Friday, August 27, 2010

शिक्षाविद् वेद मोहला (एम.बी.ई.) की दो पुस्तकों का लंदन में लोकार्पण


(बाएं से बैठे हुएः श्री कैलाश बुधवार, श्री वेद मोहला (एम.बी.ई.), डा. अरुणा अजितसरिया (एम.बी.ई.)। खड़े हुए – उषा राजे सक्सेना, तेजेन्द्र शर्मा, माइकल वार्ड एवं आनंद कुमार)

कथा यू.के. एवं एशियन कम्‍यूनिटी आर्ट्स ने 23 अगस्त 2010 की शाम 6:30 बजे वरिष्ठ शिक्षाविद् वेद मित्र मोहला, (एम.बी.ई.) की दो पुस्तकों आई जी सी एस ई हिन्दी एवं इक्कीसवीं सदी का बाल साहित्य का लोकार्पण समारोह लंदन के नेहरू केन्द्र में आयोजित किया। पुस्तकों का लोकार्पण श्री कैलाश बुधवार (भूतपूर्व अध्यक्ष बीबीसी हिन्दी विभाग) एवं ब्रिटेन में हिन्दी परीक्षक डा. अरुणा अजितसरिया के हाथों सम्पन्न हुआ।
यूके हिन्दी समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती उषा राजे सक्सेना ने वेद जी के व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं से श्रोताओं का परिचय करवाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार तीस वर्षों से भी अधिक समय से वेद जी अपना समय और पैसा ख़र्च करके ब्रिटेन के बच्चों को हिन्दी पढ़ा रहे हैं। उन्होंने मोहला जी की प्रकाशित कृतियों एवं उनको मिले अलग अलग सम्मानों की भी चर्चा की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कथाकार तेजेन्द्र शर्मा (महासचिव, कथा यूके) ने कहा कि एक सिविल इंजीनियर की तरह कैलाश जी ने ब्रिटेन में हिन्दी भाषा सिखाने की नींव रखी है। पैंतीस साल से बिना किसी लाभ की आशा के हिन्दी के भवन को सुदृढ़ बना रहे हैं और साथ ही साथ भारत और ब्रिटेन के बीच एक भाषाई पुल का निर्माण भी कर रहे हैं।



श्री कैलाश बुधवार ने वेद मोहला जी को एक ऐसा मातृभाषा प्रेमी बताया जिसने विदेशी कंक्रीट के जंगल में एकलव्य की तरह हिन्दी की अराधना की है और एक सिविल इन्जीनियर होने के कारण हिन्दी पढ़ाने वाले पंडितनुमा अंगोछे वाली छवि को बदला।
श्रीमती अरुणा अजितसरिया के अनुसार इस पुस्तक में आई जी सी एस ई के पाठ्यक्रम के साथ- साथ मारिशस एवं सिंगापुर के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में निर्धारित 'अनुवाद' तथा 'शब्दों के समुचित प्रयोग' के पाठ भी सम्मिलित किए गए हैं। पुस्तक के अंतिम भाग में हिंदी का लघु शब्‍दकोष, जिसमें लगभग 2400 शब्दों के अर्थ दिए गए हैं, विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा। इसके अतिरिक्त प्रश्नपत्रों का नियोजन परीक्षा के लिए अपेक्षित जानकारी की तैयारी करने में सहायक होगा। इस प्रकार से इस एक पुस्तक में उन्हें परीक्षा की तैयारी करने की समस्त सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। अपने प्रस्तुत रूप में यह पुस्तक अहिंदी- भाषी विद्यार्थियों को हिंदी सीखने में सहायक होगी।
दि फ़ार पैवेलियन (वेस्टेण्ड नाटक) के लेखक, निर्माता एवं निर्देशक माइकल वार्ड ने अपने हिन्दी प्रेम के बारे में साफ़ हिन्दी में बोलते हुए कहा, "मैं एक लेखक और प्रोड्यूसर हूं और मुझे इतनी ख़ुशी है कि मुझे भारतीय फ़िल्मकारों की अगली पीढ़ी के साथ काम करने को मिल रहा है। ये नये फ़िल्म निर्माता युवा पीढ़ी के हैं, उनमें टेलेण्ट है और ये ज़्यादा से ज़्यादा अपना समय फ़िल्म निर्माण एवं कहानी दिखाने एवं स्क्रीनप्ले की कला को समझने में मेहनत लगा रहे हैं।"


(बाएं से श्री कैलाश बुधवार, श्री वेद मोहला एमबीई, श्रीमती मोहला, डा. अरुणा अजितसरिया, एमबीई)।

श्री कैलाश बुधवार द्वारा लिये गये साक्षात्कार के दौरान वेद मोहला जी ने कहा, "मैं 1979 में एक सामाजिक कार्यक्रम में सपरिवार गया। मेरे पांच वर्षीय पुत्र ने एक महिला रेणुका बहादुर के पूछने पर बताया कि वह हिन्दी बोल तो सकता है, परन्तु लिख-पढ़ नहीं सकता। उन्होंने आगे पूछा कि क्या लिखना-पढ़ना भी चाहोगे, तो बच्चे ने उत्साहपूर्वक कहा: 'हां, अवश्य, यदि मेरे पिताजी आज्ञा दें।' आज्ञा लेने जब रेणुका बहादुर मेरे पास आईं, तो न जाने क्यों मेरे मुंह से निकल गया, "हिन्दी सिखाने के लिए इसे साथ लाना तो क्या, मैं स्वयं भी पढ़ाने के लिए आ सकता हूं।" उस वाक्य ने मेरे जीवन की दिशा ही बदल डाली। न केवल तब हिन्दी विद्यालय की नींव पड़ी, बल्कि तब से जीवन का प्रत्येक रविवार हिन्दी अध्यापन के लिए समर्पित हो गया और मैं एक अध्यापक बन गया। "
वेद मोहला जी के दो विद्यार्थियों ने चिल्ड्रन्स लिटरेचर इन दि टवैण्टी फ़र्स्ट सेंचुरी पुस्तक के अंशपाठ किये।

कार्यक्रम में वेद मोहला जी के छात्र एवं चाहने वालों के साथ साथ भारतीय उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री आनंद कुमार, डा. श्याम मनोहर पांडेय, डा. गौतम सचदेव, सोहन राही, दिव्या माथुर, डा. पद्मेश गुप्त, इंदर स्याल, के.बी.एल. सक्सेना, मंजी पटेल वेखारिया, गुरप्रीत कौर, यादव चन्द्र शर्मा आदि उपस्थित थे।