बायें से दायें– शचीन्द्र त्रिपाठी (संपादक, नवभारत टाइम्स), सामाजिक कार्यकर्ता रानी पोद्दार, गायक पंकज उधास, संगीत-निर्देशक आनंदजी साह (कल्याण जी आनंद जी), संपादक देवमणि पाण्डेय, सुरेन्द्र गादिया और नवभारत टाइम्स के पत्रकार भूवेन्द्र त्यागी .
मुम्बई महानगर में दो ही जहान सक्रिय हैं – बॉलीवुड और क्रिकेट । इससे आगे भी कोई जहान है इस बारे में कोई सोचता ही नहीं । देवमणि पाण्डेय ने साहित्यकारों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, सुगम-शास्त्रीय गायकों आदि के ज़रिए एक और जहान को प्रस्तुत करके साबित कर दिया है कि ‘सितारों से आगे जहां और भी हैं ।’ ये विचार जाने माने ग़ज़ल गायक पंकज उधास ने कवि देवमणि पाण्डेय द्वारा सम्पादित मुम्बई की सांस्कृतिक निर्देशिका 'संस्कृति संगम' के चौथे संस्करण के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किए । उन्होंने इसे एक अतुलनीय प्रयास बताते हुए कहा कि अब इसके ज़रिए लोग आसानी से विभिन्न क्षेत्र के संस्कृतिकर्मियों से सम्पर्क कर सकेंगे । शनिवार 14 मार्च को चर्चगेट के होटल सम्राट में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता मशहूर संगीतकार आनंदजी शाह (कल्याणजी आनंदजी) ने की।
मुम्बई के सांस्कृतिक आकाश की तारिका रानी पोद्दार ने लेखकों,पत्रकारों और कलाकारों को जोड़ने वाली इस ख़ूबसूरत कड़ी की तारीफ़ करते हुए कहा कि 'संस्कृति संगम' महानगर के सांस्कृतिक आयोजनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी । नवभारत टाइम्स के स्थानीय सम्पादक शचीन्द्र त्रिपाठी ने 'संस्कृति संगम' के सम्पादक देवमणि पाण्डेय के सतत श्रम की सराहना करते हुए कहा कि वे जो ठान लेते हैं उसे करके ही थमते हैं । उन्होंने हर संस्करण को पहले से और बेहतर बनाया है। अपनी कमियों को ख़ुद ही दूर किया । इस संदर्भ में त्रिपाठीजी ने देवमणिजी का ही एक शेर उध्दरित किया –
आदमी पूरा हुआ तो देवता हो जाएगा
ये ज़रूरी है कि उसमें कुछ कमी बाक़ी रहे
मुम्बई महानगर में देवमणि पाण्डेय के ढाई दशकों के योगदान को उन्होंने एक शेर के ज़रिए रेखांकित किया –
अपने मंसूबों को नाकाम नहीं करना है
मुझको इस उम्र में आराम नहीं करना है
हिन्दी सिनेमा में चार दशकों तक छाई रही संगीतकार जोड़ी कल्यानजी आनंदजी के आनंदजी शाह ने अपने रोचक अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि देवमणि पाण्डेय ने अपने इस प्रयास के ज़रिए मुम्बई महानगर के अलग अलग कोनों में मौजूद विभिन्न विधाओं के लोगों को न केवल एक साथ ला खड़ा किया है बल्कि उनकी यह पहल अनगिनत सांकृतिक आयोजनों के लिए वरदान साबित होगी । फिराक़ गोरखपुरी का शेर है –
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त
तेरे जमाल की दोशीजगी निखर आई
इस शेर के हवाले से देवमणि पाण्डेय ने कहा कि जब हम बड़े लोगों से मिलते हैं तो उनकी प्रतिभा और गुण का कुछ असर हमारे व्यक्तित्व में भी शामिल हो जाता है । आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आनंदजी से मिलकर मुझे भी ऐसा महसूस हुआ । उनसे मिलने के बाद मुझे लगातार कामयाबी हासिल हुई । रचनाकारों के प्रति पंकज उधास के सरोकारों का ज़िक्र करते हुए पाण्डेयजी ने कहा कि वे कवियों-शायरों की बेइंतहां क़द्र करते हैं । सबूत के तौर पर उन्होंने बताया कि ज़फर गोरखपुरी की पुस्तक ‘आर पार का मंज़र’ का विमोचन ख़ुद पंकजजी ने नेहरू सेंटर में आयोजित किया था । पाण्डेयजी ने आगे कहा कि मुम्बई के डॉ.सत्यदेव त्रिपाठी हों या डॉ.बोधिसत्व अथवा यूके के तेजेंद्र शर्मा हों या यूएसए की डॉ.सुधा ओम ढींगरा, सभी मित्रों ने दिल खोलकर मेरी सहायता की । मित्रों की सहायता और मेरा अपना परिश्रम 'संस्कृति संगम' के रूप में साकार हुआ । समाजसेवी सुरेन्द्र गाड़िया ने अतिथियों और पुस्तक के सज्जाकार शिव आर. पाण्डेय का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया ।
