Sunday, September 26, 2010

बाजार की व्‍यवस्‍था में व्‍यक्‍ति उपभोक्‍ता बनता जा रहा है- डॉ. राजेश टंडन



उदयपुर 20 सितम्‍बर, विकास की वर्तमान धारा ने जनता को लाभार्थी बना दिया है एवं बाजार की व्‍यवस्‍था में व्‍यक्‍ति उपभोक्‍ता बनता जा रहा है। प्रजातांत्रिक भारत में नागरिकता ओजल हो रही है। ऐसी चूनौतिपूर्ण अवस्‍था में नागरिक संस्‍थाओं एवं स्‍वयं सेवी क्षेत्र की मूल्‍य आधारित मजबूती आवश्‍यक है। उक्‍त विचारवाणी नयी दिल्‍ली के पूर्व अध्‍यक्ष समाज विद्‌ डॉ. राजेश टंडन ने सेवामंदिर, कासा एवं डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्‍ट द्वारा आयोजित ‘‘नये परिवेश में स्‍वैच्‍छिक प्रयासों की सार्थकता'' विषयक भाषण में कहा कि सरकार से व्‍यवस्‍था एवं नागरिक अधिकारों की मांगों के मध्‍य समाज परिवर्तन के मूल लक्ष्‍यों को नहीं भूलें डॉ. टंडन ने आगे कहा कि आने वाली पीढ़ियों के दौर में लोकतंत्र कैसा होगा? जनतंत्र मात्र सरकारी स्‍तर पर ही नहीं वरन देश की गलियों और समाज में परिलक्षित होना चाहियें। नागरिक अधिकारों के साथ स्‍वयं सेवी क्षेत्र को नागरिक दायित्‍व के पाठ से भी समाज को रूबरू करवाना चाहिये।
सेवामंदिर के अध्‍यक्ष अजय मेहता ने स्‍वागत भाषण देते हुए स्‍वयं सेवी क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। पूर्व विदेश सचिव जगत मेहता ने कहा कि हमें अपनी विफलताओं से सिखने की जरूरत है।
समारोह के अध्‍यक्ष, जयन्‍त कुमार ने कहा कि संघर्ष और निर्माण आज की आवश्‍यकता है। प्रजातंत्र में जन संगठनों की स्‍थिति कमजोर हो रही है उसे बदलने की जरूरत है।
इससे पूर्व डॉ. टंडन की नागरिक अभिनन्‍दन किया गया। संयोजन ट्रस्‍ट सचिव नन्‍दकिशोर शर्मा ने किया।




प्रस्तुति- नितेश सिंह