Wednesday, May 12, 2010

ब्रैम्पटन लाइब्रेरी कनाडा में, "साउथ एशियन हेरिटेज मास" का कवयित्री मीना चोपड़ा के कविता पाठ से आरम्भ



मई 2, 2010 को ब्रैम्पटन लाइब्रेरी का साउथ एशियन हेरिटेज मास का आरम्भ साउथ फ्लैचर शाखा में बहुत धूम-धाम से हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य दक्षिण एशिया से आए अप्रवासियों की लाइब्रेरी सिस्टम में रुचि बढ़ाना और इसके बारे में जानकारी देना है। इस महीने के दौरान इस सिस्टम की सभी लाइब्रेरियों में बच्चों के लिए बारी बारी द्विभाषी पुस्तक पाठ, कहानियाँ और गीत होंगे।
इस अवसर पर मिसिसागा की कवयित्री, चित्रकार और शिक्षक मीना चोपड़ा जो हिन्दी और अंग्रेज़ी; दोनों भाषाओं में रचना करती हैं, की पुस्तक "सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है" का लोकार्पण और कविता पाठ के लिए बुलाया गया।
यह पुस्तक हिन्दी, ऊर्दू और हिन्दी लिप्यांतरण (ट्रांसलिटरेशन) में प्रकाशित हुई है। मीना चोपड़ा की एक पूर्व प्रकाशित अंग्रेज़ी काव्य पुस्तक "इग्नाईटिड लाईन्ज़" का फिर से प्रकाशन भी हुआ है। मीना चोपड़ा की पुस्तकों के विमोचन के लिए ब्रैम्पटन की मेयर सूज़न फैनल आई थीं।
कार्यक्रम दो बजे के बाद आरम्भ हुआ। ब्रैम्पटन लाइब्रेरी की बहुसांस्कृतिक सेवाओं की संयोजिका सरला उत्तांगी ने सभी का स्वागत किया और ब्रैम्पटन लाइब्रेरी सिस्टम की चेयर पर्सन जैनिस ऑड को आमंत्रित किया। जैनिस ने लाइब्रेरी में अन्य भाषाओं की पुस्तकों की चर्चा करते हुए बताया कि पिछले कुछ वर्षों में ब्रैम्पटन की लाइब्रेरियाँ किस तरह से बदल गई हैं। उन्होंने ब्रैम्पटन की मेयर को पुस्तक के लोकार्पण के लिए आमंत्रित किया।
सूज़न फैनल लोकार्पण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि इस समय ब्रैम्पटन में 175 देशों से आए लोग बसे है।
पुस्तक विमोचन के बाद मीना चोपड़ा ने अपनी पुस्तक में से कुछ रचनाएँ सुनाईं।

उनके बाद जैनिस ऑड ने मलिस्सा भगत को आमंत्रित किया। मलिस्सा कैनेडा के सिटिज़िनशिप और मल्टीकल्चरल मंत्री जेसन कैनी वरिष्ठ सलाहकार हैं। उन्होंने मीना जी के लिए जेसन कैनी का संदेश पढ़ा। मलिस्सा भगत ने ब्रैम्पटन के इलाके के भविष्य के कंज़र्वेटिव दल के प्रत्याशी कायल को मंच पर बुलाया और उन्होंने भी मीना जी को बधाई दी।

अगले चरण में सरला उत्तांगी ने सुमन कुमार घई को पुस्तक के बारे में बोलने के लिए आमंत्रित किया। सुमन कुमार घई ने पुस्तक के लिप्यांतरण में भी सहयोग दिया है। सुमन घई ने लिप्यांतरण के महत्व को बताते हुए समझाया कि उत्तरी भारत, पाकिस्तान, कैरेबियन और कुछ अफ्रीकन देशों के लोग भाषा को समझते तो हैं परन्तु देवनागरी लिपि में हिन्दी नहीं पढ़ पाते इसलिए लिप्यांतरण से उन्हें कविता का आनन्द लेने में सुविधा रहेगी। सुमन घई ने पुस्तक की समीक्षा भी की।

कार्यक्रम की अगली वक्ता थीं उर्दू की शायरा नसीम सैय्यद। उन्होंने बहुत ही ख़ूबसूरत ढंग से मीना की काव्य शैली की चर्चा करते हुए मीना की चित्रकला से मिलाया और कहा कि मीना आम कवियों से हटकर शब्दों का कम इस्तेमाल करते हुए बहुत कुछ कह जाती है।
इग्नाईटिड लाईन्ज़ की चर्चा करने के लिए इंग्लिश की कवयित्री सास्किया मैडॉक को आमंत्रित किया गया। सास्किया ने मीना की कविता और अपनी कविताओं की एक ही शैली की रचनाएँ कहा और उदाहरण के लिए अपनी एक कविता सुनाई।

इस क्रम के बाद मीना जी ने अपनी पुस्तक की कुछ कविताओं का पाठ किया और श्रोताओं को प्रश्नोत्तर सत्र के लिए आमन्त्रित किया। श्रोताओं बहुत सटीक प्रश्न पूछे और उन्हें उतने ही सटीक उत्तर भी मिले।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन ताबीर विरदी, मीना जी की बेटी ने दिया।
सभा का विसर्जन करते हुए साउथ फ्लैचर शाखा की मैनेजर लिज़ा लिप्सन ने सभी का धन्यवाद किया और बताया कि मीना चोपड़ा की पुस्तकें अब लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं।

मीना इस वर्ष मिसिसागा के प्रथिष्टित MARTY AWARD की नॉमिनी भी हैं।

सुमन घई

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पाठक का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

मीना जी को उनकी किताब के लोकार्पण के लिए हार्दिक बधाई..खबर के लिए आभार!

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