नई दिल्ली।
बच्चों की त्रैमासिक पत्रिका 'बाल-प्रहरी', अलमोड़ा द्वारा दिनांक 8/11/2009 को गढ़वाल भवन,पंचकुईया रोड, नई दिल्ली में बाल साहित्य की दशा एवं दिशा पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें नई दिल्ली एवं एन.सी.आर.के बाल साहित्यकारों ने भाग लिया। जिसमें डा. हरिसिंह पाल, डा. मोहन तिवारी, चन्द्र जींदयाल, पूरनचंद कांडपाल,विनीता मथ्थ, देवन्द्र उपाध्याय, बाल भारती के पूर्व संपादक डा. द्रोणवीर कोहली, विज्ञान प्रगति के संपादक डा. दीक्षा विष्ट, हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक श्री सूर्यकांत बाली, बाल साहित्यकार डा. सरस्वती बाली, रणजीत राणा, सुखदेव मलहोत्रा मुख्य अतिथि के रुप में बाल भवन के पूर्व निदेशक डा. मधु पंत, के अलावा दाता राम चमोली, लाल बिहारी लाल, नेहा रावत, राम निवास इंडिया आदी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
सभी वक्ताओं ने बाल साहित्य के वर्त्तमान दशा पर संतोष व्यक्त किया परन्तु इसके दिशा पर असंतोष व्यक्त किया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता डा. द्रोणवीर कोहली तथा संचालन बाल प्रहरी के संपादक उदय किरौला ने किया।
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2 पाठकों का कहना है :
क्या कहा किसी ने सार्थक तो जिक्र होना चाहिये
वैसे भी यह ख्बर बाल गोष्ठी की न होकर बाल-साहित्य पर लिखने वाले लेखकों की है यानी शीर्षक गलत है
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