Thursday, April 15, 2010

एकल विद्यालय अभियान को समर्पित कवि सम्मेलन

13 अप्रैल 2010 । नई दिल्ली


अन्य कवियों के साथ मंच पर हरिओम पंवार

"जंगलों और पर्वतीय क्षेत्रो में रहने वाले, अज्ञानता और नशे में डूबे वनवासियों के बीच चलाये जा रहे एकल विद्यालय न केवल शिक्षा के मंदिर है, अपितु देश की बेरोजगारी, अशिक्षा, आतंकवाद जैसी अनेक समस्याओं का समाधान भी है।" उपरोक्त ये शब्द एकल विद्यालय अभियान के मार्गदर्शक माननीय श्री श्याम जी गुप्त ने फिक्की सभागार में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि यह अभियान गिरिवासियों एवं वनवासियों के बीच एक समरसता का सेतु है, हमारा लक्ष्य 2013 तक 1 लाख गॉंवों में एकल विद्यालय खोलना है।

भारत लोक शिक्षा परिषद् द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु आयोजित फिक्की सभागार में "राष्ट्रीय एकल कवि सम्मेलन" का कुशल संचालन करते हुये राजेश चेतन ने राम वनवास की भूमिका पर कहा कि माता-पिता की आज्ञा का तो केवल एक बहाना था, मातृभूमि की रक्षा करने प्रभु को वन में जाना था।


माननीय श्याम गुप्त का सम्मान करते अतिथिगण

संविधान के दर्द पर बोलते हुये ओज के हिमायल डॉं. हरिओम पंवार ने कहा कि मैं भारत का संविधान हूं लाल किले से बोल रहा हूं, मेरा अंतर्मन घायल है दिल की गांठे खोल रहा हूं। एकल विद्यालय के लिये एक चैक भी संस्था को समर्पित किया।

राजस्थान से आए ओज के नये हस्ताक्षर शहनाज हिन्दुस्थानी ने राम के वनवासी प्रेम पर पंक्तियां यूं पढ़ी - वनवासी बनकर ही वनवासी का दुख जाना, भोग रहे पीड़ा वर्षों से, उस पीड़ा को पहचाना। राम ही एकल विद्यालय के थे पहले सच्चे गुरूवर......।

ओज के वरिष्ठ कवि गजेन्द्र सोलंकी के गीत जुग-जुग से कल-कल कर कहता गंगा जमुना का पानी है, हो जाति धर्म सब भले अलग पर खून तो हिन्दुस्थानी है को श्रोताओं ने खूब सराहा।

अपना लिफाफा एकल विद्यालय को समर्पित करने वाली कवयित्री श्रीमती अंजु जैन ने कहा कि ‘‘जो सच के आइनों से बचकर निकल रहे है वो लिबास की तरह ही चेहरे बदल रहे है, गैरो की धूप में भी कुछ ठंडके थी ‘अंजु’ अपनो की छॉंव में भी, अब पॉंव जल रहे हैं।’’

ग्वालियर से पधारे हास्य सम्राट प्रदीप चैबे ने सभी को हँसा-हँसाकर लोटपोट करते हुये कहा कि कोई हम सा हुनर तो दिखलाये, हम भिखारी से भी भीख ले आए।

अपने अंदर का दर्द समेट कर भी लोगों को हँसाने वाले डॉं. सुनील जोगी ने कहा कि आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं जेब खाली है खजाने पे नजर रखते है, अपनी आँखों में भले आँसुओं का सागर हो मगर जहॉं को हॅंसाने का जिगर रखते हैं।

कवि सम्मेलन में विशेष रूप से समाज के विशिष्ट जनों श्री बासुदेव अग्रवाल, सूर्या ग्रुप, श्री ब्रह्मरत्न अग्रवाल, यू.एस.ए., श्री गजानंद सांवडिया, श्री जय प्रकाश अग्रवाल, सूर्या फाउण्डेशन, डॉं. नंद किशोर गर्ग, श्री विनीत कुमार गुप्ता, श्री जयकिशन गुप्ता, श्री प्रवीण गुप्ता, श्री जय भगवान अग्रवाल जी ने सहयोग किया। श्री नरेश अग्रवाल जी, जिन्दल गु्रप ने कॉरपोरेट जगत से भी एकल विद्यालय में सहयोग देने के लिये सभी से निवेदन किया।


एकल विद्यालय के आजीवन सहयोगी बने बच्चों के साथ श्री जय प्रकाश अग्रवाल

पहली बार कई बच्चे इस अभियान के आजीवन दानदाता सदस्य बने, जिससे उनके नाम का विद्यालय आजीवन चलता रहेगा, उनका भी मंच पर सम्मान किया गया तथा उपस्थित जनसमूह को एक नया संदेश मिला।

कवि सम्मेलन में सर्वश्री सुभाष अग्रवाल जी, सत्य नारायण बन्धु, नरेश जैन, जी.डी. गोयल, एस.एन.बंसल, जगदीश मित्तल, इन्द्रमोहन अग्रवाल, संजीव गोयल, सुरेश गुप्ता, विनोद अग्रवाल, मंजुश्री जी एवं परिषद् के अन्य सदस्यगण विशेष रूप से उपस्थित थे।

जगदीश मित्तल
उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक

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पाठक का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

सुन्दर कविताओ की प्रस्तुति के लिए आभार! एकल विधालय अभियान को चलाया जाना बेहद जरुरी है .इस महान कार्य के लिए बधाई!

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