Monday, October 19, 2009

भोजपुरी को मान्यता न मिलने पर भड़के भोजपुरिया

■ दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन में विश्वव्यापी आंदोलन छेडऩे का आह्वान
■ भोजपुरी एसोसियेशन ऑफ इंडिया व द संडे इंडियन के संयुक्त आयोजन में जुटे कई भोजपुरी संगठन
■ राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के कोने-कोने से आये भोजपुरियों ने की भाषा पर गहन चर्चा
■ लोकगायिकाओं के मधुर गीतों पर झूम उठे-भोजपुरिया


(बायें से)- इंडिया बूल्स के संस्थापक सदस्य रहे कवि कुमार, प्लानमैन मीडिया समूह के मुख्य संपादक अरिंदम चौधरी, भोजपुरी समाज के अजीत दूबे और दैनिक आज के पूर्व संपादक और भोजपुरी के वरिष्ट साहित्यकार गिरीजाशंकर राय गिरीजेश

भोजपुरी भाषा को मान्यता दिलाने का आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है. देश के दर्जनों महत्वपूर्ण भोजपुरी संगठनों ने मिलकर इस आंदोलन को विश्व भर में फैलाने का आह्वान किया और इसके लिए जल्दी ही बाकायदा एक एक्शन प्लान सामने लाने की घोषणा की. यह घोषणा दिल्ली में हुए एक विशेष भोजपुरी सम्मेलन में की गयी. यह कोई आम सम्मेलन या कार्यक्रम नहीं वरन एक ऐसा अनूठा प्रयोग था, जिसमें भोजपुरिया लोगों के प्रति लोगों की धारणा ही बदल देने का माद्दा था. राजधानी दिल्ली में हुए पहले राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन में आये लोगों में ज्यादातर बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार, पत्रकार और अन्य पेशों से जुड़े लोग मौजूद थे. भोजपुरी एसोसियेशन ऑफ इंडिया ने इस सम्मेलन का आयोजन भोजपुरी में दुनिया की एकमात्र नियमित समाचार पत्रिका द संडे इंडियन के साथ मिल कर किया था. वैसे यह पत्रिका 14 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होती है.

सम्मेलन का उद्घघाटन करते हुए सात राज्यों में राज्यपाल रह कर इतिहास बनाने वाले श्री भीष्म नारायण सिंह ने कहा कि भोजपुरी की माटी में विद्वता है, शक्ति है, प्रेरणा है, जो हमें हमेशा एक-दूसरे से न केवल जोड़े रखती है बल्कि भाईचारे का संदेश भी देती है. यहां तक कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी भोजपुरी भाषा को चुना था. श्री सिंह दिल्ली में राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. 11 अक्तूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 108वीं जयंती पर राजघाट स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सत्याग्रह मंडप में भोजपुरी भाषियों के इस सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित किये गये तथा इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए विश्वव्यापी आंदोलन छेडऩे की प्रतिज्ञा की गयी. श्री सिंह ने मॉरीशस का उदाहरण देते हुए कहा कि दुख की बात यह है कि दूसरे देश में भोजपुरी को आधिकारिक भाषा की मान्यता मिल चुकी है, लेकिन अपने देश में ही यह भाषा आज भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रही है.

सम्मेलन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में विकास की नयी गंगा बहाने तथा बिहार को जंगल राज की बदनाम छवि से उबारने के लिए लोकनायक स्मृति सम्मान दिया गया. साथ ही पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता भीष्म नारायण सिंह को डा. राजेन्द्र प्रसाद स्मृति सम्मान वयोवृद्ध भोजपुरी साहित्यकार तथा दैनिक आज के संपादक रहे गिरिजा शंकर राय 'गिरिजेश' ने प्रदान किया.

इस मौके पर सहारा इंडिया परिवार के चेयरमैन 'सहाराश्री श्री सुब्रत राय 'सहारा' को उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुरी इलाकों के लोगों को सहारा परिवार में सर्वाधिक रोजगार देने हेतु महात्मा गांधी स्मृति सम्मान दिया गया तो भोजपुरी में दुनिया की पहली नियमित समाचार पत्रिका का प्रकाशन कर इतिहास रच देने वाले प्रसिद्ध मैनेजमेंट गुरु व प्लानमैन मीडिया समूह के प्रधान संपादक प्रो. अरिंदम चौधरी को संत कबीर स्मृति सम्मान से नवाजा गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से यह सम्मान दिल्ली में बिहार सरकार के डिप्टी रेजिडेंट कमिश्नर कारू राम ने तथा सहाराश्री की ओर से यह सम्मान 'सहारा टाइम' के संपादक उदय सिन्हा ने ग्रहण किया. इस अवसर पर द संडे इंडियन, भोजपुरी की सफलता से उत्साहित प्रो.अरिंदम चौधरी ने कहा कि भोजपुरी पत्रिका शुरु करना मेरे लिए एक चुनौती थी लेकिन अब मैं इसकी सफलता से बहुत खुश हूं.

