Tuesday, July 12, 2011

सूरीनाम साहित्य मित्र संस्था के कवि श्री देवानंद शिवराज के संग्रह अभिलाषा का लोकार्पण


बाएँ से दाएँ – भावना सक्सेना, डॉ॰विमलेश कांति वर्मा, पं॰हरिदेव सहतू, श्रीमति सहतू, श्री अरुण कुमार शर्मा, कवि श्री देवानन्द शिवराज, श्री मोती मारहे।

जीवन के अनुभव कब कविता बन जाते हैं इसका सटीक निर्धारण कठिन है। जरई रोपने की कड़ी धूप सहने के बाद जब धान फलती है तो किसान को कितना सुख देती है उसी का विवरण कविता बन जाता है। ऐसी ही कविताओं के एक संकलन "अभिलाषा" का लोकार्पण 29 जून 2011 को पारामारिबो की सांस्कृतिक संस्था माता गौरी के सभागार में प्रकाशन संस्था सूरीनाम साहित्य मित्र संस्था द्वारा किया गया। बहुमुखी प्रतिभा वाले कवि, भजनिक, अभिनेता, हिंदी अध्यापक श्री देवानंद शिवराज की कविताएं सरल भाषा में व्यक्त भावोद्गगार हैं। श्री देवानंद आज भी अपने पूर्वजों की संस्कृति तथा परंपरा के समर्पित प्रचारक हैं और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अथिति भारत के राजदूतावास के निमंत्रण पर सूरीनाम आए हिन्दी विद्वान डॉ॰ विमलेश कांति वर्मा थे, डॉ॰ वर्मा ने सूरीनाम में निरंतर हो रही साहित्यिक गतिविधियों की भूरी भूरी प्रशंसा की और सभी साहित्यकारों से लेखनरत रहने का आग्रह किया।
अभिलाषा का विमोचन साहित्य मित्र संस्था के अध्यक्ष पंडित हरिदेव सहतू, डॉ॰ विमलेश कांति वर्मा, प्रतिष्ठित सरनामी कार्यकर्ता श्री मोती मारहे, भारतीय राजदूतावास के चांसरी प्रमुख श्री अरुण कुमार शर्मा और हिन्दी व संस्कृति अधिकारी तथा अभिलाषा की संपादक श्रीमति भावना सक्सैना के हाथों हुआ। इस अवसर पर कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें सूरीनाम के कुछ प्रतिष्ठित कवियों ने कविता पाठ किया और कुछ प्रतिष्ठित कवियों की रचनाएँ छोटे बालकों ने पढ़ीं और सबका मन मोह लिया। श्री देवानन्द ने इस अवसर पर स्वरचित लयबद्ध गीत "कल्कतिया में लागे मेला अरकटियन करे गुहार" प्रस्तुत करके समां बांध दिया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ॰ कार्मेन जगलाल, युवा कवयित्री ऩिशा झाकरी व डॉ॰ सरवन बख्तावर ने किया। श्रीमती सक्सेना ने पुस्तक में दिया पंडित सहतू का अध्यक्षीय संदेश पढ़ा जिसमें उन्होने कहा है " श्री देवानंद शिवराज एक सहृदय व समर्पित व्यक्ति हैं जो पिछले 48 वर्ष से हिंदी शिक्षण के प्रति समर्पित हैं और सूरीनाम साहित्य मित्र संस्था के सक्रिय सदस्य हैं। संस्था का उद्देश्य सूरीनाम के हिंदी प्रेमियों को साहित्य रचना की ओर प्रेरित करना व प्रकाशन सुविधा उपलब्ध करना रहा है।मेरी हार्दिक अभिलाषा रही है की संस्था के सभी सदस्यों के एकल काव्य संकलन प्रकाशित हों। इस श्रृंखला में श्री देवानंद का काव्य संकलन अभिलाषा इस आशा के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ कि यह अन्य सभी सदस्यों को इस दिशा में प्रयास करने की प्रेरणा प्रदान करेगा और शीघ्र ही हमें और संकलन देखने को मिलेंगे। मुझे विश्वास है कि अभिलाषा का सर्वत्र स्वागत होगा और यह प्रत्येक व्यक्ति के मन में नव अभिलाषाएं उत्पन्न करेगी।" कविताऊन पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा - कि इस संकलन की कविताओं की एक विशेषता जहां विषयों कि व्यापकता है वहीं अर्थ विस्तार भी है। किसी भी कविता को शीर्षक नहीं देते हुए अर्थ ग्रहण पाठक के ऊपर छोड़ दिया गया है।
सूरीनाम साहित्य मित्र संस्था का गठन वर्ष 2001 में किया गया था और तब से पंडित हरिदेव सहतू के दिशानिर्देश में संस्था के सभी सदस्य सुचारू रूप से साहित्य सृजन कर रहे हैं। संस्था का उद्देश्य हिंदी लेखकों को प्रेरित करना है।

रिपोर्ट व चित्र – भावना सक्सैना

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पाठक का कहना है :

vashini sharma का कहना है कि -

प्रिय भावना ,

इतने विस्तृत विवरण और सुंदर चित्रों ने सारा कार्यक्रम जीवंत कर दिया ।
बधाई !

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