पूर्वोत्‍तर एवं दक्षिणी राज्‍यों की मीडिया में अनुपस्‍थिति को भी चिंताजनक बताया। परिसंवाद में डॉ. लक्ष्‍मीनारायण नन्‍दवाना, डॉ. निलेष भट्ट, और पत्रकार हिम्‍मत सेठ ने भी अपने विचार व्‍यक्‍त किए।



अध्‍यक्षता कर रहे लोक शिक्षण प्रतिष्‍ठान के निदेशक श्री सुशील कुमार ने कहा कि टीआरपी को नियंत्रित करने की शक्‍ति पाठकों और दर्शकों के हाथों में है। इस शक्‍ति का उपयोग करते हुए मीडिया की विकृतियों से लड़ना होगा। उन्‍होंने कहा कि छोटे अखबारों-चैनलों को हाशिए के लोगों के स्‍वरों को जगह देने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए ताकि उनकी भी सार्थकता सिद्ध हो सके। आयोजन में मीडिया अध्‍ययन केन्‍द्र के विधार्थी, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्‍थित थे। अंत में जनपद के कार्यक्रम निदेशक श्री पुरूषोतम शर्मा ने आभार व्‍यक्‍त किया।

शब्‍बीर हुसैन
जनसम्‍पर्क अधिकारी