सम्मेलन में उदय सिन्हा ने सहाराश्री के संदेश को पढक़र सुनाया. अपने संदेश में सहाराश्री ने कहा कि आधुनिक हिन्दी के उत्थान में अन्य भाषा एवं बोलियों के साथ-साथ मैथिली, मगही, अवधी और ब्रजभाषा का ही नहीं बल्कि भोजपुरी का भी महती योगदान है. विस्तार और व्यापकता की दृष्टि से भोजपुरी अग्रगण्य और सबसे अधिक उदार भाषा है. इसके उच्चारण में जो मिठास और माधुर्य है, वह हिन्दी की अन्य किसी भी भाषा-बोली में नहीं है. पहली बार राजधानी में आयोजित इस तरह के भोजपुरी सम्मेलन में इस भाषा की दशा-दिशा पर गहन चर्चा हुई.

इंडिया बुल्स के संस्थापक सदस्य रहे और भोजपुरी में उम्दा फिल्म बनाने वाले श्री कवि कुमार को भोजपुरी भूषण सम्मान दिया गया तो उन्होंने वादा किया कि भोजपुरी फिल्मों पर लगे अश्लीलता के आरोपों को धोने के लिए वे आगे भी प्रयास करते रहेंगे. भोजपुरी की एकमात्र ट्रेड मैगजीन भोजपुरी सिटी के मुख्य संरक्षक तथा फिल्म निर्माता श्री किशन खदरिया, पखावज वादक श्री दुर्गा प्रसाद मजूमदार व ऊर्जा वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिंह को भोजपुरी भूषण सम्मान दिया गया.इनके अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता कलराज मिश्र तथा मुंबई से कांग्रेस सांसद तथा भोजपुरी नेता संजय निरूपम को कुंवर सिंह स्मृति सम्मान दिया गया. सम्मेलन के मुख्य राष्ट्रीय संयोजक उदय सिन्हा ने भोजपुरी राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने पर जोर दिया. इस सम्मेलन के सूत्रधार भोजपुरी एसोसिएशन आफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक (एशिया) व द संडे इंडियन के कार्यकारी संपादक (हिंदी व भोजपुरी) ओंकारेश्वर पांडेय ने कहा कि इस सम्मेलन में देश भर के भोजपुरिया लोगों की मौजूदगी ने स्पष्ट कर दिया है कि भोजपुरी की अब उपेक्षा नहीं की जा सकती.


चित्र प्रदर्शनी का उद्‍घाटन करते प्लानमैन मीडिया समूह के मुख्य संपादक अरिंदम चौधरी साथ में भोजपुरी अभिनेत्री रानी चटर्जी

सम्मेलन के पहले सत्र में 'भोजपुरी: राष्ट्रीयता का सवाल' विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए एसोसियेशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेष मिश्र ने देश और दुनिया में भोजपुरी की दशा-दिशा पर प्रकाश डालते हुए इसकी स्थिति में सुधार के लिए व्यापक आंदेलन छेडऩे पर बल दिया. मुख्य वक्ता डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव तथा अन्य वक्ताओं ने भोजपुरी को मान्यता नहीं मिलने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए भोजपुरी क्षेत्र के सांसदों की कमजोरी को रेखांकित किया.

भोजपुरी एसोसियेशन ऑफ इंडिया तथा द संडे इंडियन के इस संयुक्त आयोजन में वक्ताओं ने भोजपुरी की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक ताकत और अब फिल्म व मीडिया के क्षेत्र में हो रही प्रगति का उल्लेख करते हुए भाषा को मान्यता नहीं देने के लिए केन्द्र सरकार के रवैये की आलोचना की और कहा कि भोजपुरी संगठन भोजपुरी को उसका हक दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करते रहें. इस मौके पर भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अजीत दूबे ने कहा कि भोजपुरी भाषा आज किसी पहचान की मोहताज नहीं. आज भोजपुरी फिल्में जिस तेजी से व्यवसायिक रूप में उभरी हैं, वह अपने आप में शुभ संकेत है. लेकिन मल्टीपल एक्स कैपिटल लिमिटेड के प्रमुख तथा भोजपुरी में बेहद साफ सुथरी और उम्दा फिल्म बनाने वाले कवि कुमार ने भोजपुरी फिल्मों के स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि कहने को तो भोजपुरी में 450 फिल्में बन चुकी हैं, पर उनमें कितनी स्तरीय हैं और कौन सी फिल्म समारोह में जाने लायक. संगोष्ठी में बीएचयू के प्रो. सदानंद शाही, वीर कुंअर सिंह विवि के प्रो. रणविजय कुमार, आईसीसीआर के श्री अजय गुप्ता, आरा के वरिष्ठ साहित्यकार चौधरी कन्हैया प्रसाद, वीर कुंअर सिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष निर्मल सिंह, पूर्वांचल गण परिषद के अध्य़क्ष निर्मल पाठक, इंद्रप्रस्थ भोजपुरी परिषद के संतोष पटेल आदि वक्ताओं ने विचार रखे.

