(बाएं से मोनिका मोहता, विरेन्द्र शर्मा – एम.पी., कैलाश बुधवार, ज़किया ज़ुबैरी, आनंद कुमार तेजेन्द्र शर्मा।)(लंदन – 18 जून, 2011), शैलेन्द्र एक नई दुनिया का सपना देखते हैं। उन्हें अपने वर्तमान से शिकायतें ज़रूर हैं मगर अंग्रेज़ी के कवि शैली की तरह वे भी सोचते हैं कि इक नया ज़माना ज़रूर आएगा। फ़िल्म बूट पॉलिश में शैलेन्द्र लिखते हैं “आने वाली दुनियां में सबके सर पर ताज होगा / ना भूखों की भीड़ होगी ना दुःखों का राज होगा / बदलेगा ज़माना ये सितारों पे लिखा है।”और यह सब वे बच्चों के मुंह से कहलवाते हैं - बूट पॉलिश करके पेट पालने वाले बच्चे जिन्हें “भीख में जो मोती मिले, वो भी हम ना लेंगे / ज़िन्दगी के आंसुओं की माला पहनेंगे।” यह कहना था प्रसिद्ध कथाकार एवं कथा यू.के. के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा का। वे नेहरू सेंटर, लंदन, एशियन कम्यूनिटी आर्ट्स एवं कथा यू.के. द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम आम आदमी की पीड़ा का कवि - शैलेन्द्र में अपनी बात कह रहे थे।
अपनी बात कहते तेजेन्द्र शर्मा तेजेन्द्र शर्मा का मानना है कि शैलेन्द्र क्योंकि एक प्रगतिशील कवि थे, उन्होंने फ़िल्मों में भी अपनी भावनाओं को फ़िल्मों के चरित्रों, परिस्थितियों, और अपने गीतों के माध्यम से प्रेषित किया। वे इस मामले में भाग्यशाली भी थे कि उन्हें राज कपूर, शंकर जयकिशन, हसरत जयपुरी, ख़्वाजा अहमद अब्बास और मुकेश जैसी टीम मिली। अब्बास की कहानी और थीम, राज कपूर का निर्देशन और अभिनय और शंकर जयकिशन के संगीत के माध्यम से शैलेन्द्र गंभीर से गंभीर मसले पर भी सरल शब्दों में गहरी बात कह जाते थे।
जिस देश में गंगा बहती है फ़िल्म के एक गीत में शैलेन्द्र गीतकार की परिभाषा देते हैं, “काम नये नित गीत बनाना / गीत बना के जहां को सुनाना / कोई ना मिले तो अकेले में गाना।” तो वहीं पतिता में यह भी बता देते हैं कि “हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं / जब हद से गुज़र जाती है ख़ुशी, आंसू भी निकलते आते हैं।”
तेजेन्द्र ने बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि कथाकार भीष्म साहनी का मानना था कि शैलेन्द्र के हिन्दी फ़िल्मों के जुड़ने से फ़िल्मी गीत समृद्ध होंगे और उनमें साहित्य का पुट जुड़ जाएगा। वहीं गुलज़ार का कहना है, “बिना शक़ शैलेन्द्र को हिन्दी सिनेमा का आज तक का सबसे बड़ा लिरिसिस्ट कहा जा सकता है। उनके गीतों को खुरच कर देखें तो आपको सतह के नीचे दबे नए अर्थ प्राप्त होंगे. उनके एक ही गीत में न जाने कितने गहरे अर्थ छिपे होते हैं।”
शैलेन्द्र को मिले सम्मानों के बारे में तेजेन्द्र शर्मा ने कहा, “हालांकि शैलेन्द्र ने अपना बेहतरीन काम आर.के. प्रोडक्शन्स के लिये किया, मगर उन्हें कभी उन गीतों के लिये सम्मान नहीं मिला। उन्हें तीन फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिले यह मेरा दीवानापन है (यहूदी), सब कुछ सीखा हमने, ना सीखी होशियारी (अनाड़ी), मैं गाऊं तुम सो जाओ (ब्रह्मचारी)। उनका कहना था कि इससे ज़ाहिर होता है कि उस ज़माने में गीत लेखकों की गुणवत्ता कितनी ऊंचे स्तर की रही होगी। शायद उसे भारतीय फ़िल्मी गीत लेखन का सुनहरा युग कहा जा सकता है जब शैलेन्द्र, साहिर, शकील, कैफ़ी आज़मी, मजरूह सुल्तानपुरी, राजेन्द्र कृष्ण, जांनिसार अख़्तर, राजा मेंहदी अली ख़ान, भरत व्यास, नरेन्द्र शर्मा, पण्डित प्रदीप, और हसरत जयपुरी जैसे लोग हिन्दी फ़िल्मों के लिये गीत लिख रहे थे। उस समय की प्रतिस्पर्धा सकारात्मक थी, जलन से भरपूर नहीं। हर गीतकार दूसरे से बेहतर लिखने का प्रयास करता था।
