Saturday, September 18, 2010

इस वर्ष का ‘अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान’ लक्ष्मी शंकर बाजपेयी को


बाएं से दाएं : मोनिका कपिल मोहता, डा सत्येन्द्र श्रीवास्तवा, केशरीनाथ त्रिपाठी, इंडिया रस्सेल, डा लक्ष्मीशंकर बाजपेई, डा पदमेश गुप्त, तेजेन्द्र शर्मा, बैरोनेस श्रीला फ़्लैदर एवं दिव्या माथुर

हिंदी गीत गज़ल व कविता के सशक्त हस्ताक्षर लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने हाल ही में अपनी काव्य-यात्रा में एक और महत्वपूर्ण मील पत्थर तय किया. अनेकों पुरस्कारों सम्मानों से सम्मानित बाजपेयी, कविता द्वारा समाज की सच्चाइयों को बेबाक और दो टूक तरीके से कहने के लिये जग-प्रसिद्ध हैं. इस वर्ष उन्हें लंदन स्थित साहित्यिक संस्था ‘वातायन’ जो कि ‘नेहरु केंद्र, लंदन’ तथा ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (Indian Council of Cupltural Relations) के सहयोग से यू.के में साहित्यिक गतिविधियों के लिये प्रसिद्ध है, का ‘अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान’ प्रदान किया गया. श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी पिछले दिनों यू.के के दौरे पर थे तथा वहाँ के कई स्थानों यथा ‘भारतीय उच्चायोग’ लंदन, वूलवरहम्पटन, नेहरु केन्द्र लंदन, साल्वे, कार्डिफ, लीसेस्टर, बिरमिंघम लिवेर्पूल आदि में उनकी कविता की धूम मची रही.

दि. 31 अगस्त 2010 को लंदन के नेहरु केंद्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान’ समारोह में अंग्रेज़ी व हिंदी साहित्य की कई मूर्धन्य हस्तियाँ उपस्थित थी तथा बाजपेयी के प्रसिद्ध गीत ‘पूछा था रात मैंने ये पागल चकोर से, पैगाम कोई आया है चंदा की ओर से’ पर आधारित एक आकर्षक नृत्य का आयोजन भी हुआ. वहाँ के प्रसिद्ध संगीतकार जटानिल बैनर्जी ने बाजपेयी की कविताओं पर आधारित मनमोहक संगीत रचनाएँ प्रस्तुत की. ब्रिटिश कवयित्री इण्डिया रुस्सेल ने बाजपेयी की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत किये. सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य हस्तियों यथा मोनिका कपिल मोहता (निदेशक, नेहरु केंद्र), डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव (पूर्व वरिष्ठ व्याख्याता केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी), केशरीनाथ त्रिपाठी, इंडिया रस्सेल, डा पदमेश गुप्त (अध्यक्ष हिंदी समिति), तेजेन्द्र शर्मा, बैरोनेस श्रीला फ़्लैदर एवं दिव्या माथुर ने बाजपेयी की रचनाओं की भरपूर सराहना की.

‘बेज़ुबान’, ‘दर्द’, ‘खशबू तो बचा ली जाए’ जैसी सशक्त काव्य पुस्तकों के रचेता श्री बाजपेयी को अपनी अनुभव-धनी साहित्यिक यात्रा के दौरान ‘संसदीय हिंदी परिषद’ व ‘परिचय साहित्य परिषद’ के ‘राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान’, हिंदी अकादमी का ‘बाल साहित्य सम्मान’ तथा ‘उद्भव शिखर सम्मान’ आदि जैसे अनेक सम्मानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. यह पूछे जाने पर कि किसी साहित्यकार के जीवन में पुरस्कारों सम्मानों की क्या महत्ता है, स्वाभाव से मृदुभाषी और प्रतिपल चिंतनमग्न से दिखते श्री बाजपेयी का कथन है कि पुरस्कार व सम्मान उन के लिये अधिकाधिक प्रेरणा व गतिशीलता का स्रोत हैं जिन से वे अपना अधिकाधिक समय रचनात्मकता को दे पाते हैं. श्री बाजपेयी मूलतः मानवीय संवेदनाओं के कवि हैं जिन की कविताओं में पारिवारिक मूल्यों से भी बहुत सुन्दर रूप से साक्षात्कार होते हैं, यथा उन की एक गज़ल का एक शेर:
बहुत दिन बाद आ कर कह गया फिर जल्दी आता हूँ,
पता माँ बाप को भी है वो कितनी जल्दी आता है.

निश्छल से निश्छल शब्दों में बार बार अपने रोज़गार हेतु आते जाते बच्चों के प्रति माँ बाप की इस तड़पन को केवल बाजपेयी की संवेदनशील कलम ही व्यक्त कर सकती है. 10 जनवरी 1955 को कानपुर के निकट सुज्गावन गांव में जन्मे लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने शिक्षा तो एम.एस.सी (भौतिक विज्ञान) में प्राप्त की पर मन कवि का पाया. वर्तमान में वे आकाशवाणी दिल्ली के स्टेशन निदेशक हैं तथा उन के साहित्यिक शख्सियत के धनी होने के कारण आकाशवाणी कार्यक्रमों में भी उनकी देखरेख में काफी सार्थक परिवर्तन पाए गए हैं.

समारोह में पद्मेश गुप्त (अध्यक्ष हिंदी समिति ), मोनिका मोहता जी (निदेशक नेहरु केंद्र ), उषा राजे सक्स्सेना (उप- संपादक , एवं अध्यक्ष -अंतर्राष्ट्रीय प्रचार समिति ),दिव्या माथुर (सह अध्यक्ष "पुरवाई" ),डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव (पूर्व वरिष्ठ व्याख्याता केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ) सहित हिंदी समिति के अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत ...पद्मेश गुप्त ने की, फिर कमान संभाली मोनिका मोहता जी ने और आने वाले दिनों में होने वाले आयोजनों से परिचित कराया.

रिपोर्ट – प्रेमचंद सहजवाला

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2 पाठकों का कहना है :

Aruna Kapoor का कहना है कि -

प्रेमचंद जी!...आपने तो मानों आंखो देखा हाल प्रस्तुत किया है!....लगता है सबकुछ सामने घटीत हो रहा है!...जब विदेशों मे ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है तो सिर गर्व से उंचा उठ जाता है!....वाकई यह कार्यक्रम कितना मनोरंजक रहा होगा...जहां भारतीय कविताओं का और गजलों का सुंदर पठन-पाठन हुआ होगा!....ढेरों शुभकामनाएं!

श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयीजी हार्दिक अभिनंदन!

Unknown का कहना है कि -

लक्ष्मी शंकर के गीत गज़ल बहुत सुन्दर होते हैं. मैंने उन्हें कुछ कार्यक्रमों में सुना है. उनका सम्मान कविता का सम्मान है. मेरी ओर से बधाई.

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