Thursday, June 25, 2009

गोपाल दास नीरज ने किया अमर ज्योति के पहले ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण


पुस्तक लोकार्पित करते अतिथिगण

अलीगढ़, 21 जून 2009
डा. अमर ज्योति 'नदीम' के प्रथम ग़ज़ल संग्रह 'आँखों में कल का सपना है' का लोकार्पण पद्मभूषण गोपाल दास नीरज ने होटल 'मेलरोज़ इन' में किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जयपुर से पधारे प्रख्यात शायर लोकेश कुमार सिंह 'साहिल'
ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ गीतकार बनज कुमार 'बनज' की सरस्वती वन्दना से हुआ। अर्चना'मीता', प्रो.आलोक शर्मा और पुश्किन द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण द्वारा अभिनन्दन किया गया। विमोचन करते हुए पद्मभूषण गोपाल दास नीरज ने कहा कि नदीम की ग़ज़लों में ग़ज़ल के सभी तत्त्व विद्यमान हैं और वे एक समर्थ शायर व गज़लकार हैं। इस अवसर पर नीरज ने ग़ज़ल की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए ग़ज़ल को आधुनिक काव्य की एक लोकप्रिय विधा बताया और अपने गीत व ग़ज़ल भी सुनाये।

नदीम ने अपने लोकार्पित संग्रह से कुछ गज़लें पढीं और मनमोहन ने संग्रह की एक ग़ज़ल की संगीतमय प्रस्तुति की। नदीम की ग़ज़ल 'हम जिये सारे खुदाओं, देवताओं के बगैर' को ख़ूब सराहना मिली। जयपुर से पधारे ख्यातिप्राप्त गज़लकार व समीक्षक अखिलेश तिवारी, अरुणाचल प्रदेश से पधारे डा.मधुसूदन शर्मा व हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर प्रेमकुमार ने संग्रह के बारे में अपने-अपने समीक्षात्मक आलेख भी पढ़े। प्रेम पहाड़पुरी व सुरेन्द्र सुकुमार ने नदीम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

समारोह के उत्तरार्द्ध में एiक कवि-गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें अशोक अंजुम (अलीगढ़), बनज कुमार बनज(जयपुर), अखिलेश तिवारी(जयपुर), महेश चन्द्र गुप्त 'खलिश'(दिल्ली), राजकुमार 'राज' (दिल्ली) और लोकेश कुमार सिंह 'साहिल' (जयपुर) ने कविता पाठ किया। समारोह के अंत में संग्रह के प्रकाशक 'अयन प्रकाशन' के स्वामी भूपाल सूद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रख्यात साहित्यकार, साहित्यिक पत्रिका 'अभिनव प्रसंगवश' के संपादक एवं स्थानीय धर्मसमाज महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वेदप्रकाश अमिताभ ने कार्यक्रम का संचालन किया।

कुछ अन्य झलकियाँ-


कार्यक्रम के शुरूआत की प्रतीक्षा करते अतिथि


पद्यभूषण गोपालदास नीरज का माल्यार्पण


नीरज के श्रीकंठ से निकलती उन्हीं के गीत-ग़ज़लें


दर्शकदीर्घा

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6 पाठकों का कहना है :

दिनेशराय द्विवेदी का कहना है कि -

डॉ अमर ज्योति जी को ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन और लोकार्पण की बहुत बहुत बधाई!

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

इन दिनों एक बात मुझे खासा आकर्षित कर रही है कि बहुत से लेखक इंटरनेटीय हिन्दीवीर बनने के बाद पुस्तक छपवा रहे हैं। अमर ज्योति जी को बधाई।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

अमर ज्योति जी को बधाई.

Manju Gupta का कहना है कि -

Shri Gopaldas niraj ji ka naam dekh kar mujhe san 2000 ki mulakat yad aa gayi.Sharirik roop se kamjor dikh rahe hai,unhone meri kitabo ki samicha likhi thi.
डॉ अमर ज्योति जी को ग़ज़ल संग्रह ke liye
badhayi.
Agli kitab ka intjar rahega.

Shardula का कहना है कि -

आदरणीय अमरज्योति जी मेरे बहुत ही प्रिय शायर हैं. उनकी किताब की बहुत प्रतीक्षा थी. विमोचन के सफल आयोजन के लिए उनको हार्दिक बधाई. अमर जी के लेखन में इतना इंकलाब, सत्य और इतनी साफगोई है कि मन के भीतर तक उतर जाते हैं उनके अशआर!
किताब तो इतनी ख़ूबसूरत है कि जब घर पहुँची तो ग़ज़लों की खुशबू से घर महक उठा. मेरे पुस्तक-संग्रह का एक नायाब मोती है ये किताब. शुभकामानाओं सहित, शार्दुला

Dr. Amar Jyoti का कहना है कि -

आप सभी का हार्दिक आभार।

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