Thursday, January 21, 2010

पुस्तक लोकार्पण एवं राष्ट्रीय एकता सम्मान समारोह का आयोजन


बाएं से सर्वश्री सुभीर कुमार गुप्ता, डा. सुरेश चंद्र शुक्ल ‘शरद आलोक’, किशोर श्रीवास्तव, डा. महीप सिंह, एच. एस. सिंह, निर्मल वालिया एवं विनोद बब्बर

नई दिल्ली।
यहाँ वरिष्ठ-साहित्यकार डा. महीप सिंह की अध्यक्षता में भारतीय-साहित्य कला परिषद् की ओर से स. अवतार सिंह वालिया स्मृति राष्ट्रीय एकता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि थे श्री सुभीर कुमार गुप्ता (आईएएस) एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में नार्वे से पधारे डा. सुरेश चंद्र शुक्ल ‘शरद आलोक’। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि- आलोचक डा. राहुल कृत डॉ. निर्मल वालियाः काव्य के विविध आयाम (आलोचना) का लोकार्पण हुआ। मुख्य अतिथि ने डा. राहुल की पुस्तक को कवयित्री निर्मल वालिया की काव्य-साधना का आईना बताते हुए साहित्य की एक अमूल्य धरोहर कहा।

ख्याति प्राप्त आलोचक डा. गुरचरण सिंह ने अपने विस्तृत आलेख में दोनों पुस्तकों की रचनात्मकता का विवेचन करते हुए जहाँ आलोचना के गूढ़-गंभीर तत्वों की प्रस्तुति की बात की वहीं दीप राग में छायावादी प्रभाव और महादेवी की छाया को रेखांकित किया।

समारोह के दौरान साहित्य एवं कला के विभिन्न क्षेत्रों में संलग्न रहते हुए राष्ट्रीय एकता के लिए काम रही देश की अनेक विभूतियों को स. अवतार सिंह स्मृति राष्ट्रीय एकता सम्मान भी प्रदान किया गया। इसमें अपनी कार्टून प्रदर्शनी खरी-खरी के माध्यम से राष्ट्रीय एकता के प्रचार-प्रसार में संलग्न दिल्ली के श्री किशोर श्रीवास्तव सहित होशंगाबाद के डा. कृष्ण गोपाल मिश्र, देवबंद के डा. महेन्द्रपाल काम्बोज, जयपुर की श्रीमती सुनीता ‘दामिनी’ गुप्ता, मंडला के डा. शरदनारायण खरे, सूरत की डा. रेशमा जुल्का, समाजसेवी श्री मंजीत सिंह एवं शांति ज्ञान निकेतन इंटरनेशनल स्कूल, दिल्ली को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर श्रीमती निर्मल वालिया एवं सुनीता गुप्ता द्वारा अपनी कविताओं का सरस पाठ भी किया गया जिसे सुनकर श्रोता मन्त्र मुग्ध हो उठे।


बाएं से श्रीमती निर्मल वालिया पर लिखी पुस्तक का विमोचन करते हुए डा. राहुल एवं अन्य अतिथिगण

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डा. महीप सिंह ने डा. राहुल की कृति को शोधात्मक प्रयास बताते हुए निर्मल वालिया के आध्यात्म और रहस्यवाद के साथ दर्शन पक्ष को उद्घाटित किया। उन्होंने कहा कि वालिया की कविता में रहस्य के वे तत्व निहित हैं जो उन्हें विशिष्ट कवयित्री बनाते हैं। उन्होंने अपनी कविता का अलग मुहावरा गढ़ा है। यह विशेष बात है।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र किंकर समाचार पत्र के संपादक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डा. विनोद बब्बर ने अत्यंत प्रभावी व रोचक ढ़ंग से किया। डा. सुभीर गुप्ता ने साहित्य को समाज का मार्गदर्शक बताते हुए साहित्य साधिका निर्मल वालिया द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए पुरस्कार आरंभ करने की सराहना की । श्री एच.एस.सिंह ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए पर्यावरण संरक्षण द्वारा प्रदूषण नियंत्रण करने की तरह सांस्कृतिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साहित्य को महत्व दिए जाने पर बल दिया। समारोह में बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार, साहित्य प्रेमी एवं महानगर के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।

प्रस्तुतिः इरफान अहमद राही, नई दिल्ली मो. 9971070545