Monday, May 30, 2011

भारत दिवस चीन में मनाया गया

चीन एवं भारत मैत्री को एक नया नारा “चिन्दुस्तान”




पेकिंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के तत्त्वावधान में आज भारत दिवस का आयोजन अत्यन्त बृहद् स्तर पर किया गया। इस आयोजन में चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों और अध्यापकों ने भाग लिया।

चीन के इतिहास में यह पहला अवसर है जब सभी विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभाग के छात्रों ने इतने बड़े पैमाने पर भाग लिया। प्रमुख विश्वविद्यालयों के अंतर्गत बेजिंग विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय, कम्युनिकेशन विश्वविद्यालय, शि`यान अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, लुओयांग विश्वविद्यालय, नानचिंग नॉरमल विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय विश्वविद्यालय युन्नान, नानचिंग संप्रेषण विश्वविद्यालय, विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय एवं क्वांगतुंग विदेशी विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, छात्रों एवं अन्य सहयोगियों ने इस विशेष भारत दिवस के ऐतिहासिक समारोह में भाग लिया।

यह उत्सव भारत और चीन के सौहार्द संबंधों में नए आयाम जुड़ने का शुभ संकेत है। भारत दिवस के उद्घाटन-सत्र की अध्यक्षता भारतीय अध्ययन केंद्र के हिन्दी विभाग के चेअरमैन प्रॉ. चियांग चिंग खुए ने की। भारत दिवस का उद्घाटन भारतीय दूतावास के काउन्सलर(राजनीति और संस्कृति) श्री अरुण साहू ने किया। इस अवसर पर प्रथमतः भारतीय राजदूत डॉ. एस. जयशंकर का विशेष वीडियो संदेश भी प्रस्तुत किया गया जिस में भारतीय राजदूत ने कहा कि आज का यह समारोह उन लोगों के लिए अत्यन्त विशिष्ट है जो भारत एवं चीन के अति प्रागैतिहासिक काल से चले आते हुए संस्कृति एवं सभ्यता के गठबन्धन को और अधिक गहरा और मजबूत बनाने के लिए प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि आज का दिवस इसलिए भी बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देशों की आर्थिक, समाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक पहलुओं पर सार्थक पहल हो रही है। भारतीय राज दूतावास के काउन्सलर(राजनीति एवं संस्कृति) श्री अरुण साहू ने कहा कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम चीन के शिक्षाविदों, विद्वानों एवं छात्रों की एक नयी पीढ़ी को नये भारत के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास से परिचित कराने एवं उनमें नयी समझ विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह वर्ष भारत में चीनी युवावर्ग के लिए नए अवसर प्रदान करेगा। भारत-चीन संबंधों के इस वर्ष को नया नाम दिया गया है: (Development of India: Opportunities for Chinese Youth) भारत का विकास चीनी युवावर्ग के लिए नए अवसर।

प्रॉ. चियांग चिंग खुए (हिन्दी विभाग एवं संकाय प्रमुख, पेकिंग विश्वविद्यालय) ने कहा कि भारत और चीन के संबंध पूर्व काल से ही सुदृढ़ है। आज का अवसर हमें इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाता है कि हिन्दी भारत की न केवल राष्ट्र भाषा है बल्कि यह प्रमुख जन संपर्क भाषा भी है। आज हिन्दी भाषा और चीनी भाषा को एक मंच पर एक साथ मिलना चाहिए। इस संबंध को चीन एवं हिंदुस्तान को मिलाकर “चिन्दुस्तान” नाम देना अधिक सार्थक है। हम आशा करते हैं कि चीन और भारत आगे आने वाले समय में “चिन्दुस्तानी” भाषा का व्यवहार करेंगे। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि हिन्दुस्तान में भी चीनी भाषा की पढ़ाई कॉलेज स्तर पर आरम्भ हो रही है। भारत दिवस के संगोष्ठी सत्र में प्रॉ. वांग पांक वे, प्रॉ. चियांग चिंग खुए, प्रॉ गअ फ़ु पिंग, श्रीमती थांग लू (संपादक शिनहुआ न्यूज़ एजन्सी), और प्रॉ. कुओ थोंग ने भाग लिया।

संगोष्ठी का समापन सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुआ जिसमें भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा मौलिक एवं सृजनशील संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इसके अंतर्गत चीनी छात्र छात्राओं द्वारा वसन्त गीत (आया वसन्त आया-राग बहार) तथा अनेक भारतीय वाद्यों के संयोग से एक वाद्यवृन्द (शिवप्रिया) भी प्रस्तुत किया गया। वाद्यवृन्द रचना पं. केशवतलेगाँवकर के निर्देशन में चीनी छात्रों द्वारा सितार एवं तबला के संयोजन से राग बिलावल में प्रस्तुत हुई । कुमारी मेघा एवं शुभ्रा द्वारा प्रस्तुत शारदावन्दना एवं वसन्त ऋतु गीत कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था। कार्यक्रम का आरम्भ श्रीमती उषा चन्द्रन की गणेश वन्दना से हुआ। सांस्कृतिक केन्द्र में कथक नृत्य का प्रशिक्षण ले रहे चीनी छात्राओं द्वारा गुरु वन्दना, ठुमरी, भजन एवं होली नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति की गई। श्रीमती विद्यारश्मि वैद्यनाथन ने संत पुरन्दर दास की एक भक्ति रचना को दक्षिण शैली में अत्यन्त मनोरम ढंग से प्रस्तुत किया। भारतीय दूतावास के श्री शंभु हक्की का सुगम संगीत चीनी श्रोताओं ने बहुत पसन्द किया। इस अवसर पर हिन्दी विभाग के डॉक्टर देवेन्द्र शुक्ल ने हिन्दी काव्य रचना का पाठ भी किया।

कार्यक्रम में भारतीय राज दूतावासके श्री राजीव सिन्हा, प्रतीक माथुर (निदेशक सांस्कृतिक केन्द्र), अभिषेक शुक्ल, प्रो. वांग पांग वे, प्रो. गअ फ़ु पिंग, चीन के अनेक विश्वविद्यालयों के हिन्दी छात्र छात्राओं, चीन और भारत के विशिष्ट पत्रकारों एवं समाचार एजेन्सियों के प्रतिनिधियों तथा विशिष्ट भारत विदों और हिन्दी विद्वानों ने भाग लिया।