Tuesday, November 25, 2008

ग़ज़लों, गीतों और कविताओं का रस छलकाता आनंदम




मंज़िलें उनके मुक़द्दर में भला क्या होंगी
कोशिश जिनके इरादों में नहीं आती
इत्र कितना भी छिड़क दीजिए गुलदानों पर
तितलियाँ कागज़ी फूलों पे नहीं आतीं।


यदि आपको इस तरह के शे'रों का रस लेना है तो आनंदम की मासिक काव्य-गोष्ठी में भाग लीजिए। यह गोष्ठी प्रत्येक महीने के दूसरे रविवार को किसी न किसी कवि के घर पर ही आयोजित होती है। मैं भी पहली दफ़ा कविताओं से मिलने पहुँचा नवम्बर माह की आनंदम काव्य गोष्ठी में पहुँचा। उपर्युक्त पंक्तियाँ को रचने और सुनाने वाले वीरेंद्र कमर ने ऐसा समा बाँधा कि कम से कम मैं तो कायल ही हो गया।

नवम्बर माह की आनंदम गोष्ठी (चौथी गोष्ठी) की शुरूआत कार्यक्रम के मेजबान प्रेमचंद सहजवाला के ग़ज़लपाठ से हुई। प्रेमचंद सहजवाला अपनी ग़ज़लों से सामाजिक अव्यवथाओं, बुराइयों पर प्रहार करने के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्होंने कहा। कछेक तेवर देखें-

सब रसूलों में बहुत तकरार है,
टूट जाएगा किसी दिन ये मकाँ

बो रहे थे कल तलक जो खुशबुएँ
आज वो तामीर करते है धुआँ


इस गोष्ठी में वरिष्ठ कवि (८४ वर्षीय) मनमोहन तालिब मौज़ूद थे, वहीं २० वर्षीय जितेन्द्र प्रीतम। मतलब अनुभव के हर रंग की कविता, ग़ज़ल, गीत। मनमोहन जी ने पढ़ा-

इस ढलती हुई उमर की भी अपनी शान है
चेहरे पे जाल बुनती लकीरों का मान है।


कार्यक्रम में हिन्दी कवियों की प्रसिद्ध संस्था 'हल्का-ए-तश्नागन-ए-अदब' के प्रमुख जगदीश जैन भी उपलब्ध थे, जिनके काव्यपाठ से गोष्ठी का समापन हुआ। जगदीश जैन ने आज की तत्कालीन विडम्बना पर प्रहार करते हुये कहा-

लाओ अपने दिल का काग़ज़
उसपे खुदा का नाम लिखो
लिखते रहना फिर रामायण
सबसे पहले राम लिखो


दिल्ली में रोज की शाम को कविता की शाम में तब्दील करने के प्रति कटिबद्ध संस्था 'देल्ही पोएट्री' के संस्थापक अमित दहिया बादशाह भी मौजूद थे। उनका भी काव्य-पाठ हुआ। मैंने आनंदम प्रमुख जगदीश रावतानी और साथ ही साथ अमित दहिया बादशाह को मदद का प्रस्ताव दिया और कहा कि अपने यहाँ की कवि गोष्ठियों की रिकॉर्डिंग के चुनिंदा अंश हमें भेजें। हम उसे अपने 'आवाज़' पर प्रसारित करेंगे ताकि वेब के श्रोता भी काव्य-गोष्ठियों को दूर बैठे-बैठे आनंद ले सकें। खुशखबरी यह है कि वे तैयार दिखे। जगदीश रावतानी औपचारिक काव्य-गोष्ठी को महत्व देते हैं, इसलिए अपनी प्रत्येक गोष्ठी पूरी तैयारी और तौर-तरीके से करते हैं।

इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि मुनव्वर सरहदी, जगदीश रावतानी, अहमद अली बरक़ी आज़मी, पी .के. स्वामी, भूपेन्द्र कुमार, कविता विराट, राजिंदर नटखट, रमेश सिद्धार्थ, साक्षात भसीन, विद्याभूषण तिवारी, अशरफ साहिब, डॉ॰ दीपांकर गुप्ता, राम निवास इंडिया, जितेंदर प्रीतम इत्यादि कवियों का भी काव्य-पाठ हुआ।

कभी विस्तार से॰॰॰

शैलेश भारतवासी