Monday, October 25, 2010

हिंदी के वरिष्ठ कथाकार सोहन शर्मा का निधन

हिंदी के वरिष्ठ कथाकार, उपन्यासकार और गंभीर मार्क्सवादी विचारक-चिन्तक डॉ. सोहन शर्मा का 21 अक्टूबर को रात के लगभग 11 बजे निधन हो गया। वे पिछले एक वर्ष से फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे थे। डॉ. सोहन शर्मा की बीसेक किताबें हैं। उनके कहानी संग्रह- बर्फ का चाकू, जूनी लकड़ियों का गट्ठर, आमने-सामने, आधे उखड़े नख की पीड़ा, अपनी जगह पर, स्याह होती धूप आदि तथा कविता संग्रह- थमना मत गोदावरी के साथ उनके बहुचर्चित उपन्यास थे-- ''मीणा घाटी'' और ''समरवंशी''। उनकी वैचारिक पुस्तकों में- ''विकल्प के पक्ष में'' चर्चित रही। उन्होंने ''सही समझ'' नाम से एक पत्रिका भी कई वर्षों तक सम्पादित की जिसमें उन्होंने युवा स्वर को प्रमुखता दी। वे बैंक ऑफ बडौदा में हिंदी अधिकारी में उप महाप्रबंधक के पद पर रिटायर हुए। भारत सरकार की बैंकों के कार्यान्वयन की राजभाषा नीति को लागू करवाने में उनकी महती भूमिका रही।
डॉ. सोहन शर्मा रामानंद सागर के ''रामायण'', ''पृथ्वीराज चौहान'' तथा ''मीरा'' धारावाहिक में शोध तथा पटकथा लेखन में सहायक रहे।

डॉ. सोहन शर्मा क्रांतिकारी वाम के समर्थक थे. वर्ल्ड सोशल फोरम के समानांतर उन्होंने एक क्रांतिकारी वाम पंथी फोरम का स्वरुप रखा। इधर वे अपने एक उपन्यास ''अहो , मुंबई'' के लेखन में व्यस्त थे तथा नक्सलवाद के सम्पूर्ण इतिहास का पुनर्लेखन कर रहे थे।

रविवार 24 अक्टूबर को संन्यास आश्रम , विले पार्ले पश्चिम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में जगदम्बा प्रसाद दीक्षित, शोभनाथ यादव , आर.के पालीवाल, सुधा अरोड़ा, नंदकिशोर नौटियाल, विश्वनाथ सचदेव, अक्षय जैन,देवमणि पाण्डेय,पूर्ण मनराल, दयाकृष्ण जोशी, उमाकांत वाजपेयी आदि रचनाकारों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

सोहनजी की पत्नी शशि शर्मा का संपर्क नं. -- 022 2682 0216 / 98191 40555

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पाठक का कहना है :

Manju Gupta का कहना है कि -

हिंदी के स्तम्भ श्रद्धेय साहित्यकार शर्मा जी को श्रद्धा सुमन के रूप भावभीनी श्रधांजली अर्पित करती हूँ .

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