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Tuesday, April 26, 2011

नागार्जुन जन्मशती विशेषांक के बहाने हुआ नागार्जुन-संवाद


मिथिलेश श्रीवास्तव, विष्णुचंद्र शर्मा, डॉ आनंद प्रकाश एवं राम कुमार कृषक (मंच पर बैठे हुए क्रमश: बाएं से दायें)

कविता और विचार के मंच लिखावट, साहित्यिक पत्रिका अलाव और स’आदतपुर साहित्य समाज के संयुक्त तत्वावधान में “नागार्जुन-संवाद” नामक चार सत्रीय कार्यक्रम दिनांक 24 - 4 -11 को संपन्न हुआ। कार्यक्रम के पहले दूसरे और तीसरे सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु चंद्र शर्मा ने तथा संचालन राम कुमार कृषक ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आनंद प्रकाश थे। कार्यक्रम के पहले सत्र में कृष्ण कल्पित, डॉ. बली सिंह, मणिकांत ठाकुर, महेश दर्पण, उमेश चतुर्वेदी, डॉ. आनंद प्रकाश, मिथिलेश श्रीवास्तव और विष्णु चन्द्र शर्मा जी नें बाबा नागार्जुन की रचनाओं पर अपने अपने वक्तव्य दिए साथ ही साथ कई रोचक संस्मरण भी सुनाये। महेश दर्पण नें कहा कि हमारे देश में विकास की दर इतनी धीमी है कि बाबा की प्रासंगिकता बहुत अधिक समय तक बनी रहेगी साथ साथ उन्होंनें यह भी कहा कि बाबा अपने समय के निर्देशक थे। मिथिलेश श्रीवास्तव कुछ लोगों द्वारा नागार्जुन के साहित्य का लगातार अवमूल्यन करने से काफी आहात दिखे, उन्होंनें कहा कि नागार्जुन और शमशेर पर लगातार बात चीत होनी चाहिए क्यूंकि कुछ लोग उन्हें दूसरे सन्दर्भों में चुराने की कोशिश कर रहे हैं। उमेश चतुर्वेदी नें बाबा से जुड़ी कुछ बातों की चर्चा तथा पत्रकारिता में बाबा के योगदान पर चर्चा की। मुख्य अतिथि डॉ. आनंद प्रकाश नें नागार्जुन की कविता “हरिजन गाथा” के शीर्षक के पीछे की कहानी बताई और कहा कि नागार्जुन की कविता जनता की तरफ से संवाद करती है इसलिए इस गोष्ठी का नाम “नागार्जुन-संवाद” भी सार्थक है। इस सत्र का समापन अध्यक्ष विष्णुचंद्र शर्मा के वक्तव्य के साथ हुआ। उन्होंनंन कहा कि जहाँ भी क्रांति कि सम्भावना है वहाँ नागार्जुन हैं, आज नागार्जुन होते तो उस व्यक्ति के लिए कविता लिखते जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध हम सबके लिए भूखा बैठा था।


अपनी कहानी का पाठ करते हुए हीरालाल नागर

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में नागार्जुन की एक कविता का पाठ राम कुमार कृषक जी ने किया तथा उसके बाद नागार्जुन की एक कविता मन्त्र का संगीतबद्ध प्रसारण किया गया जिसे दस मिनट तक सभी श्रोतागण ध्यान लगाकर सुनते रहे। कार्यक्रम के तीसरे सत्र में हीरालाल नागर नें एकल कहानी पाठ किया। खिड़की नाम की उनकी कहानी नें श्रोताओं को बांधे रखा। इसके बाद इस कहानी पर महेश दर्पण जी ने अपनी विशेष टिपण्णी दी और कहानी को सराहा।


काव्यपाठ करते हुए सुरेन्द्र श्लेष
कार्यक्रम के चौथे और अंतिम सत्र में विभिन्न कवियों नें कविता पाठ किया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. आनंद प्रकाश नें तथा संचालन मुकेश मानस नें किया। गोष्ठी में सुरेन्द्र श्लेष, अभिषेक, प्रताप अनम, रमेश प्रजापति, रजनी अनुरागी, बागी चाचा, राधेश्याम बंधु, राधेश्याम तिवारी, स्वप्निल तिवारी “आतिश”, अशोक तिवारी, प्रदीप गुप्ता, मणिकांत ठाकुर, मुकेश मानस, मिथिलेश श्रीवास्तव एवं राम कुमार कृषक नें अपनी अपनी कविताओं का पाठ किया। उसके बाद डॉ. आनंद प्रकाश नें अपना वक्तव्य दिया और कविता की संभावनाओं को देखकर हर्षित हुए। डॉ. बली सिंह नें अपनी अपनी कविता के साथ धन्यवादयापन करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।