Sunday, April 25, 2010

सामाजिक संस्थाओं के लिये नैतिक मूल्य व नियम आवश्यक- प्रो॰ रोनाल्ड डिसूजा

डॉ. मोहनसिंह मेहता व्याख्यान माला



उदयपुर। वर्तमान लोक तांत्रिक व्यवस्था की अनेक खूबियों के बावजूद वैश्वीकरण एंव उपभोक्तावाद ने रहजन, लुठेरों एंव शोषक वर्ग को बढावा दिया हैं। लेकिन नैतिक नियमों एव उच्च आदर्शो को व्यवहार एंव आदत में लाकर वंचित वर्ग के लिये कार्य कर रही संस्थाओं ने रहबर, पथ-प्रदर्शक व समाज को दिशा देने वाले व्यक्तियों एंव समूहों का भी सृजन किया हैं। उक्त विचार शिमला स्थित इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ एडवान्स स्टडी के निदेशक एंव विश्व-विख्यात राजनीतिक सामाजिक चिन्तक प्रो. पीटर रोनाल्ड डिसूजा ने डा. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, सेवा मंदिर एंव विद्या भवन द्वारा आयोजित डा. मोहनसिंह मेहता व्याख्यान माला में व्यक्त कियें।

प्रो. डिसूजा ने कहा कि केवल मात्र स्वयं सेवी संस्था बनकर कार्य करना ही पर्याप्त नहीं है। गैर सरकारी संस्था होने से समाज को दिशा नही दी जा सकती वरन उसके लिये नैतिक रूप से समर्थ मूल्य आधारित संस्थाएँ समाज को उन्नति के मार्ग पर ले जाने में समर्थ होगी। संस्थाओं में समाज व सम्पदा के प्रति मूल्य परक न्यासी भाव आवश्यक है। सामाजिक नवाचार न्यासी भाव के बिना सम्भव नहीं है। हमारे बुद्विजीवियों, राजनितिज्ञों एंव सामाजिक क्षेत्र में लोगों की कथनी व करणी का फर्क मिटाते हुये आम व गरीब लोगों के बीच प्रत्यक्ष रूप से रहकर कार्य करना होगा। लोगों में व्यक्तिगत नैतिक मूल्यों को बढ़ाने से सामूहिक नैतिकता को बल मिलेगा परिणाम रूवरूप लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में सुधार होगा। उन्होंने आगे कहा कि समाज को दिशा देने वाले कार्यकता एवं लोकसेवक स्वयं पर नियंत्रण रखते हुये नैतिक एंव मानवीय मूल्य बनाये रखे। प्रश्नोत्तर देते हुये प्रो. पीटर ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन के दौर में नैतिक मानवीय मूल्यों को लाना चुनौती पूर्ण है कि किन्तु इन्हे व्यवस्थाओं में लाना होगा। स्व. पद्य विभूषण डा. मोहनसिंह मेहता की तरह समाज सेवा का जूनून पैदा करना होगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवामंदिर के अध्यक्ष अजय मेहता ने करते हुये नैतिक एंव मूल्य आधारित मजबूत संस्थाओं ही लोक सेवा हेतु जरूरत बतलाई।



प्रारम्भ में ट्रस्ट अध्यक्ष विजय एस. मेहता ने अतिथियों का स्वागत करते हुयें डा. मेहता द्वारा स्थापित स्वैच्छिक मूल्यों एवं संस्थाओं पर प्रकाश डाला।

धन्यवाद ज्ञापित करते हुये विद्या भवन के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने कहा रहबर स्वयं को जला कर औरों को रास्ता दिखाता है। हजन औंरो को जलाकर अपना रास्ता बनाता है।

रहजन, रहबर और भारतीय प्रजातंत्र की कार्य प्रणाली विषयक व्याख्यान में सेल के पूर्व अध्यक्ष पी. एल. अग्रवाल, प्रन्यासी मोहनसिंह कोठारी. प्रो. अरूण चतुर्वेदी, प्रो. संजय लोढा, जयसिंह डूंगरपुर कुवर शिवरती,, नीलिमा खेतान, नन्दकिशोर शर्मा, एस. पी. गोड, हुकुमराज मेहता, प्रो. एम. एस. अगवानी, शेर सिंह मेहता, मो. याकुब सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

व्याख्यान का संयोजन सेवामंदिर की सचिव प्रियंका सिंह ने किया।

नितेश सिंह कच्छावा