इस मौके पर पद्मश्री शारदा सिन्हा ने भोजपुरी भाषा को अपनी कर्म भाषा करार देते हुए अपनी गायिकी से उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया. लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने सुर छेड़ा तो दर्शक भाव विभोर हो उठे, मगर प्यासे रह गये, उन्हें जल्दी जाना था. मालिनी ने कहा कि उन्हें इस भाषा से इतना प्यार है कि वे अगली बार भोजपुरी माटी में जरूर जनम लेंगी. कार्यक्रम में 18 भाषाओं में गाने वाली जानी मानी लोकगायिका और महुआ टीवी पर चल रहे सुपरहिट मॉर्निंग शो बिहाने-बिहाने की भौजी विजया भारती ने धमाकेदार प्रस्तुति देकर दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया. विजया ने भोजपुरी लोकगीतों को अश्लीलता से दूर रखने पर जोर दिया. सम्मेलन में गोरखपुर से भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बीपी त्रिपाठी आये थे.

इस मौके पर प्रो. शत्रुघ्न प्रसाद को इग्नू में भोजपुरी पाठ्यक्रम को शुरूकरने हेतु सम्मानित किया गया.भोजपुरी का विकास व इसके प्रचार-प्रसार के लिए बाबू जगजीवन राम स्मृति सम्मान से भारत में मॉरीशस सरकार के उच्चायुक्त मुखेश्वर चून्नी को, पुरबिया टीवी चैनल हमार के चेयरमैन व पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह को वीर कुंवर सिंह सम्मान, भोजपुरी टीवी चैनल महुआ के चेयरमैन पीके तिवारी, आजाद टीवी चैनल के हेड अंबिका नंद सहाय तथा भोजपुरी साहित्यिक पत्रिका पाती के संपादक अशोक द्विवेदी को भिखारी ठाकुर स्मृति सम्मान प्रदान किया गया. भोजपुरी भूषण सम्मान से पद्मश्री शारदा सिन्हा व भोजपुरी फिल्मों के सुपरिचित अभिनेता कुणाल सिंह व लोकगायिका मालिनी अवस्थी को जबकि भोजपुरीश्री सम्मान गायिका अनामिका सिंह, जुड़वां गायक बंधु नंदन-चंदन, और महुआ टीवी के प्रसिद्ध नवोदित एंकर प्रियेश सिन्हा को दिया गया. भोजपुरी सिने अभिनेत्री रानी चटर्जी, भोजपुरी में सीरियल बनाने वाले अमित कुमार, बंधुआ बाल मजदूरों के लिए काम करने वाले बचपन बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय सचिव राकेश सेंगर और दिल्ली में भोजपुरी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले कुलजीत सिंह चहल को भोजपुरीश्री सम्मान दिया गया तो भोजपुरी कीर्ति सम्मान से अजीत दूबे, अशोक श्रीवास्तव, श्रीकांत सिंह यादव, शिवाजी सिंह, निर्मल पाठक, अश्वनी कुमार सिंह (बिहारी खबर के प्रकाशक), संतोष पटेल, निर्मल सिंह को दिल्ली में भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए दिया गया. यह शायद पहला मौका था जब किसी भोजपुरी मंच पर एक साथ देश और दुनिया में भोजपुरी भाषा और संगीत को बढ़ाने में खास भूमिका निभाने वाली सामाजिक संस्थाओं के अलावा सरकारी संस्थाओं को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया. भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक श्री वीरेन्द्र गुप्ता, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. डॉ. डीपी सिंह, मैथिली-भोजपुरी एकेडमी के सचिव रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव परिचय दास, वीर कुवंर सिंह विवि आरा के प्रो. डॉ. रामपाल सिंह, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद के निदेशक आनंद वर्धन शुक्ला को भोजपुरी कीर्ति सम्मान प्रदान किया गया तो सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंजता रहा. श्री दिव्य ज्योति जागृति संस्थान दिल्ली के स्वामी विशालानंद को भोजपुरी मित्र सम्मान और गोरखपुर से आये दैनिक आज के वयोवृद्ध पूर्व संपादक गिरिजा शंकर राय 'गिरिजेशÓ एवं रवीन्द्र श्रीवास्तव जुगानी भाई समेत अरविन्द विद्रोही (जमशेदपुर), डॉ. आर के दूबे (बक्सर), विश्वनाथ शर्मा (छपरा), बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी (बलिया), डॉ. जनार्दन सिंह (बलिया), विशुद्धानंद (पटना), डॉ. भगवती प्रसाद द्विवेदी(पटना), सतीश कुमार सिन्हा (पटना), को भोजपुरी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया. यह सम्मान प्लानमैन मीडिया समूह के प्रधान संपादक प्रो. अरिन्दम चौधरी, मल्टीपल एक्स के प्रमुख कवि कुमार, अमेरिका के डलास से आये भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेश मिश्रा और पद्मश्री शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, विजया भारती, अभिनेत्री रानी चटर्जी आदि ने प्रदान किए.

