Thursday, March 25, 2010

संगीत कंपनी सारेगामा ने डॉ अशोक चोपडा का ''हाल मुरिदां दा कहना'' एलबम रिलीज़ किया



पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में सन फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक समारोह में संगीत कंपनी सारेगामा इंडिया लिमिटेड ने गुरु ग्रंथ साहिब के ''शबद'' का एक एलबम ''हाल मुरिदां दा कहना'' रिलीज़ किया. सुरजीत सिंह परमार द्वारा तैयार किये गये संगीत पर डा. अशोक चोपड़ा द्वारा गाये गये ८ शबद हैं, इस सीडी में, जो कि भारतीय शास्त्रीय संगीत (रागों) पर आधारित हैं, इस सी डी में 'मित्तर प्यारे नू'' ,''हाल मुरिदां दा कहना'' [ख्याल ] हैं, ये वो शबद है जो गुरू गोविन्द सिंह साहिब ने गाये थे जब उनके पूरे परिवार की मचीवादा जंगल (लुधियाना के पास) में शहादत हो गयी थी.
''हमें बहुत समय लगा इस 'उदास' ख्याल को अपनी अंतर आत्मा के साथ गाने में, जब यह ''शबद'' रिकॉर्ड हुआ उस वक्त सुबह के ४ बजे थे'' भाव विभोर होकर डॉ. चोपड़ा कहते हैं. एक पंजाबी हिंदू हैं डॉ. चोपड़ा, जो कि सच्चे धर्मनिरपेक्ष इंसान है. वो पहले भी ''नातिया कलाम'' (मुस्लिम धार्मिक कविता) और भजन (हिंदू भक्ति गायन), देश भर के संगीत समारोहों में गाकर एक गायक के रूप में लोकप्रिय हो चुके हैं. अशोक चोपड़ा का कहना है कि, "मुझे खुशी है कि सभी के आशीर्वाद के साथ, मेरा यह एलबम लांच हो रहा है."
६० वर्ष के डॉ. अशोक चोपड़ा एमबीबीएस, एमएस हैं वह एक मेधावी छात्र रहें हैं अपनी पढाई के दौरान , साथ ही साथ वह एक प्रतिभाशाली गायक हैं, वो गायक मोहम्मद रफ़ी और मदन मोहन के बहुत बड़े प्रशंसक हैं .लगातार ११ वर्षों तक उन्होंने स्कूल की प्रार्थना सभा में स्कूल के दल का नेतृत्व किया और हमेशा ही अपने स्कूल की गायन प्रतियोगिताओं के विजेता रहें. अपनी चिकित्सा के अध्ययन को पूरा करने के बाद वो 1974 में सेना में शामिल हो गए, १९९७ में सेवानिवृत्त हुए और बरेली में उन्होंने सन् २००१ काम किया. अब वह ''लेजर सर्जरी लिपोलिसी'' मुंबई में काम कर रहें हैं.
सुरजीत सिंह परमार ने मुंबई के एक गुरुद्वारें में डॉ अशोक की गुरुवाणी को सुना और उनके गायन से प्रभावित होकर ही उन्होंने डॉक्टर के साथ एक एलबम बनाने का फैसला किया. एलबम में शामिल आठों शबदो को बहुत ही ध्यान चुना है, शास्त्रीय संगीत पर आधारित इन शबदो में वाद्य उपकरणों का उपयोग कम से कम किया गया है,जिससे धार्मिक विचारों की समृद्धि बरकरार रहे. परमार एक प्रशिक्षित संगीतकार, गीतकार, लेखक और गायक है, जिन्होंने चंडीगढ़ में चार साल तक औपचारिक रूप से संगीत का अध्ययन किया है और अब २० साल से संगीत उद्योग में काम कर रहें हैं . सुरजीत को प्रेरणा मिलती है संगीतकार ए. आर. रहमान और मोहम्मद रफी जैसी संगीत के महान हस्तियों से. डॉ. चोपड़ा के बारें में उनका कहना है कि, ''डॉ के साथ काम करना बहुत ही अच्छा रहा है अब हम दूसरी एलबम साथ करने की योजना बना रहे हैं.''
इसी समारोह में 'बालिका बचाओ'' अभियान को भी लॉन्च किया गया, इसे लॉन्च किया अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, डा. अशोक चोपड़ा और विक्रमजीत एस सहानी (सूर्य फाउंडेशन के प्रमुख) ने, जो कि एक प्रसिद्ध उद्यमी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वो विशेष रूप से बालिका के संबंध में भारतीय समाज की मानसिकता में एक सकारात्मक बदलाव के बारे में प्रतिबद्ध है. फाउंडेशन ने दो मिनट का एक वृत्तचित्र बनाया है जिसमें अभिनेत्री प्रियंका चोपडा द्वारा एक संदेश है जो अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओ में है.
इस अवसर पर प्रियंका ने कहा कि, ''जब मैंने इस वृत्तचित्र देखा, तब मुझे लगा कि - 'क्या होता अगर मेरे माता पिता मुझे जन्म नहीं देते ? मैं यहाँ बिल्कुल नहीं पंहुच नहीं पाती, जहाँ आज मैं हूँ. मुझे लगता है कि आज लोगों को इस पर विश्वास करना चाहिए कि एक लड़की एक लड़के से ज्यादा सफल हो सकती है ...और एक बेटी बहुत ही अनमोल है किसी भी बेटे के मुकाबले.''

-एच. एस. कम्यूनिकेशन