किताबघर प्रकाशन से प्रकाशित पत्रकार रोशन प्रेमयोगी के उपन्यास 'क्रांतिकारी' का विमोचन पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित नेशनल बुक फेयर में विचारक के.एन. गोविंदाचार्य ने किया। वरिष्ठ कहानीकार और 'हंस' पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजीव समारोह के मुख्य अतिथि थे। दलित साहित्यकार रूपनारायण सोनकर मुख्य वक्ता थे। गोविंदाचार्य ने कहा कि 'क्रांतिकारी' को पढ़ते हुए लगा कि आजाद भारत में जिस क्रांति की जरूरत है, उस ओर यह उपन्यास इंगित करता है।
इसके पात्र चंद्रशेखर, रमाकरण और केवलानंद मुझे अपने जैसे लगे। संजीव ने कहा कि क्रांति नए विचारों को उजागर करता है। आजादी के बाद क्रांति की जो अवधारणा ट्यूब में बंद थी, उसे यह उपन्यास सामने लाता है। रुपनाराण सोनकर ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन के बाद कोई ऐसा सवर्ण लेखक सामने आया है जो दलितों पर दलितों की कसौटी पर लिख रहा है। उल्लेखनीय है कि 'क्रांतिकारी' तीन दोस्तों की कहानी है जो इलाहाबाद में पढ़ने के बाद अपने गांव में काम करने की सोचते हैं।
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2 पाठकों का कहना है :
रोशन जी को हार्दिक बधाई .
उनकी यह किताब जग में कीर्तिमान हो और पाठक को दिशा देगी .
रोशन जी को बधाई
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