आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया का ३६ वां द्विदिवसीय अधिवेशन धनवटे सभागार(शंकर नगर,नागपुर) के महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा में गत २८ व २९ मई को संपन्न हुआ ।
पद्मश्री डा. श्याम सिंह ‘शशि’ ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया। डा. श्याम सिंह ‘शशि’ ने अपने उद्घाटन भाषण में गांधी,अम्बेडकर और भारतीय साहित्य के समग्र अवयवों पर विशद विचार व्यक्त किए। आथर्स गिल्ड के केन्द्रीय सचिव डा. शिव शंकर अवस्थी ने पूर्व महासचिव श्री राजेन्द्र अवस्थी को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों एवं संस्था के राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का लेखा-जोखा एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा संस्था के दो नए अध्याय नागपुर और आगरा में बन जाने से इसकी शक्ति और क्षमता बढ़ जाने की जानकारी दी।
चैन्ने चैप्टर के अध्यक्ष बाला सुब्रमण्यम ने प्रथम सत्र की अध्यक्षता की प्रथम सत्र की गोष्ठी का विषय था ‘गांधी दर्शन और हिन्दी कविता’ इसमें बीज व्याख्यान डा. हीरा लाल बछौतिया ने दिया। डा.अहिल्या मिश्र ने इस सत्र की अध्यक्षता की । डा. सविता चड्ढा (नई दिल्ली) और मीना खोंड(हैदराबाद) ने अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए । डा. अहिल्या मिश्र ने अपने अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए कहा कि गांधी दर्शन पर आधृत रचनाकारों की रचनाओं की विशेष व्याख्या प्रस्तुत की गई है ।यह युगानुरूप व्याख्या थी । तीसरे सत्र में‘डा. भीम राव अम्बेडकर साहेब और हिन्दी कविता” विषय पर प्रपत्र प्रस्तुत किए गए ।इसमें नागपुर विश्व विद्यालय की प्रो. वीणा दाढ़े ने बीज व्याख्यान दिया ।चैन्ने से पधारे श्री सेतुरमण जी ने इस सत्र की अध्यक्षता की।
चतुर्थ सत्र में ‘बाबा साहेब अम्बेडकर और हिन्दी कथा साहित्य पर आधारित दो वक्ताओं ने प्रपत्र प्रस्तुत किए गए । इसकी अध्यक्षता डा. रमा द्विवेदी ,हैदराबाद ने की। डा.श्याम सिंह शशि ने बीज व्याखयान दिया। संचालन नागपुर अध्याय की सदस्या मधु गुप्ता ने किया ।डा.रमा द्विवेदी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि- ``1935 में नासिक जिले के भेवले में आयोजित महार सम्मेलन में ही अम्बेडकर ने घोषणा कर दी थी कि- ‘‘आप लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं धर्म परिवर्तन करने जा रहा हूँ। मैं हिन्दू धर्म में पैदा हुआ, क्योंकि यह मेरे वश में नहीं था लेकिन मैं हिन्दू धर्म में मरना नहीं चाहता। इस धर्म से खराब दुनिया में कोई धर्म नहीं है इसलिए इसे त्याग दो। सभी धर्मों में लोग अच्छी तरह रहते हैं पर इस धर्म में अछूत समाज से बाहर हैं। स्वतंत्रता और समानता प्राप्त करने का एक रास्ता है धर्म परिवर्तन। यह सम्मेलन पूरे देश को बतायेगा कि महार जाति के लोग धर्म परिवर्तन के लिये तैयार हैं। महार को चाहिए कि हिन्दू त्यौहारों को मनाना बन्द करें, देवी देवताओं की पूजा बन्द करें, मंदिर में भी न जायें और जहाँ सम्मान न हो उस धर्म को सदा के लिए छोड़ दें।’’
अम्बेडकर की इस घोषणा पश्चात ईसाई मिशनरियों ने उन्हें अपनी ओर खींचने की भरपूर कोशिश की और इस्लाम अपनाने के लिये भी उनके पास प्रस्ताव आये। कहा जाता है कि हैदराबाद के निजाम ने तो इस्लाम धर्म अपनाने के लिये उन्हें ब्लैंक चेक तक भेजा था पर अम्बेडकर ने उसे वापस कर दिया।
डा. अम्बेडकर ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ नागपुर में ही बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। वास्तव में वे हिन्दुत्व में रहकर ही मरना चाह्ते थे’।
२८ मई को सायं ६ बजे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हुआ । इसकी संयोजिका डा. सरोजिनी प्रीतम थीं। श्री सेतुरमण इसके अध्यक्ष ,डा अहिल्या मिश्रा विशेष अतिथि ,डा. शिव शंकर अवस्थी महसचिव एवं नागपुर अध्याय के संयोजक श्री नरेन्द्र परिहार ‘एकान्त’ मंचासीन हुए । इस काव्य संध्या में विभिन्न रसयुक्त एवं विविध विषयों की रचनाएं पढी गईं और उपस्थित सभी लोग काव्यधारा से अभिसिक्त हो आनन्द विभोर हो गए । मंचासीन अतिथियों के साथ पद्मश्री डा. श्याम सिंह शशि,डा. हीरा लाल बछौतिया,डा. सविता चड्ढ़ा ,विश्व आलोक (आई ए .एस.)डा. शिव शंकर अवस्थी,डा. अहिल्या मिश्रा,
डा.रमा द्विवेदी,डा. सीता मिश्रा, विनीता शर्मा, मीना खोंड, एलिजाबेथ कुरिअन, डा.रेखा कक्कड़, डा.अमी अधर निडर,डा.सुषमा सिंह ,श्री महेश सिलवी ,श्री बाला सुब्रमण्यम पी.आर.बासुदेवन शेष,विनीता शर्मा ,ज्योति नारायण,सम्पत मुरारका ,सेतुरमण,सी. मणिकंठन,डा. भारतेन्दु शुक्ल,गुरु प्रताप शर्मा,शशिवर्धन शर्मा ,शैलेश,अरुण मुनेश्वर,मधु गुप्ता, मधु पटौदिया,मधु शुक्ला,प्रभा मेहता,सुधा कौसिव ,एवं उमेश नेमा आदि ने काव्य पाठ किया।
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