22 सितंबर 2009 । बीजिंग
दिनांक 21-09-2009 भारतीय दूतावास के सांस्कृतिककेद्र के तत्वावधान में हिन्दी दिवस कार्यक्रम का आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर भारतीय दूतावास के मिशन के उपमुख्य (Minister and Deputy Chief of Mission) जयदीप मजूमदार ने चीन के सात वरिष्ठ हिन्दी विद्वानों को सम्मानित किया। इन विद्वानों में पेकिंग विश्वविद्यालय एवं चायना रेडियो इंटरनेशनल के वरिष्ठ हिंदी सेवी एवं पत्रकार साम्मिलित हैं:
1. Pro. LIU AN WU (1930) प्रोफ़ेसर लियोऊ आनवू (1930) हिन्दी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान/पुस्तक-प्रकाशन पूर्व प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, हिन्दी साहित्य का इतिहास(आयु 85 वर्ष) पेकिंग विश्वविद्यालय (चीनी भाषा में) | |
2. Pro. YIN HONG YUAN (1925) प्रोफ़ेसर यिन होंयुवान (1925) पूर्व प्रोफ़ेसर हिन्दी विभाग हिन्दी व्याकरण (आयु 80 वर्ष) पेकिंग विश्वविद्यालय (चीनी भाषा में) | |
3. Pro. JIN DING HAN (1930) प्रोफ़ेसर चिन तिंग हान (1930) पूर्व प्रोफ़ेसर हिन्दी विभाग राम चरित मानस का चीनी भाषा में अनुवाद पेकिंग विश्वविद्यालय | |
4. Pro. JIANG JING KUI प्रोफ़ेसर च्यांग चिंगख्वेइ Vice Director of Centre for India Studies Chairman of Department of South-Asians Studies Vice President of China Association of Less Commonly Taught Foreign Languages प्रोफ़ेसर हिन्दी विभाग 1)चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय के अतिरिक्त अन्यविश्वविद्यालयों में हिन्दी का विशेष प्रचार-प्रसार 2)प्रकाशन क. हिन्दी का नाटक साहित्य ख. जयशंकर प्रसाद के “आंसू” काव्य का अध्ययन ग. जयशंकर प्रसद की कहानियाँ 3)विशेष पुरस्कार – 2007 में न्यूयोर्क में आयोजित आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में पूर्व विदेश राज्यमंत्री श्री आनन्द शर्मा द्वारा विशेष हिन्दी सम्मान एवं प्रमाण पत्र | |
5. प्रो. वांग चिनफ़ड. (Wang Jinfeng) C.R.I.(China Radio International) | |
6. प्रो. छड. श्वेपिन (Chen Xuebin) C.R.I.(China Radio International) | |
7. प्रो. चाओ युह्वा (Zhao Yuhua) C.R.I.(China Radio International) |
चायना रेडियो इंटरनेशनल के इन वरिष्ठ विद्वानों ने चालीस वर्षों से अधिक हिन्दी की सेवा की है। चीन और भारत मैत्री को आगे बढ़ाने के लिए अथक परिश्रम किया है। इन्हें हिन्दी भाषी श्रोताओं में सर्वाधिक लोकप्रियता मिली है। हिन्दी उद्घोषिका के रूप में सुश्री चाओ युह्वा अत्यधिक लोक प्रिय हैं।
इस अवसर पर एक हिन्दी निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में पेकिंग विश्वविद्यालय, बेजिंग फोरंन स्टडीज़ विश्वविद्यालय एवं चायना रेडियो इंटरनेशनल के निम्नलिखित छात्रों एवं पत्रकारों ने भाग लियाः
चीनी प्रतिभागी | |
प्रथम | थांग य्वानक्वेइ (सपना) चाइना रेडियो इंटरनेशनल |
द्वितीय | ली मिन (विवेक) पेकिंग विश्वविद्यालय |
तृतीय | कुमारी रोशनी |
सांत्वना | ह्वा लीयू (सिद्धार्थ) पेकिंग विश्वविद्यालय |
चंद्रिमा चाइना रेडियो इंटरनेशनल |
भारतीय प्रतिभागी | |
प्रथम | हेमा कृपलानी |
द्वितीय | हेमा मिश्रा |
सांत्वना | आरुणि मिश्रा |
आयोजन के मुख्य अतिथि एवं भारतीय दूतावास के मिशन के उपमुख्य (Minister and Deputy Chief of Mission) जयदीप मजूमदार ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी भारत की केवल राजभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं है, यह भारत के हृदय की भाषा है। यह सांस्कृतिक समन्वय और मानसिक आजादी की भाषा है। अन्तरराष्ट्रीय जगत में हिन्दी के लोकप्रियता बढ़ रही है। विशेष रूप से चीन में हिन्दी के अध्ययन और अध्यापन की विशिष्ट परंपरा है। हिन्दी दिवस पर चीनी विद्वानों का यह सम्मान चीन और भारत के प्राचीन सम्बंधों के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चीन के हिन्दी प्रेमियों की आज इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति हिन्दी की लोकप्रियता और आप के हिन्दी एवं भारत प्रेम का प्रमाण है।
पेकिंग विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अतिथि प्रोफेसर डॉ॰ देवेन्द्र शुक्ल ने कहा कि आज हिन्दी का राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संदर्भ दोनों बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। आज हिन्दी विश्व भाषा का रूप धारण कर रही है। भारतीय दूतावास का यह आयोजन हिन्दी के लिए एक शुभसंकेत है। हिन्दी भारत और विश्व की संस्कृति के संवाद का मंच बने। तभी हम विश्व हिन्दी का विश्व मन रच सकेंगे।
चायना रेडियो इंटरनेशनल के सलाहकार एवं वरिष्ठ हिन्दी पत्रकार प्रो. वांग चिनफ़ङ ने कहा कि हिन्दी हमें विश्वबंधुत्व और प्रेम का संदेश देती है। हिन्दी उस सुगंध की तरह है जो विश्व के सामान्य जन को संबोधित है। चीन के लोगों को उस में प्रेम और आत्मीयता का अनुभव होता है।
हिन्दी दिवस कार्यक्रम का कुशल संयोजन एवं संचालन सांस्कृतिक सचिव चिन्मय नायक ने किया उन्होंने कहा कि यह हिन्दी दिवस केवल एक कार्यक्रम मात्र नहीं है, बल्कि यह हिन्दी के मंच पर चीन और भारत के मिलन का सौहार्द-प्रतीक भी है।
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4 पाठकों का कहना है :
चीन के सातों हिंदी विद्वानों प्रो.लियोऊ ,चीन ,च्यांग , छड़ ,चाओ और चीनी ,भारतीय प्रतिभागियों को उनकी कामयाबी और सम्मान के लिए हार्दिक बधाई .
चीन के सातों विद्वानों को हिन्दी सम्मान के लिए बहुत-बहुत बधाई। जहां एक ओर हिन्दुस्तान और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तल्खी चल रही है। ऐसे में यह प्रयास एक सकारात्मक संदेश देता है।
सुमिता जी की बात बिलकुल ठीक है.
इसी तरह के कुछ कार्यक्रम होते रहना चाहिए.जिससे दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते बने रहे.
चीन मे भारतीय दुतावास हिन्दी के विकास के लिए इतना कुछ कर रहा है यह जानकर खुशी हो रही है। काश भारत के पडोस के देशो मे भारतीय दुतावास के अधिकारी कुछ प्रेरणा ले पाते ......
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