नई दिल्ली । 22 सितम्बर 2009प्रख्यात विचारक और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव श्री गोविन्दाचार्य ने राष्ट्रीय राजनीति में आ रही गिरावट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सार्वजनिक जीवन में साख की बड़ी भूमिका होती है। राजनीति में बदलाव की वक़ालत करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाये रखने के लिए नये ढांचे, नये औजार और नये लड़ाके वक्त की जरूरत हैं । सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों को कटघरे में घेरते हुए श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि देश के समक्ष राष्ट्रीय सम्प्रभुता एवं महंगाई सहित तमाम ज्वंलत चुनौतियां हैं। पर इन पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ही मौन धारण किये हुए है। उन्होंने दोनो पक्षों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मीडिया को भी कटघरे में खड़ा किया।
दिवंगत पत्रकार कंचना की याद में आयोजित छठी कंचना स्मृति व्याख्यानमाला तथा पुरस्कार समारोह में लोकतंत्र एवं पत्रकारिता को कैसे बचाया जाए? विषय पर बोलते हुए श्री गोविंदाचार्य ने कई अहम सवालों को उठाया। उन्होंने कहा कि राजनीति में धन बल हावी होता जा रहा है। इसका जीता-जागता प्रमाण है कि भारत की संसद में करोड़पति सांसदों की संख्या 125 से भी ज्यादा हो गयी है। यह देश के लिए विडबंना की बात है कि राजनीतिक दलों से टिकट लेने में भी आजकल धन का उपयोग बड़े पैमाने पर हो चला है। उन्होंने कहा कि बदले हालातों में स्थिति यह है कि राजनीतिक दलों में अब नेता की जगह मैनेजरों की, कार्यकर्ताओं के बजाय कर्मचारियों की पूछ बढ़ती जा रही है ।
राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल कम्पनी की तरह कार्य करने लगे हैं । मीडिया और राजनीति के बीच रिश्तों को चोली दामन का साथ करार देते हुए पूर्व भाजपा महासचिव ने कहा कि टी आर पी के आगे गरीबी एवं आम आदमी की संवेदनशीलता मीडिया से खत्म होती जा रही है । उन्होंने कहा कि मीडिया को थैलीशाहों, नौकरशाहों और नेताओं के त्रिगुट से अलग निकलना चाहिए ताकि विकास की धारा को अंतिम आदमी तक पहुंचने में सफलता प्राप्त हो सके । उन्होंने द्वि-दलीय राजनीति को देश के लिए घातक करार देते हुए कहा कि इसकी पैरवी करने वालों को शायद देश की राजनीतिक समझ नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र को बचाये रखने के लिए मूल्यों और मुद्दों की राजनीति को बचाये रखना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था अमीरों को लाभ एवं गरीबों में लोभ पैदा कर रही है। श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि चुनाव बेशक चेहरों पर लड़े जाते हों लेकिन सामाजिक बदलाव यथार्थ पर होता है । उन्होंने राजनीतिक दलों और मीडिया दोनों से आग्रह किया कि वह अपने दायित्वों को सही ढंग से निभायें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. सोमपाल शास्त्री ने कहा कि राजनीति का जन्म ही टकराव से होता है। उन्होंने लोकतंत्र को सबसे बेहतर करार देते हुए कहा कि इससे बेहतर शासन प्रणाली अब तक विकसित नहीं हो पाई है। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की सराहना करते हुए कहा कि दूसरे एवं तीसरी दुनिया के देशों के मद्देनजर भारत की राजनीति एवं पत्रकारिता दोनों ही न सिर्फ बेहतर है बल्कि इनकी अनूठी छाप भी है।
वरिष्ठ पत्रकार और सी.एन.ई.बी. चैनल के प्रमुख राहूल देव ने इस अवसर पर कहा कि मीडिया को बाजारीकरण से नहीं बाजारू होने से बचाया जा सकता है। मीडिया की कमियों को दूर करने के लिए उपाय सुझाते हुए उन्होंने कहा कि प्रबन्धक वर्ग के बगैर मीडिया की चर्चा बेकार है। क्योंकि चुनौती एवं संकट उसी वर्ग से है इसलिए उसे शामिल किये बगैर चर्चा बेमानी होगी।