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में भोजपुरी की लोकगायिका पद्मश्री शारदा सिन्हा, विजया भारती, मालिनी अवस्थी, अनामिका व टीवी कलाकार नंदन-चंदन के साथ एंकर प्रियेश सिन्हा ने शानदार कार्यक्रम पेश किये. भोजपुरी फिल्मों की जानी मानी अभिनेत्री रानी चटर्जी ने अपनी अदाकारी से मन मोह लिया. कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से भारी संख्या में आये भोजपुरिया लोग शामिल हुए. राजधानी में आयोजित भोजपुरी का यह अनूठा कार्यक्रम था, जिसमें सब कुछ बेहद कल्पनाशील, शालीन और उच्च स्तरीय था. सम्मेलन में आये लोग भोजपुरी के 'इतिहास से वर्तमान तक' की झलक दिखाती शानदार प्रदर्शनी देखकर दंग रह गये. प्रदर्शनी का उद्घघाटन प्लानमैन मीडिया के प्रधान संपादक प्रो. अरिंदम चौधरी ने किया. इसमें भोजपुरी के पुरोधा व्यक्तियों की तस्वीरें लगायी गयी थी, जिनका रेखांकन सुरेश पांडुरंग ने किया. भोजपुरी के इतिहास पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया जिसका निर्देशन एडिटवर्क के डायरेक्टर सचिन सिंह ने किया था और आलेख व आवाज दसंइं (भोजपुरी) के मज्कूर आलम की थी. कार्यक्रम को सफल बनाने में द संडे इंडियन के सदाशिव त्रिपाठी,श्रीराजेश, निमेष शुक्ला, मज्कूर आलम, आशुतोष कुमार सिंह, विकास कुमार और अभिषेक कुमार के अलावा सीए प्रणव कुमार और अधिवक्ता प्रताप शंकर की दिन रात की मेहनत थी, और इन सबमें सबसे खास भूमिका दसंइं के अनिल पांडेय ने निभायी. भोजपुरिया लोगों को अपनी माटी के स्वाद वाला लिट्टी-चोखा भी खूब भाया. जी टीवी उत्तर प्रदेश तथा हमार टीवी इस सम्मेलन के टीवी पार्टनर तथा दैनिक राष्ट्रीय सहारा प्रिंट पार्टनर था. सम्मेलन में भोजपुरी एसोसियेशन को दुनिया के भोजपुरी संगठनों का प्रतिनिधि संगठन बनाने पर सहमति हुई और भोजपुरी भाषा को मान्यता दिलाने से लेकर भोजपुरी संस्कृति को बढ़ावा देने, भोजपुरी को रोजगार की भाषा बनाने तथा भोजपुरी भाषी इलाकों में आर्थिक पिछड़ापन दूर करने हेतु महात्मा गांधी की तर्ज पर अहिंसक सत्याग्रह तथा लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति की तर्ज पर व्यापक आंदोलन छेडऩे का आह्वान किया गया.

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3 पाठकों का कहना है :

संगीता पुरी का कहना है कि -

राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन के बारे में इतने विस्‍तार से जानकारी देने का धन्‍यवाद .. सरकार की ओर से भोजपूरी को महत्‍व देने की दिशा में कोई काम न होने के बावजूद भोजपूरी भाषा का इतना विकास भोजपूरियों का अपनी भाषा के प्रति प्रेम को ही दर्शाता है .. उन्‍हें शुभकामनाएं !!

Shamikh Faraz का कहना है कि -

भोजपुरी भाषा के बारे में इतनी बातें पता चली. हिन्दयुग्म का आभारी. लगातार फैलती जा रही भोजपुरी भाषा को मान्यता मिल ही जाना चाहिए.

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

भोजपुरी की मिठास अपनी जगह बना लेगी

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