दिनांक 21 अक्टूबर 2009 को नगर होशंगाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार सजीवन मयंक के 67वें जन्मदिन के अवसर पर उनके सातवे संकलन ‘‘जिंदगी के स्वर’’ का लोकार्पण नगर के नेहरू पार्क में वरिष्ठ साहित्यकार जगमोहन शुक्ल के कर कमलों द्वारा किया गया। श्री शुक्ला जी ने मयंक जी की रचनाओं को आज के दौर की वास्तविकताओं का काव्य रूप निरूपित किया तथा मयंक जी के इस शेर को संदर्भित किया ‘ कहते हैं हम जिसे जिंदगी, लगती एक मशीन है यारों’। इस अवसर पर नगर के होशंगाबाद के अनेक गणमान्य नागरिक एवं साहित्यकारों में मोहन वर्मा, गिरीमोहन गुरू, कृष्ण स्वरूप शर्मा, एम.पी.मिश्रा, एवं सुश्री जया नर्गिस विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री मयंक के इस संकलन में 100 ग़ज़लें, 200 मुक्तक, एवं 40 क्षणिकाएं समाहित हैं।
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पाठक का कहना है :
सजीवन मयंक जी को बहुत बहुत बधाई.
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