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने अब तक आयोजित कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि कंचना ऐसी पत्रकार थीं जिसको सामाजिक सरोकारों के लिए निजी इच्छा या हित का कभी कोई ध्यान भी नहीं आता था। वे काम के प्रति बेहद ईमानदार और समर्पित थीं। आज कंचना हमारे बीच में नहीं हैं, पर अवधेशजी में हम वे सारी खूबियां देखते हैं। वे भी सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पित हैं। यह कार्यक्रम बिना किसी आर्थिक मदद या प्रचार के तामझाम के हो रहा है।
इस अवसर पर विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्री विजय कुमार सिंह को कंचना स्मारक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका जीवन परिचय वरिष्ठ पत्रकार श्री वीरेंद्र मिश्र ने पढ़ा। श्री विजय कुमार विख्यात शांति कार्यकर्ता तथा अखिल भारतीय शांति सेना के संगठनकर्ता हैं। वे बीते कई वर्षों से बनारस, सारनाथ तथा आसपास के जिलों के ग्रामीण इलाकों में अखिल भारतीय शांति सेना तथा लोक चेतना मंच के तत्वावधान में अहिंसक ग्राम स्वालम्बन का व्यावहारिक प्रयोग कर रहे हैं। श्री विजय भाई देश के विभिन्न क्षेत्रों में अब तक करीब 68 युवा और शांति कैंप लगा चुके हैं और सांप्रदायिक सौहार्द्र तथा तमाम विवादों और तनावों को दूर करने का भी प्रयास किया है। वे भूदान तथा अन्य भूमि सुधार कार्यक्रमों से भी बहुत गहराई से जुड़े हैं और स्वास्थ्य तथा योग प्रशिक्षक भी हैं। महिला सशक्तिकरण के साथ विजय भाई ने प्राथमिक शिक्षा पर अनुसंधान और मूल्यांकन भी किया है।
इस कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा रामकृपाल सिन्हा, जानेमाने गांधीवादी डा. रामजी प्रसाद सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री बालेश्वर त्यागी, राजघाट के सचिव श्री रजनीष कुमार, पूर्व विधान परिषद सदस्य श्री रामाशीष राय, बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महाचन्द्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार देवदत्त, प्रबाल मैत्र, अरविन्द मोहन, अजय कुमार, जवाहर लाल कौल, बनारसी सिंह, अरूण खरे, जयप्रकाश त्रिपाठी, अमिताभ, उमेश चतुर्वेदी, कैलाशजी सहित तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कंचना स्मृति न्यास
एम॰ बी॰ 140, गली नं॰ -5,
शकरपुर, दिल्ली-110 092
दूरभाष: 011-22483408
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4 पाठकों का कहना है :
आज राजनीति हो या फिर सामाजिक जीवन सभी में अर्थ और शक्ति की पूजा होने लगी है। हम कह सकते हैं कि हमारे अन्दर से भारतीय संस्कृति के बीज नष्ट होते जा रहे हैं जो कहती थी कि चराचर जगत का संरक्षण होना चाहिए और इसके लिए त्याग ही मार्ग है। हम शक्तिशाली बनने की होड में हैं। आप कितने बौद्धिक हैं, इसकी किसी को आवश्यकता नहीं है बस आप कितने समृद्ध है इसी से आपका आकलन होता है। प्रत्येक क्षेत्र में ही जब ऐसा हो तब केवल राजनीति को बेजा ठहराना उचित नहीं है। धर्म गुरू भी केवल सम्पन्न और सामर्थ्यवान व्यक्तियों को ही अपने पास रखते हैं। इसलिए अब चरित्र से बडा ग्लेमर हो गया है। मीडिया से उम्मीद थी लेकिन उसने तो सारी ही हदें पार कर दी अब शायद सत्य ब्लोग पर ही जीवित रहे।
सर्वप्रथम मैं ईमानदार पत्रकार कंचन जी को श्रद्धाजंली दूंगी ,जिनके नाम से पुरस्कार - सम्मानित किया जा रहा है ,हमारे शाश्वत नैतिक मूल्य हैं .जिनसे हर कोई जुड़ सकता है .आज की राजनीति को धर्म ( नैतिक मूल्य ) से jodne की jrurt hae .
कंचन जी को भावभीनी श्रधान्जलि । काश जनता जागरूक हो जाए तो, न ही हम अपने कर्तव्य को भूलेंगे। और न ही राजनीति में भ्रश्टाचार रहेगा ।
कंचन जी को भावभीनी श्रधांजलि . पढ़कर काफी अच्छा लगा.
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