Tuesday, August 18, 2009

प्रवास में पहली कहानी का लंदन में लोकार्पण



कथा यू.के. ने लंदन के नेहरू केन्द्र में उषा वर्मा एवं चित्रा कुमार द्वारा संपादित ब्रिटेन की हिन्दी-उर्दू की महिला कथाकारों द्वारा लिखी गई पहली कहानी के संग्रह प्रवास में पहली कहानी का लोकार्पण समारोह आयोजित किया। समारोह की अध्यक्षता बीबीसी हिन्दी सेवा रेडियो की पूर्व-अध्यक्ष अचला शर्मा ने की जबकि संचालन का भार संभाला भारतीय उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री आनंद कुमार ने।

बर्मिंघम से पधारी विदुषी डा. वन्दना मुकेश शर्मा ने कहानी संग्रह पर एक लम्बा लिखित लेख पढ़ा। उनके अनुसार, “विश्व के हिन्दी साहित्य में यह संग्रह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पहली कहानी पहली संतान की तरह प्रिय होती है। ... विदेश की धरती पर जब इन कथाकरों को जीने के लिए भौतिक दैहिक और मानसिक संघर्षों से गुज़रना पड़ा होगा तब उनके भीतर अपने न अनुभवों को शब्दांकित करने की छटपटाहट से जन्मी होगी उनकी पहली कहानी।”

कहानी संग्रह की संपादिका उषा वर्मा ने आने वाली पीढ़ी को सम्बोधित करते हुए कहा, “यदि मैं तुम्दारी पीढ़ी में इन किताबों के माध्यम से जीवित रहूं तो यही मेरी मुक्ति है।” अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने घोषणा की, “बाहरी प्रयोजन न होने पर भी हम लिखेंगे। लिखना अपने अंदर से बाहर आना होता है। लेखन हमारी संपूर्णता का सवाल है। इट इज़ अ क्वैश्चन ऑफ़ माई होल बीइंग। कोई भी कला ङमारे भीतर के आलोक को बाहर लाती है।” हिन्दी और उर्दू कहानियों की तुलना करते हुए उनका मत था, “...ऐसा मेरा ख़याल है कि उर्दू कहानियों में इंटेलेक्चुअल टफ़नेस हिन्दी कहानियों से अधिक है जब कि हिन्दी कहानियों में सांस्कृतिक विवेक गहराई से स्पष्ट हुआ है।”

काउंसलर ग्रेवाल की सोच थी, “हमें इन कहानियों का अंग्रेज़ी में अनुवाद करवाना चाहिये। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि इन पुस्तकों को किसी भी तरह यहां के पुस्तकालयों में पहुंचाया जाए।”

भारत से पधारे प्रो. अब्दुल सत्तार दलवी (मुम्बई) ने इस पूरे प्रोजेक्ट की बहुत तारीफ़ की और कहा कि इससे अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को भी बढ़ावा मिलेगा और इस तरह के अन्य संकलन भी निकलने चाहियें।

समारोह में कीर्ति चौधरी की कहानी का पाठ बर्मिंघम निवासी कृति यू.के. की अध्यक्ष तितिक्षा शाह ने किया।

अध्यक्ष पद से बोलते हुए अचला शर्मा ने इस गरिमापूर्ण कार्यक्रम के लिये संपादक द्विय एवं कथा यूके को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के संकलन साहित्य को एक अलग दृष्टि से देखने में सहायक होते हैं।

कथा यू.के. के महासचिव एवं कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के संकलन विदेश में बसे भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं। हिन्दी और उर्दू के बीच जो दूरियां लिपि की वजह से बढ़ती जा रही हैं, अनुवाद उसे कम करने का एक महत्वपूर्ण औज़ार है। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि जल्दी ही एक और कहानी संकलन का विमोचन नेहरू केन्द्र में होगा जिसमें ब्रिटेन के उर्दू कहानीकारों की कहानियों हिन्दी साहित्यजगत के सामने अनुवाद के माध्यम से प्रस्तुत की जाएंगी। उन्होंने इस आयोजन के लिये नेहरू केन्द्र को विशेष रूप से धन्यवाद किया।

कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त काउंसलर ज़कीया ज़ुबैरी, डा. कृष्ण कुमार (बर्मिंघम), डा. महेन्द्र वर्मा (यॉर्क), कैलाश बुधवार, गौतम सचदेव, दिव्या माथुर, उषा राजे सक्सेना, नरेश भारतीय, महेन्द्र दवेसर, कादम्बरी मेहरा, स्वर्ण तलवाड़, रमा जोशी, सफ़िया सिद्दीक़ि, बानो अरशद, पद्मेश गुप्त, डा. श्याम मनोहर पाण्डे, चांद शर्मा, हमीदा मोइन रिज़वी (हैदराबाद, भारत), डा. ख़ूबचन्दानी (पुणे), डा. वशीमी शर्मा, डा. मुज़फ्फ़र शमीरी, डा सुरेश अवस्थी, डा जयकिशन, डा. फ़ातिमा परवीन, मोहम्मद क़ासिम दलवी भी उपस्थित थे।

- नूपुर अहूजा

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3 पाठकों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

सभी लोगों को मुबराक्ब्बाद. साथ ही नुपुर जी का शुक्रगुजार जिन्होंने इस खबर को संकलित किया. और हिन्दयुग्म का आभारी जो इस खबर का श्रोत बना.

Manju Gupta का कहना है कि -

विश्वके उपवन में यह किताब प्रेरणाप्रद खुशबू से पाठकों को महकाएगी .
उषाजी,चित्रा जी को और सभी विद्वानों को बधाई .

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

“यदि मैं तुम्दारी पीढ़ी में इन किताबों के माध्यम से जीवित रहूं तो यही मेरी मुक्ति है।”
यह बात बहुत पसंद आई। ज़िंदा रहने में मुक्ति!

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