Thursday, May 13, 2010

रविन्द्र नाथ टैगोर की 150वीं जयंति पर उदयपुर में मुशायरा आयोजित



उदयपुर । ”दरिया है अपने जोश में, कच्‍चा घड़ा हूॅ मैं, अपने वजूद के वास्‍ते फिर भी लड़ा हूॅ मैं“ से प्रसिद्ध गजल गायक प्रेम भण्‍डारी ने कविवर रविन्‍द्रनाथ टैगोर की एक सौ पचासवीं जयन्‍ति पर डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्‍ट, अदबी संगम एवं वेदान्‍ता हिंद जिंक के संयुक्‍त तत्‍वाधान में आयोजित मुशायरे का आगाज किया। डॉ. प्रेम ने तरन्‍नूम में ”रूप इतना ही बहुत है, जितना मालिक दिया, इसको अब और सजाने की जरूरत क्‍या है“ पेश कर भरपूर तालियां बटोरी। शायर ईकबाल सागर ने ”झील हो, दरिया हो, तालाब हो या झरना, जिसको देखो वो सागर से खफा लगता है“ सूनाकर भरपूर दाद बटोरी।
शायर मुश्‍ताक चंचल ने ”लो आओ अब मिल जाये सभी“ को भी एकता के तले सूनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। शायर असमां बेगम ने ”नस्‍ले आदम की क्‍या पुछिये, आदमी क्‍या से क्‍या हो गया“ पेश कर दाद बटोरी। खुर्शिद नवाब ने क्रान्‍तिकारी गजल ”हिन्‍दू की बात कर ना मुसलमा की बात कर, इंसा है अगर तु तो इंसान की बात कर“ सूना कर मुशायरे को परवान चढ़ाया। कवियत्रि डॉ. बीना ने ”माँ तु दुर्गा बन जा वरना ये आतंकवाद थमेगा नहीं“ सूनाकर आने वाले मदर्स-डे की सूचना दी।
नामचीन शायरा एवं मुशायरे की संयोजक डॉ. सरवत खान ने ”मुंह फेर के युॅ पास से गुजरा ना कीजिये, बातों में जहर इतना मिलाया ना कीजिये“ सूना कर खूब तालियां बटोरी।
दूरदर्शन केन्‍द्र, जयपुर के निदेशक एवं मुख्‍य अतिथि डॉ. के.के. रत्तू ने कहा कि रवीन्‍द्र नाथ टैगोर दुनिया के ऐसे शख्‍स है, जिन्‍होंने भारत और बंगला देश के राष्‍ट्रगान लिखे है। डॉ. रत्तू ने ”मैंने फांसी पर चढ़ने से पहले दरख्‍तों से दुआ की, हरे रहना, भरे रहना“ सुनाकर मुशायरे को परवान चढ़ाया। मुशायरे की सदारत करते हुए जे.एन.यू. के पूर्व कुलपति प्रो. एम.एस. अगवानी ने कहा कि रवीन्‍द्रनाथ टैगोर गांधीजी के शब्‍दों में देश के ”सेन्‍टीनल“ पहरेदार थे, उन्‍होंने जलियावाला हत्‍या काण्‍ड से दुःखी हो ”नाईट हूड“ की उपाधि ब्रिटिश सरकार को लौटा दी थी।
मुशायरे के प्रारम्‍भ में ट्रस्‍ट सचिव नन्‍दकिशोर शर्मा ने गुरुवर रविन्‍द्रनाथ टैगोर को श्रद्धान्‍जलि देते हुए गुरुवर के कवित्‍व पर प्रकाश डाला। विद्या भवन के प्राचार्य एम.पी. शर्मा ने धन्‍यवाद कहा।



प्रस्तुति- नीतेश सिंह

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