वक्तव्य देतीं काउंसलर ज़कीया ज़ुबैरी30 सितम्बर 2009 । लंदन“मुझे इस बात का गर्व है कि अनुराधा ऋषि ने अपनी पेंटिंग्ज़ की आज की प्रदर्शनी को नाम दिया है प्रकृति में शांति और इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित किया है। आभार मैं नेहरू सेंटर और मोनिका जी का भी मानती हूं कि उन्होंन मुझे आज की शाम यहां शामिल होने के लिये बुलाया। अनुराधा के लिये प्रकृति एक सुकूनदेह ताक़त है। वह अपनी चित्रकारी में नीले और हरे रंग का इस्तेमाल करती हैं जो कि ठण्डे रंग हैं। साथ ही वे पीले रंग से जो ओवरटोन भर कर उसमें एक तेज पैदा करती हैं वह क़ाबिले तारीफ़ है। अनुराधा मृत्यु में भी जीवन खोज लेती हैं। उनके ठूंठ वृक्ष भी मृत्यु की तरह डराते नहीं बल्कि नृत्य करते दिखाई देते हैं। अनुराधा के व्यक्तित्व की जीवंतता उनकी सभी पेंटिंग्ज़ में बख़ूबी दिखाई देती है।” यह कहना था कॉलिंडेल क्षेत्र की लेबर पार्टी काउंसलर श्रीमती ज़कीया ज़ुबैरी का। वह लंदन के नेहरू सेंटर में आयोजित शाम की प्रमुख अतिथि थीं। इस प्रदर्शनी को शीर्षक दिया गया है ‘नेचर इन पीस - ए ट्रिब्यूट टु महात्मा ’ जो कि 2 अक्टूबर तक जारी रहेगी।
दीप प्रज्वलित करतीं नेहरू केन्द्र की निदेशक मोनिका मोहतानेहरू केन्द्र की निदेशक मोनिका मोहता ने चित्रकार अनुराधा ऋषि, काउंसलर ज़कीया ज़ुबैरी, तेजेन्द्र शर्मा (महासचिव - कथा यूके), एवं श्री के.बी. एल सक्सेना को पारंपरिक दीप प्रज्वल्लन के लिये आमंत्रित किया। उन्होंने अनुराधा जी का परिचय देते हुए कहा, इस प्रदर्शनी में चित्रकार ने अपनी हाल ही में बनाई 25 पेंटिंग्ज़ प्रदर्शित की हैं जो कि सभी एक्रिलिक में बनाई गई हैं और जिन सभी के केन्द्र में प्रकृति है। यह पेंटिंग्ज़ जम्मु एवं कश्मीर के ख़ूबसूरत एवं सुखद माहौल का चित्रण करती हैं। अनुराधा जी ने यह प्रदर्शनी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित की है।
तेजेन्द्र शर्मा (महासचिव कथा यूके) ने प्रदर्शनी पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अनुराधा ऋषि की पेंटिंग्ज़ में प्रकृति मां की गोद की सी गर्माहट का अहसास देती है। यह प्रकृति शांत और सुखदाई है। यहां प्रकृति का रौद्र तांडव देखने को नहीं मिलता। मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है। मनुष्य द्वारा निर्मित प्रत्येक वस्तु प्रकृति को नुक़्सान पहुंचाती है। प्रकृति सृजन करती है और मनुष्य विनाश। महात्मा गान्धी को भी मनुष्य द्वारा निर्मित हथियार ने ही मार गिराया था। अनुराधा ने अपनी पेंटिंग्ज़ में प्रकृति की भव्यता न दिखा कर उनमें एक अपनेपन की उष्मा भर दी है।”
दर्शकगणअपने संक्षिप्त धन्यवाद ज्ञापन में अनुराधा ऋषि ने अपने पति ऋषि, आई.सी.सी.आर, नेहरू केन्द्र, मोनिका मोहता, ज़कीया ज़ुबैरी, और तमाम उन लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने कि इस प्रदर्शनी के आयोजन में उनकी सहायता की।
अनुराधा ऋषि पंडित संसार चंद बाड़ू की पुत्री हैं जो कि जम्मु के डोगरा कला संग्रहालय के संस्थापक थे। वे पहाड़ी चित्रकला के महान चित्रकार थे। संयोगवश उनका जन्मदिन भी महात्मा गांधी ही की तरह 2 अक्टूबर को होता है।
कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त काउंसलर लाशारी, जे.एस मल्होत्रा (एन.आर.आई. वर्ल्ड मीडिया नेटवर्क), आर.एस मोखा (उपाध्यक्ष - एस.ई.सी.ए.), मधुप मोहता, दिव्या माथुर, एच.एस. राव (पी.टी.आई), अयूब ऑलिया (अल्ला रख्खा फ़ाउण्डेशन), एवं शाज़िया शामिल थे।
रिपोर्ट- दीप्ति कुमार
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
5 पाठकों का कहना है :
कथा यूके का साधुवाद कि उसने भारत की अनुराधा ऋषि की पेन्टिग्स की प्रदर्शनी नेहरू सेंटर, लंदन में आयोजित की और विश्व को बता दिया कि कथा यूके सिर्फ साहित्य के प्रति ही नहीं बल्कि अन्य विधाओं के प्रति भी उतनी ही सक्रिय है।
दीप्ति कुमार व्दारा खींचे गये फोटो शानदार हैं। कथा यूके इसी प्रकार विविध विधाओं को विश्व के सामने लाये और किसी भी एक प्रकार के ठप्पे को ख़ुद पर चस्पां न होने दे। मुझे इस संस्था का सक्रिय सदस्य होने पर गर्व है।
अनुराधा जी को बहुत-बहुत बधाई ! तेजेन्द्र जी को भी साहित्य के साथ कला के प्रति हार्दिक एवं समर्पित भाव के लिए बधाई और धन्यवाद!
Anuraadhaa ji ko moulik klaa mein bnaayi prkruti aur shanti ke chitron ke liye bdhaayi .
kaas hind yugm par ve paintings dikhaate .
karmath Tejendr ji ko is yogdaan ke liye bdhaayi ..
Saahity ekaadmi ke srv bhaashiy smmeln Mumbai mein unse mulaakaat huyi thi .
Sundr paitings dikhaayi de rhin haen .
shubhkaamnaayen .
अनुराधा जीको बहुत बहुत मुबारकबाद. उस्न्की चित्रकारी की खूबसूरती के साथ साथ उनकी चर्तित्र की करात्मकता का भी पता चलता है आलेख से.
"मुझे इस बात का गर्व है कि अनुराधा ऋषि ने अपनी पेंटिंग्ज़ की आज की प्रदर्शनी को नाम दिया है प्रकृति में शांति और इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित किया है। आभार मैं नेहरू सेंटर और मोनिका जी का भी मानती हूं कि उन्होंन मुझे आज की शाम यहां शामिल होने के लिये बुलाया। अनुराधा के लिये प्रकृति एक सुकूनदेह ताक़त है। वह अपनी चित्रकारी में नीले और हरे रंग का इस्तेमाल करती हैं जो कि ठण्डे रंग हैं। साथ ही वे पीले रंग से जो ओवरटोन भर कर उसमें एक तेज पैदा करती हैं वह क़ाबिले तारीफ़ है। "
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)