नवभारत टाइम्स मुम्बई के मुख्य उपसम्पादक भुवेन्द्र त्यागी ने समारोह का संचालन किया । उन्होंने 'संस्कृति संगम' को गंगा-यमुना-सरस्वती का अदभुत संगम बताया । त्यागीजी ने कहा कि इसमें भारतीय दर्शन के संगम की तीनों नदियां नज़र आती हैं । संस्कृतिकर्मियों के रूप में गंगाजी मौजूद हैं तो 50 गीतों और 200 शेरों के रूप में यमुनाजी उपस्थित हैं। संगम की तीसरी नदी सरस्वती एक अंतर्धारा की तरह पुस्तक की सुरुचि के रूप में मौजूद हैं । वह सुरुचि है पुस्तक की सादा लेकिन आकर्षक डिजाइन । समारोह में रचनाकार जगत से वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल, मनहर चौहान, डॉ.सुशीला गुप्ता, डॉ.राजम पिल्लै,डॉ.रत्ना झा, डॉ.बोधिसत्व,डॉ.दिनेशचंद्र थपलियाल, पुनीत पाण्डेय, शशांक दुबे, हरि मृदुल, शैलेश सिंह,खन्ना मुजफ्फरपुरी,चेतन दातार, केशव राय, संगीतकार आमोद भट्ट और उद्योगपति कैलाश पोदार उपस्थित थे ।
'संस्कृति संगम' के लिए सहयोग राशि है 200 रूपए । इसके प्रकाशक का पता है –
सार्थक प्रकाशन, ओ-301, सोनम आकांक्षा, न्यू गोल्डेन नेस्ट, फेज-8, भायंदर (पूर्व),मुम्बई – 401 105, फोन : 099694-91294 / 022-2814-8388 , ईमेल :
Shivpandey83@gmail.com
मुम्बई की सांस्कृतिक निर्देशिका 'संस्कृति संगम' के चौथे संस्करण में हिन्दी रचनाकारों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, फ़िल्म लेखकों, गायक कलाकारों, गीतकारों-शायरों, समाचार पत्र- पत्रिकाओं, साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ ही अखिल भारतीय प्रमुख साहित्यकारों, मंच पर सक्रिय अखिल भारतीय प्रमुख कवियों एवं विदेशों में बसे प्रमुख हिन्दी रचनाकारों के नाम, पते, दूरभाष नं. एवं ईमेल शामिल हैं । 'संस्कृति संगम' के संपादक देवमणि पांडेय इस बार इस निर्देशिका में प्रमुख बैंकों और प्रमुख सरकारी उपक्रमों के राजभाषा अधिकारियों के साथ ही मुम्बई के प्रमुख कॉलेज और उनके विभागाध्यक्षों का विवरण भी उपलब्ध है । 'संस्कृति संगम' ने पिछले तीन संस्करणों के ज़रिए साहित्य, संगीत, पत्रकारिता, रंगमंच, आदि क्षेत्रों में सक्रिय रचनाकर्मियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका सर्कुलेशन मुम्बई के रचनाकारों-कलाकारों में होने के साथ-साथ अखिल भारतीय स्तर पर भी होता है । विदेशों में बसे हिन्दी रचनाकारों के बीच भी 'संस्कृति संगम' काफी लोकप्रिय है | इस तरह साहित्य, संगीत, मंच आदि से जुड़ी प्रतिभाओं को 'संस्कृति संगम' के ज़रिए अपने-अपने क्षेत्र की विशिष्ट हस्तियों से जुड़ने का सम्पर्क सूत्र सहज उपलब्ध हो जाता है। विविधतापूर्ण सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी 'संस्कृति संगम' बेहद उपयोगी है। मुम्बई की सांस्कृतिक सक्रियता को बढ़ावा देने में 'संस्कृति संगम' का उल्लेखनीय योगदान है.
मुम्बई से श्रद्धा उपाध्याय
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3 पाठकों का कहना है :
संस्कृति संगम विमोचन की रपट जीवंत है. श्रृद्धा जी को शुभ कामनाएं और शिव पांडे जी को बधाई.
वाह भाई देवमणि जी,
यह तो बहुत ही अच्छा काम किया आपने... सार्थक एवं अद्भुत संयोजन... बधाई मेरे भाई..
dear devmani ji
kala jagat me yeh directory ''sanskriti sangam ek apna alag mukam bana chuki hai,aur jaldi hi ye ghar ghar me hogi.yeh hi raphtaar banaye rahkhiye
Dhanyawad
ANOD BHATT
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