Thursday, May 5, 2011

“भारत की दुनिया में आ जाओ” प्रो. वांग श्यूइन

बहुआयामी भारत की खोज——बेजिंग में



बीजिंग । 30 अप्रैल 2011

आज भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक केंद्र के तत्वावधान में चीन के प्रसिद्ध भारतविद प्रो. वांग श्यूइन की पुस्तक “भारत जिसे शायद आप नहीं जानते”का लोकार्पण समारोह सम्पन्न हुआ। पुस्तक का लोकार्पण दूतावास के उप प्रमुख(DCM) श्री राहुल छाबड़ा ने किया।
पुस्तक का लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भारत और चीन के पारस्परिक ——ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक एवं आर्थिक आयामों को अपनी समग्रता में प्रस्तुत करती है।
भारतीय राज दूतावास के काउंसलर (सांस्कृतिक /राजनैतिक) श्री अरुण कुमार साहू ने पुस्तक का परिचय देते हुए अपने संबोधन में कहा कि प्रो. वांग श्यूइन ने इस कृति के माध्यन से चीन और भारत के अन्तःसंबंधों को एक नयी दिशा दी है। वर्तमान चीन के युवापीढ़ी में भारतीय जनमानस एवं संस्कृतिको समझने की गहरी जिज्ञासा है। यह पुस्तक चीन और भारत के संबंधों की निरंतरता पर बड़ी गहराई से विचार करती है।
समाजविज्ञान की चीनी अकादमी (Chinese Academy of Social Sciense) के प्रो. ल्यू च्येन ने कहा कि भारत चीन के संबंध प्रागैतिहासिक काल से ही बड़े ही अंतरंग रहे हैं। पर आज चीनी युवापीढ़ी को भारतीय समझ के बारे में बड़ा ही भ्रम है। यहाँ तक कि चीनी साहित्यकार लूशुन ने भी कहीं कहीं भारत को समझने में भूल की है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने 1924 की अपनी पहली चीन यात्रा के बाद अपने लेखों में चीनी और भारतीय युवापीढ़ी को पास पास लाने की कोशिश की थी। प्रो. चीश्येलिन और वांग श्यूइन जैसे भारत विद्वानों ने चीन और भारत के संबंधों को नयी दिशा प्रदान की है।

प्रो. वांग ने अपने व्याख्यान में कहा कि वर्तमान काल में एशिया के विभिन्न देशों की आर्थिक प्रगति तेज़ी से बढ़ रही है। इससे एशिया के विभिन्न देशों के राजनीतिक आर्थिक विकास को बल मिलेगा। तीन और भारत इस विकास में मुख्य पात्र बनकर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। ऐसी हलत में चीन व भारत को और अच्छी तरह अपने देश का निर्माण करने के निए एक दूसरे से सीखना और आदान प्रदान करना बेहद जरुरीहै।

पुस्तक के प्रकाशक चीनी सोशल पब्लिशिंग हाउस की प्रबंधिका सुश्री माओ होओ ने पाठक वर्ग की पुस्तक में अभिरुचि एवं लोक प्रियता की विस्तार से चर्चा की।

इस अवसर भारतीय दूतावास के सुश्री सुमिता दावरा, राजीव सिन्हा,अभिषेक शुक्ल, विनायक चौहान,सतीश कुमार,श्री केशव तलेगांवकर, अशोक चक्रवर्ती, डो. देवेंद्र शुक्ल (प्रो पेकिंग विश्वविद्यालय )के साथही वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशिष्ट राजनयिकों , पत्रकारों एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्पापकों एवं छात्रों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

कार्यक्रम का संयोजन भारतीय दूतावास के काउंसलर (सांस्कृतिक राजनीतिक ) श्री अरुण कुमार साहू तथा संचालन श्री राजीव सिनहा (सचिव, संस्कृति) ने किया।

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पाठक का कहना है :

जिष्णु का कहना है कि -

इस समाचार के लिए बहुत धन्यवाद। क्या कोई मुझे यह सूचना दे सकता है कि यह पुस्तक सर्वप्रथम किस भाषा में लिखी गई? हिंदी अथवा अंग्रेज़ी?

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