असगर अली इंजीनियर का उद्बोधन
उदयपुर। हिंसा मानव स्वभाव है, मानव की प्रकृति है लेकिन सत्य पर डटे रहने, इच्छाओं के शमन तथा लोभ, लालच की मुक्ति से अहिंसा को जिया जा सकता है। इसके लिए सत्ता व शक्ति को प्राप्त करने के मोह को छोडकर मानव सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाना होगा ।
यह विचार प्रसिद्ध सुधारवादी चिंतक डॉ0 असगर अली इंजीनियर ने डॉ0 मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए। असगर अली ने धर्म, मजहब की विस्तृत विवेचना करते हुए कहा कि हर धर्म, मजहब सत्य, अहिंसा, मानवीय गरिमा, मूल्य आधारित व्यवहार व स्वतंत्रता पर जोर देता है। लेकिन वर्तमान में धर्म-मजहब रिति-रिवाजों, कथित परम्पराओं, कर्मकाण्डों में जकड कर रह गया है। उन्होंने खात पंचायतों, ऑनर किलिंग के संदर्भ में कहा कि इन कथित परम्पराओं, जाति व समाज के अहम तथा पहचान के अभिमान का परिणाम है कि एक मां अपने बच्चे की हत्या कर देने में गर्व महसूस करती है।
वैश्वीकरण व उदारीकरण के संदर्भ में इंजीनियर ने कहा कि आधुनिक तकनीकी इच्छाओं, कृत्रिम आवश्यकताओं को जन्म देती है। इसकी पूर्ति के लिये अधिक उत्पादन होता है तथा उत्पादन के लिए कच्चा माल, सस्ता मानव श्रम हासिल करने में युद्ध व शोषण होते है। अमेरिका इसी कारण कांगो, वियतनाम, इराक पर बम युद्ध थोपता है। असगर अली ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि जमीर, अन्तकरण की आवाज पर चलने, गांधी की तरह सियासत, राजनीति के बीच रहते हुए सत्य व अहिंसा को जीने तथा सत्याग्रह के पवित्र हथियार है। यंत्र से ही हम मानव समाज को अच्छा तथा भय, गरीबी, युद्ध से मुक्ति दिला सकते है।
संगोष्ठी के प्रारम्भ में ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने गांधीजी के जीवन मूल्यों, सत्य के साथ प्रयोग तथा हिन्द स्वराज के विचार पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा असगर अली व विषय से संभागियों को परिचित कराया। अध्यक्षता गांधीवादी चिंतक किशोर सन्त ने की तथा धन्यवाद ट्रस्ट के अध्यक्ष विजयसिंह मेहता ने ज्ञापित किया । संगोष्ठी में स्वतंत्रता सेनानी एम0पी0 बया सहित मन्सूर अली, सज्जनकुमार ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ0 जेनब बानू ने किया ।
नीतेश सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
टिप्पणी देने वाले प्रथम पाठक बनें
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)