मुम्बई; 25 अप्रैल
श्री राजस्थानी सेवा संघ द्वारा संचालित एस जे जे टी वि.वि. झुंझनू राजस्थान ने सुप्रसिद्ध कथा लेखिका संतोष श्रीवास्तव के सधप्रकाशित उपन्यास ' टेम्स की सरगम' का लोकार्पण श्रीमती परमेश्वरी देवी दुर्गादत्त टीबड़ेवाला कालेज के प्रांगण में किया। प्रख्यात कवि आलोक भट्टाचार्य के ओजपूर्ण संचालन से प्रारंभ हुए इस उपन्यास का लोकार्पण करते हुए डा. पुष्पा भारती ने कहा कि यह टेम्स की सरगम के सुरों का कृष्णार्पण है। उन्होंने भारती जी के साथ बिताए अपने अमूल्य क्षणों को याद करते हुए कहा कि संतोष का यह उपन्यास पढ़ते हुए मुझे आज यह कहने में संकोच नहीं होता कि इस अद्भुत कोमल पारदर्शी प्रेम का अपनी लेखनी से संतोष ने जो वर्णन किया है, मैं वैसे ही उसी प्रेम से गुजरी हूं। और यह प्रेम का एहसास ही इसमें वर्णित है। संतोष के इस उपन्यास में इतिहास धड़क रहा है। इसमें भक्ति मार्ग, ग्यान मार्ग का संगम है।
कथाकार ओमा शर्मा ने उपन्यास पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि लेखिका के पास उपन्यास कला है । कथानक कहीं ठहरता नहीं है, भाषा कभी गूढ़ या अमूर्त नहीं होती है। पात्रों के बातचीत के बीच वे अपनी भाषा के माध्यम से उस अनकही को रचती हैं जो कथा की भरपाई करती है।
कथाकार प्रमिला वर्मा ने अपने कथन में लेखिका के साथ जिए रचना क्षणों को याद कर सभी को अभिभूत कर दिया। उपन्यास के विविध प्रसंगों की नौरस में टी.वी. कलाकार रवि राजेश ने भावपूर्ण प्रस्तुति की। यह लोकार्पण के इतिहास में एक अद्भुत प्रयोग था। वरिष्ठ लेखक धीरेन्द्र अस्थाना ने उपन्यास की चर्चा को आगे बढा़ते हुए कहा कि इतिहास के प्रांगण में प्रवेश कर कुछ बटोर लाने के लिए लेखिका का साहस सलाम का हकदार है।
उपन्यास की लेखिका सुप्रसिद्ध कथाकार संतोष श्रीवास्तव ने अपने मनोगत वक्तव्य में उपन्यास की रचना के क्षणों को बताते हुए अपने कोलकाता व लंदन के प्रवास के शोधकार्य को प्रस्तुत किया। सतना से आए वरिष्ठ साहित्यकार प्रह्लाद अग्रवाल ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि जब किसी रचना में प्रेम का अद्भुत तत्व मन को भिगो देता है तो बाकी सारी घटनाएं निरर्थक हो जाती हैं। मैंने लेखिका का साहित्य शुरु से पढ़ा है और मैं लेखिका का प्रशंसक रहा हूं।
हिन्दी साहित्यकारों के बीच उर्दू के साहित्यकारों का आना समारोह में चार चांद लगा गया। साप्ताहिक उर्दू कौमी पैगाम के पत्रकार निसार अहमद, मलिक अकबर, मुंब्रा से आए शायर समीर फ़ैजी एवं समाज सेवक अनवर मोहम्मद खान ने लेखिका को पुष्प गुच्छ भेंट कर अपनी शुभकामनाएं दीं। तथा उनके सम्मान में अनवर मोहम्मद खान ने शेर पढ़े।
विशेष अतिथि चर्चित कथाकार सुधा अरोड़ा ने इस उपन्यास की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें इतिहास झांकता है। लेखिका इतिहास की छात्रा रह चुकी हैं तो इतिहास को बखूबी पेश करना उन्हें आता है। इसमें आज की नारी का चरित्र उभरकर सामने आता है। अध्यक्ष विनोद टीबड़ेवाला [ कुलपति -एस जे जे टी वि.वि.] ने कहा कि उन्होंने जब यह उपन्यास हाथ में लिया तो बिना पूरा पढ़े वे सो भी नहीं पाए। वे एक पाठक के दृष्टिकोण से कहते हैं कि इस उपन्यास की पकड़ ही इतनी मजबूत है।
हेमंत फ़ाउंडेशन की सदस्य तथा लेखिका सुमीता केशवा ने सबके प्रति अपना आभार प्रकट किया। देवी नागरानी ने अपने सुमधुर कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम में भारी संख्या में मुंबई के पत्रकार संपादक तथा प्रतिष्ठित एवं नवोदित साहित्यकारों का अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज़ कराना यह सिद्व करता है कि साहित्य इस सदी के सर्वोच्च शिखर पर है।
प्रस्तुति- सुमीता केशवा
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