Tuesday, June 21, 2011

रचना दिवस महोत्सव संपन्न


रचना दिवस महोत्सव के तहत हुई संगीत संध्या
अल्मोड़ा। मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति के तत्वावधान में रचना दिवस महोत्सव के तहत रैमजे इंटर कालेज सभागार में देर सायं नृत्य सम्राट उदय शंकर और ध्रुपदाचार्य पं. चंद्रशेखर पंत संगीत संध्या शुरू हो गई। संगीत संध्या में कलाकारों ने सितार तथा तबले की धुन पर विभिन्न रागों में शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
उदयपुर राजस्थान विवि की प्रो. डा. पूनम जोशी ने सितार में राग मधुवंती, मिश्र शिवरंजनी धुन प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबले पर नैनीताल के आनंद सिंह बिष्ट ने संगत दी। इस मौके पर गीत एवं नाटक प्रभाग सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व निदेशक प्रेम मटियानी, इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ की पूर्व कुलपति डा. पूर्णिमा पांडे, समिति अध्यक्ष हेमंत जोशी, नीरज बवाड़ी, दीपा जोशी, भगवत उप्रेती, मीना पांडे आदि मौजूद थे।

नृत्य सम्राट उदयशंकर और पंत की भूमिका को याद किया
अल्मोड़ा। मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति के तत्वावधान में रचना दिवस महोत्सव के तहत रैमजे इंटर कालेज सभागार में नृत्य सम्राट उदय शंकर और ध्रुपदाचार्य पं. चंद्रशेखर पंत शास्त्रीय संगीत संध्या आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि इंदिरा कला संगीत विवि छत्तीसगढ़ की पूर्व कुलपति और कथक नृत्यांगना डा. पूर्णिमा पांडे ने कहा कि नृत्य सम्राट उदयशंकर और चंद्रशेखर पंत ने अल्मोड़ा में शास्त्रीय संगीत की भूमि तैयार की थी।
उन्होंने कहा कि इन महान कलाकारों द्वारा किए गए कार्यों की प्रेरणा से ही हम शास्त्रीय संगीत की सेवा करने लायक हो पाए हैं। विशिष्ट अतिथि गीत एवं नाटक प्रभाग सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व निदेशक प्रेम मटियानी ने कहा कि लंबे समय से चले आ रहे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों के ठहराव को इस तरह के कार्यक्रम गति प्रदान करेंगे। उत्तराखंड में इस तरह के कार्यक्रम ही कलाकारों को बड़े मंचों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दिल्ली से पहुंचे युवा बांसुरी वादक हिमांशु दत्त ने सुंदर प्रस्तुति दी। रानीखेत के डा. महेश पांडे ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
तबले पर आनंद सिंह बिष्ट, तानपुरे पर कुलदीप बवाड़ी, हारमोनियम पर हरीश जोशी ने संगत दी। दिल्ली की कथक नृत्यांगना दीव्या दीक्षा उप्रेती ने भी प्रस्तुति दी। इससे पूर्व उदयपुर की डा. पूनम जोशी ने सितार वादन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में कैलाश पांडे, नीरज बवाड़ी, किरन पांडे, अदिति साह, विश्म्भरनाथ सखा, पप्पू पांडे, चंद्रशेखर पांडे, दीपा जोशी, जगत जोशी, राजेंद्र सिंह नयाल, हिरदेश जोशी, मोहन चंद्र जोशी, हयात सिंह रावत, रवि पांडे आदि मौजूद थे।

रंगारंग कार्यक्रमों के साथ रचना दिवस कार्यक्रम संपन्न
अल्मोड़ा। मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति के तत्वावधान में रचना दिवस महोत्सव के तहत रैमजे इंटर कालेज सभागार में आयोजित संगीत संध्या में कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोक संस्कृति की छठा बिखेरी। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले चार रंग कर्मियों को सम्मानित भी किया गया।
गीत एवं नाटक प्रभाग के पूर्व निदेशक रंगकर्मी प्रेम मटियानी तथा इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ छत्तीसगढ़ की पूर्व कुलपति डा. पूर्णिमा पांडे ने संयुक्त रूप से जौनसार के संस्कृति कर्मी नंदलाल भारती को जौनसार की लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए मोहन उप्रेती लोक संस्कृति सम्मान 2011 प्रदान किया। डा. पूनम जोशी को सितार के कुशल अध्यापन तथा प्रचार-प्रसार के लिए कौस्तुभ सम्मान, विश्वम्भरनाथ साह सखा को लोक चित्रकला ऐपण तथा नैनीताल के सांस्कृति जगत में दिए गए योगदान के लिए समिति सम्मान तथा डा. हरिसुमन बिष्ट को हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इससे पूर्व गायक चंदन सिंह रिठागाड़ी ने हुड़के की थाप पर अपने पिता प्रसिद्ध लोक गायक स्व. मोहन सिंह रिठागाड़ी के गीतों की प्रस्तुति दी। बहुउद्देश्यीय जन कल्याण विकास समिति तथा जौनसार बावर सांस्कृतिक लोक कला मंच के कलाकारों ने जौनसार की संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम तथा नृत्य प्रस्तुत किया। गायिका लता तिवारी ने न्योली, कुमाऊं के विरह गीत तथा पर्वतीय रंगमंच सांस्कृतिक समिति पौड़ी केकलाकारों ने जागर, लोकगीत, नृत्य आदि की सुंदर प्रस्तुति दी। समिति के अध्यक्ष हेमंत जोशी ने सभी का आभार जताया। संचालन किरन पांडे ने किया।