कविता पाठ करती एक छात्रा |
डॉ. हरिवंशराय बच्चन की 102वीं जयंती की पूर्व संध्या पर 26 नवंबर 2009 को सूरीनाम में भारत के राजदूतावास ने पारामारिबो स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में "एक शाम डॉ. हरिवंशराय बच्चन के नाम" कायर्क्रम आयोजित किया गया, कार्यक्रम का आरंभ संगीत छात्रों ने सरस्वती वंदना से किया जिसका निर्देशन संगीत अध्यापिका श्रीमती मधुमिता बोस ने किया। भारतीय दूतावास की हिंदी एवं संस्कृति अधिकारी श्रीमती भावना सक्सैना ने डॉ. हरिवंशराय बच्चन के जीवन व रचनाओं पर प्रकाश डाला। छायावाद के प्रमुख कवि को जीवन संघर्ष का कवि बताते हुए उन्होंने कहा कि बच्चन जी सिर्फ मधुशाला के ही कवि नहीं वह आज के युग को भी यह चेतना प्रदान करते हैं कि विकास का मार्ग हमें स्वयं बनाना है; और इस कार्यक्रम का उद्देश्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन को श्रद्धांजली अर्पित करने के साथ साथ सूरीनाम के हिंदी प्रेमियों को साहित्य रचना की ओर प्रेरित करना भी है। 25 नवंबर 2009 को सूरीनाम साहित्य मित्र संस्था के आठ वर्ष पूरे होने व उस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम पर बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि सूरीनाम में साहित्य रचना हो तो रही हे किंतु प्रकाशन के अभाव में विश्व तक पहुँच नहीं पा रही, इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस कायर्क्रम में भारत के राजदूतावास के द्वितीय सचिव व चाँसरी प्रमुख, श्री अरुण कुमार शर्मा, सूरीनाम हिंदी परिषद के अध्यक्ष, श्री हरनारायण जानकीप्रसाद, सचिव श्री भोलानाथ नारायण, और परीक्षा समिति के अध्यक्ष पंडित पाटनदीन भी उपस्थित थे।
कायर्क्रम में हिंदी छात्रों ने डॉ. हरिवंशराय बच्चन की कविताओं का वाचन किया। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती और जो बीत गई सो बात गई कविताएँ बहुत पसंद की गईं।
सूरीनाम हिंदी परिषद के सचिव श्री भोलानाथ नारायण ने भी डॉ बच्चन के काव्य और भाषा पर चर्चा की और कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों से ङिंदी साहित्य से जुड़ने का आग्रह किया।
कार्यक्रम का अंत द्वितीय सचिव श्री अरुण कुमार शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
उपस्थित श्रोतागणचाँसरी प्रमुख श्री अरुण कुमार शर्मा
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