तेजेन्द्र शर्मा के अनुसार शैलेन्द्र, शंकर जयकिशन और राज कपूर की महानतम उपलब्धि श्री 420 है। इसके गीतों की विविधता और आम आदमी के दर्द की समझ शैलेन्द्र के बोलों के माध्यम से हमारी शिराओं में दौड़ने लगती है। “छोटे से घर में ग़रीब का बेटा / मैं भी हूं मां के नसीब का बेटा / रंजो ग़म बचपन के साथी / आंधियों में जले दीपक बाती / भूख ने है बड़े प्यार से पाला।” इस फ़िल्म में मुड़ मुड़ के ना देख, प्यार हुआ इक़रार हुआ, मेरा जूता है जापानी जैसे गीत एक अनूठी उपलब्धि हैं।
बचपन में ही अपनी मां को एक हादसे में खो चुके शैलेन्द्र पूरी तरह से नास्तिक थे। मगर फ़िल्मों के लिये वे “भय भंजना वन्दना सुन हमारी” (बसन्त बहार), “ना मैं धन चाहूं, ना रतन चाहूं” (काला बाज़ार), “कहां जा रहा है तू ऐ जाने वाले” (सीमा), जागो मोहन प्यारे (जागते रहो) जैसे भजन भी लिख सकते थे। उनका लिखा हुआ राखी का गीत आज भी हर रक्षाबंधन पर सुनाई देता है, “भैया मेरे, राखी के बंधन को निभाना।”
शैलेन्द्र ने अपना अधिकतर काम शंकर जयकिशन के लिये किया। मगर सचिन देव बर्मन, सलिल चौधरी, रौशन और सी. रामचन्द्र के लिये भी गीत लिखे। शैलेन्द्र के लेखन में वर्तमान जीवन के प्रति आक्रोश अवश्य है मगर मायूसी नहीं। विद्रोह है, क्रांति है, हालात को समझने की कूवत है मगर निराशा नहीं है – वे कहते हैं तूं ज़िन्दा है तू ज़िन्दगी की जीत पे यक़ीन कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर ।
अपने एक घन्टे तीस मिनट लम्बे पॉवर पॉइण्ट प्रेज़ेन्टेशन में तेजेन्द्र शर्मा ने जिस देश में गंगा बहती है, अनाड़ी, पतिता, संगम, श्री 420, जंगली, बूट पॉलिश, गाईड, काला बाज़ार, छोटी बहन, जागते रहो, छोटी छोटी बातें, आदि फ़िल्मों के गीत स्क्रीन पर दिखाए।
कार्यक्रम की शुरूआत में कथा यूके के फ़ाउण्डर ट्रस्टी सिने स्टार नवीन निश्चल को श्रद्धांजलि दी गई। नवीन निश्चल का हाल ही में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनकी फ़िल्म बुड्ढा मिल गया का गीत “रात कली इक ख़्वाब में आई.. ” उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप दिखाया गया। मंच पर श्री कैलाश बुधवार का कथा यू.के. के नये अध्यक्ष के रूप में स्वागत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन नेहरू सेंटर की निदेशिका मोनिका मोहता ने दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री विरेन्द्र शर्मा एवं काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी के अतिरिक्त श्री आनंद कुमार (हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी), श्री जितेन्द्र कुमार (भारतीय उच्चायोग), गौरी शंकर (उप-निदेशक, नेहरू सेंटर), कैलाश बुधवार, उषा राजे सक्सेना, के.बी.एल. सक्सेना, असमा सूत्तरवाला, रुकैया गोकल, अब्बास गोकल, वेद मोहला, अरुणा अजितसरिया, उर्मिला भारद्वाज, आलमआरा, निखिल गौर, दीप्ति शर्मा आदि शामिल थे।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
पाठक का कहना है :
Luckyland Casino (MI) - Visit The Strip
Luckyland is a beautiful casino and hotel located in the heart of the 영천 출장샵 country. Luckyland is a hotel, 남원 출장샵 casino and 제주 출장안마 hotel. It is owned 경상남도 출장마사지 by the MGM 안산 출장안마
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)