Saturday, February 27, 2010

एक यादगार सूफियाना मुशायरा



आज हिंदोस्तान में जिस गंगा-जमुनी तहजीब की रवायत है और पूरा आलम इसकी इस रवायत पर रश्क करता है, उसकी बुनियाद आज से सदियों पूर्व महान शायर-सूफी हजरत अमीर खुसरो ने डाली थी. राष्ट्र की कौमी एकता का राज उन्हीं के बुनियादी वसूलों पर पडा है जो दुनिया के किसी भी मुल्क से ज्यादा मत-मतांतरों के लोग यहां रहते हुए भी बेमिसाल कौमी एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं. इस महान हस्ती के ऐजाज में भारतीय सांसकृतिक संबंध परिषद और उमराओ जान जैसी महान क्लासिकल फिल्मों के महान निर्माता और निर्देशक तथा बुद्धजीवी जनाब मुजफ्फर अली साहब की संस्था रूमी के संयुक्त तत्वाधान में बज़मे जहान खुसरो का आयोजन भारतीय सांसकृतिक संबंध परिषद के आडिटोरियम में किया गया.मुल्क की आजादी के बाद यह पहला मौका था जब खानकाहों, मजारों, सूफी संस्थाओं और अमीर खुसरो से जुडी जमीन के सूफी शायरों को एक मंच पर इकट्ठा कर खुसरो के प्रति अकीदत पेश करते हुए सूफियाना कलाम पेश किए गए. दिल्ली की सर जमीन पर कलाम सेमाअत फरमाने वालों में पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. बलराम जाखड़,आई.सी.सी.आर.के महानिदेशक श्री वीरेंद्र गुप्ता, जामिया के पूर्व वाइस चांस्लर जनाब शाहिद मेंहदी साहब, डॉ. अजय गुप्ता,निदेशक आई.सी.सी.आर.,योजना उर्दू के संपादक जनाब आबिद करहानी, विदेशी दूतावासों के राजनयिक ,अनेक गणमान्य शख्सियात मौजूद थीं.
इस सूफियाना मुशाएरे में अपना कलाम पेश करने वाले शायरों में जनाब मेहताब हैदर, लखनउ,जनाब ऊमर फारूक, लहर पुर,इंतजार सीतापुरी,आज़िम कोहिली,दिल्ली,अफ़जल मंगलौरी, कलियर शरीफ, राम प्रकाश बेखुद,लखनऊ, सय्यद जिया अलवी,दिल्ली,फसीह मुजीबी,फरुखाबाद, मतीन अमरोहवी,दिल्ली,डॉ. अजीज़ खैराबादी, खैराबाद, जिया कादरी,अजमेर शरीफ,अजम शाकरी,पटियालवी,मुन्ना खान राही,अजमेर शरीफ,डॉ. नसीम निकहत,लखनऊ,फसीह अकमल,दिल्ली और शहरयार,अलीगढ़ जैसे अज़ीम शायरों ने इस मुशायरे को अपने कलाम से रौनक बख्शी.
सबसे पहले जनाब जाखड़ साहब,जनाब वीरेन्द्र गुप्ता जी,शाहिद मेंहदी साहब,्जनाब मुजफ्फर अली साहब, शहरयार साहब ने मुशायरे के शमा को रोशन किया. इसके बाद जनाब बलराम जाखड़ साहब ने सभी शायरों को शाल भेंट कर उनकी हौसला अफजाई की.
कौन कहता है कि सियासातदानों को अदब और तह्जीब की तमीज नहीं होती.इस मुशायरे में शुरू से आखिर तक उनकी मौजूदगी इस बात का गवाह थी कि आज भी पुराने सियासतदानों में अपनी तहजीब से उतना ही गहरा लगाव है, यह दूसरी बात हैकि आज के सियासतदानों को अपने बडों से सीख और प्रेरणा लें.इसी में मुल्क की बहबूदी है.



इस मुशायरे का लुत्फ लोगों ने बहुत ही मोहज्जिबाना तरीके से उठाया.मुशायरे की सदारत आलमी सतह के शायर जनाब शहरयार ने की और निजामत सय्यद जिया अलवी ने किया.
खुसरो के एजाज में पेश किए गए शेर उन्हीं के गजलों और शेरों की छाया इस सूफियाने मुशायरे में दिखाई दे रही थी जो हकीकत में उन्हीं को समर्पित था और उन्हीं की रंगों में रंगा हुआ था.

रिपोर्ट-
शमशेर अहमद खान
2-सी, प्रैस ब्लॉक, पुराना सचिवालय, सिविल लाइंस ,दिल्ली—110054
मो. 09818112411/ 01123811363