मॉरीशस स्थित हिंदी लेखक संघ इस वर्ष अपनी ५० वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। वर्ष २०११ हिंदी लेखक संघ का साहित्यिक वर्ष घोषित किया गया है। हिंदी लेखक संघ की स्थापना ९ दिसंबर १९६१ में हुई थी। इसके ५० वर्षों के कार्यकाल में बहुत से उल्लेखनीय सृजनात्मक लेखन एवं साहित्यिक गतिविधियां आयोजित हुईं और मॉरीशस के साहित्य प्रेमी इनसे पूर्ण रूप से अवगत हैं। साहित्यिक संगोष्ठियां, कवि-सम्मेलन, नाटक-मंचन, साहित्यिक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन, पुस्तक प्रकाशन व लोकार्पण समारोह, पुस्तक प्रदर्शनी, ’बाल सखा’ पत्रिका का प्रकाशन, ’प्रकाश’ नामक पाक्षिक रेडियो कार्यक्रम तथा कर्मठ हिंदी सेवियों का सम्मान हिंदी लेखक संघ की गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं।
हिंदी लेखक संघ के संस्थापक स्वर्गीय डॉ.मुनीश्वरलाल चिंतामणी जी ने मॉरीशस के लेखकों के एक संघ की स्थापना करने का विचार किया था। उन्होंने कई उभरते लेखकों को आमंत्रित किया था। ९ दिसंबर १९६१ को मॉरीशस के अनेक लेखकों ने पोर्ट-लुईस (मॉरीशस की राजधानी) के नेओ कॉलेज में अपनी उपस्थिति दी थी। उन्हें संबोधित करते हुए चिंतामणी जी ने कहा था- "मॉरीशस में हिंदी साहित्य का यह शैशवकाल है। संघ का मुख्य उद्देश्य व्यवस्थित रूप से साहित्य-सृजन करना है। निकट भविष्य में अनेक लेखक, कवि, कहानीकार, उपन्यासकार तथा अनेक साहित्यकार पैदा करना है। मॉरीशस का गौरव लेखकों पर निर्भर है। वे देश के दीप-स्तंभ हैं।"
उसी दिन अर्थात ९ दिसंबर १९६१ को मॉरीशस हिंदी लेखक संघ की स्थापना हुई। पहली कार्य सारिणी समिति का गठन इस तरह हुआ- मान्य प्रधान- पं.बालमुकुंद द्विवेदी, प्रधान-पं.धर्मवीर घूरा, महामंत्री-डॉ.मुनीश्वरलाल चिंतामणी तथा कोषाध्यक्ष-श्री हनुमान दुबे गिरधारी। हिंदी लेखक संघ एक छोटी हिंदी संस्था के रूप में स्थापित हुई थी पर उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यह संस्था ५० वर्षों से अविरल साहित्य-सृजन करते हुए मॉरीशस की एक बडी साहित्यिक संस्था बन पाएगी और अपने अस्तित्व का इतिहास रच पाएगी।
संघ द्वारा साहित्य की अनेक विधाओं जैसे कविता, निबंध, कहानी, नाटक, लोक-कथा, लघु-कथा, इतिहास तथा बाल-कहानियों का प्रकाशन हुआ है। इस वर्ष भी साहित्य संगोष्ठी, नाटक-मंचन, पुस्तक प्रदर्शनी, रेडियो व टीवी कार्यक्रम आदि प्रस्तावित गतिविधियां हिंदी लेखक संघ आयोजित करेगा।
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