Tuesday, March 3, 2009

'कृष्णा' संस्था द्वारा योग्यता के आधार पर विद्यार्थियों की सहायता

छात्रवृत्ति देते जगदीश रावतानी व प्रेमचंद सहजवाला
हिन्दी कवि कथाकार प्रेमचंद सहजवाला ने सन 2006 में गरीब विद्यार्थियों की सहायता हेतु एक गैर-सरकारी संस्था बनाई थी - कृष्णा , The Rising Son's and Daughter's Organisation. यह संस्था प्रतिवर्ष कुछ योग्य विद्यार्थियों को उन की आर्थिक स्थिति के आधार पर सहायता देती है. फिलहाल इस के पास दो स्कीमें हैं: एक तो वर्ष भर के लिए 1000 रु. की एक-मुश्त सहायता और दूसरी Adoption Scheme जिस में कुछ विद्यार्थियों का प्रतिमाह शिक्षा व्यय वहन किया जाता है. दिनांक 24 फरवरी 2009 को 'कृष्णा' संस्था ने दिल्ली में न्यू राजेंद्र नगर स्थित डी आई खान भ्रातृ सभा सीनियर सेकंडरी स्कूल' के ग्यारह विद्यार्थियों को एक एक हज़ार रूपए की एक-मुश्त सहायता प्रदान की. यह कार्यक्रम इस बार प्रसिद्ध शिक्षाविद स्व. डॉ. अंजना सहजवाला की स्मृति में किया गया, जिन का निधन दि. 19 जनवरी 2009 को हुआ था. डॉ. अंजना सहजवाला शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली की एक जानी मानी शख्सियत थी, जो मानव स्थली स्कूल से कई वर्ष तक जुड़ी रही. पिछले दस वर्षों से वे स्कूल की वसंत कुंज शाखा 'भटनागर इंटरनेशनल स्कूल' की प्रिंसिपल रही. स्कूल के पास सन 58 में स्थापना के समय केवल सोलह विद्यार्थी थे पर समय के साथ इस के पास दस से भी अधिक शाखाएं हो गई तथा कई हज़ार विद्यार्थी. स्कूल की प्रगति में व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण शख्सियत होने के नाते डॉ. अंजना का अथक परिश्रम भी शामिल था. डॉ. अंजना कई शिक्षा समितियों की अध्यक्ष भी रही तथा शिक्षा क्षेत्र में कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिन में नेशनल प्रेस इंडिया द्वारा सन '92 में दिया गया राष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ. राधाकृष्णन स्मृति राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान (2001) तथा World Environmental Education Development 2005 के अवार्ड प्रमुख थे. कार्यक्रम में इस वार्षिक छात्रवृत्ति के लिए 9 वीं से 12 वीं तक के विद्यार्थियों का चयन प्रिंसिपल मनमोहन कौर के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्द साहित्यकार व दूरदर्शन के कई धारावाहिकों के निदेशक पटकथा -लेखक व 'आनंदम संगीत विद्यालय' के प्रिंसिपल जगदीश रावतानी ने की. कृष्णा के अध्यक्ष प्रेमचंद सहजवाला इस स्कूल में ही सन 57 से 61 तक पढ़े, इस लिए उन्होंने अपने स्कूली जीवन की कई खट्टी-मीठी यादें सुनाई, जिन में सब से रोचक उन के क्रिकेट सीखने के अनुभव थे. इस के बाद दिल्ली के 'हेमनानी पब्लिक स्कूल' की प्रिंसिपल श्रीमती माधुरी कनल ने डॉ. अंजना सहजवाला की शक्सियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि वे कई देशों में अपने विद्यार्थियों के साथ गई तथा जिस से भी मिलती वह सहज ही उन्हें अपनी दीदी मान लेता. इस प्रकार वे इंटरनेशनल दीदी बन गई. प्रेमचंद सहजवाला पहले ही अपनी इस बड़ी दीदी के विषय में अपने भाषण में कह चुके थे कि जैसे शरत चन्द्र की प्रसिद्द कहानी बड़ी दीदी एक कल्प वृक्ष की तरह थी, जिस की छांव में जिसे जो चाहिए मिल जाता था, वैसे ही उन की बड़ी दीदी भी थी, जिस ने परिवार और समाज सेवा के उद्देश्य से स्वयं विवाह नहीं किया तथा एक तपस्विनी की तरह जीवन भर तपस्या में जुटी रही.

अंजना सहजवाला के बारे में अपना वक्तव्य देती माधुरी कनल
श्री रावतानी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि देश के कई महापुरुषों को जीवन में आर्थिक कठिनाइयां देखनी पड़ी थी. पर हर विद्यार्थी को चाहिए कि वह एक सपना देखे, प्रगति का सपना, कुछ बनने का सपना. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री का उदहारण भी दिया कि जब वे स्कूल में थे तो एक नदी पार कर के स्कूल में पढने आना होता था. पर उनके पास नाव में जाने-आने के पैसे नहीं होते थे. इस लिए वे अपना बसता सर पर रख कर पैदल ही नदी के इस पार से उस पार तक जाते थे और अपनी मेहनत और लगन से एक दिन वे देश के प्रधान-मंत्री पद तक पहुँच गए. स्कूल की प्रिंसिपल मनमोहन कौर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि स्कूल के एक पूर्व विद्यार्थी इतने वर्षों बाद आज अपने ही प्रिय स्कूल के विद्यार्थियों से मिलने आए हैं और उन की हिम्मत बढ़ाने के लिए स्कूल के अच्छे विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां देने आए हैं. उन्होंने कहा कि कृष्णा के अध्यक्ष प्रेमचंद सहजवाला ने यहाँ पढने वाले दिनों में आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया था और एक गरीब विद्यार्थी के रूप में एक सपना देखा था कि वे कभी ऐसी एक संस्था बनाएंगे. स्कूल की एक अध्यापिका ने अंत में अध्यक्ष जगदीश रावतानी तथा सहजवाला का धन्यवाद् करते हुए अपने विद्यार्थियों को परिश्रम तथा लगन की प्रेरणा दी.

-तरुण

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पाठक का कहना है :

Divya Narmada का कहना है कि -

साधुवाद. ऐसे ही प्रयास होंने चाहिए. यह वाकई sarahneey है

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