Thursday, July 29, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी को उचित स्थान दिलाने के लिए संघर्ष किया जाएगा

राजभाषा समर्थन समिति मेरठ ; अक्षरम एवं वाणी प्रकाशन दिल्ली की संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा

संगोष्ठी में पारित प्रस्ताव
1. राजभाषा समर्थन समिति मेरठ एवं अक्षरम के संयोजन में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिंमंडल जिसमें सांसद, पत्रकार, साहित्यकार शामिल होंगे गृहमंत्री, गृहराज्यमंत्री, दिल्ली की मुख्य मंत्री, राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्य़क्ष, खेल मंत्री से मुलाकात कर राजभाषा हिंदी के प्रयोग का प्रश्न उनके संज्ञान में लाएगा।
2. संसद व मीडिया में इस प्रश्न को उठाने के लिए सांसदों तथा मीडियाकर्मियों से संपर्क किया जाए।
3. खेलों की वेबसाइट हिंदी में तुरंत बनाई जाए।
4. दिल्ली पृलिस और नई दिल्ली नगरपालिका द्वारा सभी नामपट्टों व संकेतकों में हिंदी का भी प्रयोग हो ।
5. खेलों के दौरान वितरित की जाने वाली सारी प्रचार सामगी हिंदी में भी तैयार की जाए।
6. खेलों के आंखो देखे हाल के प्रसारण की व्यवस्था हिंदी में भी हो।
7. पर्यटकों व खिलाडियों के लिए होटलों व अन्य स्थानों पर हिंदी की किट भी हो।
8. उदघाटन समारोह व समापन समारोह भारत की संस्कृति व भाषा का प्रतिबिम्ब हो । सांस्कृतिक कार्यक्रम देश की गरिमा के अनुरूप हों। राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री व अन्य प्रमुख लोग अपनी भाषा में विचार व्यक्त करें।
9. राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी के प्रयोग के लिए एक जनअभियान चलाया जाए और सरकार द्वारा सुनवाई ना किये जाने पर जंतरमंतर व अन्य स्थानों पर धरने व प्रदर्शन की योजना बनाए जाए।
10. इस अवसर का उपयोग करते हुए राष्ट्रमंडल के देशों में हिंदी के प्रचार – प्रसार के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।
राष्ट्रमंडल खेलों में राजभाषा की अवेहलना की जा रही है। दिल्ली नगरपालिका , दिल्ली पुलिस द्वारा नामपट्टों और संकेत चिन्हों पर लगातार ध्यान दिलाने के बावजूद केवल अंग्रेजी का प्रयोग हो रहा है। खेलों की वेबसाइट तक हिंदी में नहीं है। उदघाटन समारोह और समापन समारोह जैसे कार्यक्रमों में भारत की भाषा और संस्कृति का प्रतिबिम्ब होना चाहिए और भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को इन कार्यक्रमों में अपनी भाषा में संबोधन करना चाहिए। ‘ राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी ’ विषय पर अक्षरम, राजभाषा समर्थन समिति और वाणी प्रकाशन द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 27 जुलाई को आयोजित संगोष्ठी में सांसदों , पत्रकारों, साहित्यकारों, कमेंटटरों ने यह विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डा रत्नाकर पांडेय , कलराज मिश्र, हुक्मदेव नारायण यादव, प्रदीप टमटा , राजेन्द्र अग्रवाल ( सांसदों) डा वेदप्रताप वैदिक, रामशरण जोशी, डा गंगा प्रसाद विमल, जसदेव सिंह, रवि चतुर्वेदी , महेश शर्मा , नवीन लोहानी, नारायण कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। गोष्टी का संयोजन अक्षरम के अध्यक्ष अनिल जोशी ने किया।

गोष्टी में श्री कलराज मिश्र ( सांसद) और रत्नाकर पांडेय आदि ने सुझाव दिया कि श्री सुरेश कलमाडी, श्रीमती शीला दीक्षित, श्री एम.एस .गिल से हिंदी की अवहेलना के मुद्दे पर प्रतिनिधिमंडल लेकर मिला जाए और ठोस कार्ययोजना बनाई जाए । श्री हुक्म नारायण यादव ( सांसद) और श्री वेदप्रताप वैदिक ने समस्या का समाधान ना निकलने पर आंदोलनात्मक रवैया अख्तियार करने का आह्वान किया। श्री प्रदीप टमटा ( सांसद) ने देश में हिंदी की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर क्षोभ प्रकट किया। श्री राजेन्द्र अग्रवाल ( सांसद) जिनकी पहल पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था ने इस संबंध में किसी भी प्रकार के सहयोग

के लिए प्रस्तुत होने तथा राजभाषा संसदीय समिति के मंच के माध्यम से इसके लिए प्रयास करने की बात की। श्री गंगा प्रसाद विमल और गीतेश शर्मा ने कहा कि यह मात्र भाषा का नहीं संस्कृति का भी प्रश्न है। श्री रामशरण जोशी ने राष्ट्रमंडल खेलों से जुडे ठोस मुद्दों को सामने रखा। रवि चतुर्वेदी व श्री जसदेव सिंह ने बताया कि किस प्रकार विश्व भर के आयोजनों में स्थानीय देश की भाषा को महत्व दिया जाता है। मेरठ विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफ नवीन चन्द्र लोहानी ने अभियान की प्रस्तावना रखी वहीं श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने सारगर्भित सुझाव दिए । नारायण कुमार ने धन्यवाद दिया व प्रस्ताव पढ़े जिन्हें सभा ने पारित किया। अरूण महेश्वरी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया व अंत में अनिल जोशी ने आगे की कार्ययोजना प्रस्तुत की। इस अवसर पर मेरठ दिल्ली सहित आप पास से लोगों की उपस्थिति रही


अनिल जोशी (अध्यक्ष, अक्षरम)


प्रेषक- प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी (09412207200)