भारत की भाषा हिन्दी आज दुनिया में एक बड़ी भाषा बन गई है। हिंदी दुनिया में यह सोचा जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा हिंदी भी होनी चाहिए। यह चाहत हिंदी को जहाँ आज तरह-तरह के प्रश्नों से दोचार करा रही है वहीं यह प्रश्न भी लगातार सामने आ रहे हैं कि पूरी दुनिया में आए बदलावों और भाषाई विकास के क्रम में हिंदी की स्थिति क्या है और उसमें कहाँ-कहाँ अवरोध है? इन अवरोधों का परिहार किस प्रकार किया जाए? और हम किस प्रकार हिंदी को उसके मुकाम तक पहुँचाने में सहयोगी हो सकते हैं, इस पर लगातार चिंतन हो रहा है और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी तथा हिंदी वालों की भूमिका पर भी लगातार विचार हो रहा है। भाषा एवं साहित्य के विभागों, शिक्षकों, विद्यार्थियों,शोधार्थियों का भी यह दायित्व है कि वह हिन्दी के विकास में अपने विचारों से परस्पर अवगत कराएं ताकि भविष्य में विश्व के सन्दर्भ में हिन्दी की वैश्विक नीति पर विचार किया जा सके। लगातार यह मांग रही है कि भारतीय भाषाओं के साहित्य तथा ऐसे राज्यों में जिनके नागरिकों की मातृभाषा हिन्दी नहीं हैं, ऐसे राज्यों, क्षेत्रों में लिखे जा रहे हिन्दी साहित्य को हिन्दी के अनिवार्य पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जिससे हिन्दी मातृ भाषा वाले प्रदेशों के लोग भी इससे परिचित हो सकेंगे। इधर भारत के प्रवासियों द्वारा हिन्दी में लेखन तथा हिन्दी में विदेशों में हो रहे लेखन से भी हिन्दी के अध्येता, शोधार्थी अवगत हों, इसकी लगातार मांग हो रही है। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ हिन्दी के विकास के जो दरवाजे खुले हैं उनमें हम कहाँ पहुँचे हैं? इसपर भी चर्चा जरूरी है। हिन्दी में विधाओं के विकास तथा अन्य भाषाओं तथा अनुशासनों में लिखे गए साहित्य के हिन्दी में हो रहे अनुवाद तथा उसकी आवश्यकता पर भी चर्चा होनी चाहिए। उपर्युक्त मुद्दों पर विचार करने के लिए हिन्दी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ दिनांक 12 फरवरी 2010 से (तीन दिवसीय) ‘‘भूमण्डलीकरण के दौर में हिन्दी’’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा है।
संगोष्ठी में संभावित सत्र इस प्रकार हैं:-
कार्यक्रम:
प्रथम दिन: उद्घाटन - 10:00 बजे प्रातः
प्रथम सत्र - ‘अहिन्दी भाषी क्षेत्र और हिन्दी’ - 12:00 बजे से 02:00 बजे
द्वितीय सत्र - ‘भारतीय मूल के देशों में हिन्दी की स्थिति’ - 03:00 बजेसे 05:00 बजे
सांस्कृतिक कार्यक्रम - 06-00 बजे
द्वितीय दिन-
तृतीय सत्र - ‘दुनियाँ में हिन्दी’ - 09:30 बजे से 11:30 बजे
चतुर्थ - ‘सूचना प्रौद्योगिकी और हिन्दी’ - 11:45 से 01:30 बजे
पंचम सत्र - ‘अनुवाद और हिन्दी साहित्य’ - 02:15 से 04:15 बजे
सांय 4:30 बजे से मेरठ में स्थानीय भ्रमण
तृतीय दिन:
षष्ठ सत्र - ‘हिन्दी साहित्य में विधाओं का विकास’ - 09:30 बजे से 11:30 बजे
समापन - 12:00 बजे से 02:00 बजे
इस संगोष्ठी में अन्तरराष्ट्रीय स्तर के हिन्दी साहित्यकार, लेखक, विषय विशेषज्ञ एवं मीडिया से जुड़े लोग वक्ता के रूप में सम्मिलित होंगे। संगोष्ठी के माध्यम से अनेक प्राध्यापक, साहित्य प्रेमी पाठक, विद्यार्थी एवं शोधार्थी साहित्य एवं भाषा सम्बन्धी कई ज्वलन्त मुद्दों से परिचित होंगे। संगोष्ठी में आप सादर आमन्त्रित हैं। इस हेतु आपकी प्रतिभागिता पूर्व में स्वीकृति के उपरांत ही होगी। अतः आप अपनी प्रतिभागिता हेतु सूचना प्रेषित करने के अंतिम तिथि दिनांक 31 जनवरी 2010 तक सुनिश्चित करने का कष्ट करें।
आपके सहयोग के लिए आभार सहित।
भवदीय
(प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी)
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