ग्वालियर। हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र की सूचना के अनुसार, अपने जगन्नाथपुरी-अधिवेशन (२३ फ़रवरी २०१०) में डा. महेंद्रभटनागर को अपने सर्वोच्च अलंकरण 'साहित्यवाचस्पति' से अलंकृत किया है। उल्लेखनीय है कि हिन्दी के प्रगतिवादी आन्दोलन के शीर्ष कवियों में शुमार डा. महेंद्रभटनागर की रचनाओं के अनुवाद केवल भारतीय भाषाओं में ही नहीं; विश्व-भाषाओं में भी हुए हैं। ८४ वर्ष की दीर्घ आयु में भी आज वे एक युवा की भाँति लेखन-क्रम में सक्रिय हैं। हिन्दी और ग्वालियर के गौरव-पुरुष हैं वे।
प्रस्तुति— शैवाल सत्यार्थी
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पाठक का कहना है :
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