एक मध्यम वर्गीय परिवार की बेटी है नंदिनी (टीना पारेख), जो एक गाँव में रहती है पढने में बहुत ही होशियार है और इसी तरह अपनी मेहनत व लगन के बल पर वह एम बी बी एस कर डॉo बन जाती है. इसी दौरान उसकी मुलाकात समीर नामक एक युवक से होती है व दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं और शादी कर लेते है. शादी के बाद नंदिनी अपने पति के साथ मारीशस चली जाती है. लेकिन वहां उसका मन नहीं लगता है उसे हर दम अपने गाँव व घर की याद सताती है. मारीशस और उसके गाँव की संस्कृति व रहन - सहन में बहुत ही अंतर है, उसके गाँव व उसका पीहर आर्थिक रूप से संपन्न नहीं है जिसकी उसे बहुत ही चिंता है. इसी बात को लेकर नंदिनी व उसके पति में आपस में मन मुटाव रहता है, उसके पति का कहना है कि अब उसकी शादी हो चुकी है और ससुराल ही उसका घर है अपने पीहर की चिंता उसे नहीं करनी चाहिए. अब यह सब उसका फर्ज नहीं बल्कि उसके भाइयो का है. इसके जवाब में वो कहती है कि जब एक ही घर में एक ही माँ से जन्म लेकर हम भाई - बहन एक साथ रहते हैं तो उस घर के प्रति किसी एक का नहीं बल्कि सभी भाई व बहन का फर्ज बनता है. इसी के चलते वो वापस अपने पीहर आ जाती है और अपने गाँव में अस्पताल खोलने का जो सपना उसने पहले देखा था उसे पूरा करना चाहती है. उसके घर में उसकी माँ गायत्री (साधना सिंह) उसके तीन भाई मनीष (मधुर अरोरा), सागर (हितेश कृपलानी), विष्णु (अमित) हैं.
इसी दौरान उसे पता चलता है कि गाँव में आम आदमी की क्या - क्या समस्याएं हैं? खाद के लिए सब्सिडी मिलती है लेकिन उसका फायदा गरीब किसानो को नहीं मिल पाता. इसी तरह रोजगार योजना के तहत लोन मिलता है इसके लिए भी उन्हें कितने चक्कर लगाने पड़ते हैं, ग्रामीण विकास की कई सारी योजनायें हैं लेकिन उनकी जानकारी लोगो को नहीं है. ये ही नहीं और भी कई समस्याएं हैं जिनसे गाँव वालों को दो चार होना पड़ता है.
आम आदमी की इन सभी समस्याओ के पीछे ऊँचे ओहदे वाले भ्रष्टाचारी लोग हैं. नंदिनी इन सभी भ्रष्टाचारी लोगों का पर्दाफाश करने की कोशिश करती है डी एम (कुलदीप दुबे) व समाज सेविका कल्पना (कविता राठोड) की मदद से. हालाँकी इस सबकी वजह से वो कई लोगो को आँखों की किरकिरी भी बन जाती है.
क्या नंदिनी अपने मकसद में कामयाब हो पाती है? क्या उसकी वजह से गाँव वालो को उनके सभी अधिकार मिल पाते हैं?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के देखिये डी डी नेशनल पर दोपहर १ बजे प्रसारित होने वाला धारावाहिक ''पीहर''. जिसकी टी आर पी नम्बर वन है. जिसके दर्शक दिल से इससे जुड़े हुए हैं. १५० से अधिक एपिसोड इस धारावाहिक के प्रसारित हो चुके हैं. विशान्त ऑडियो के बैनर में निर्मित इस धारावाहिक निर्माता हैं रमेश बोकाडे व निर्देशक हैं हिमांशु कोंसुल.
-एच एस कम्यूनिकेशन
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3 पाठकों का कहना है :
अच्छी कहानी है 'पीहर' की !!
कहानी नयापन लिये हुए आज की लड्की के विचार को बयान कर रही है..अच्छी कहानी, जिसकी सही मे जरुरत है/
यदि कुछ इसी प्रकार के कथानक पर एक अन्य उपन्यास है, जिसमे सब कुछ तो वही परिस्थिति है केवल नाम, कथावस्तु,पारिस्थितिकी और सामजिक सँरचना है. कथा में समाजीक सन्देश भी 'पीहर' वाला निहित हैं...बस एक फर्क है..और वो बहुत बड़ा फर्क है...फर्क है ऐतिहासकि युग का...उस उपन्यास के कथानक की पृष्भूमि है ४५० ई. सा. पू. का गया (बिहार) के १० की. मी. दूर एक गांव.....ये फिल्म वाले इसी कथानकों वाले उपन्यास क्यों नहीं चुन पाते ??
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