Friday, January 22, 2010

हिंदी यू.एस.ए की ओर से कविता पाठ प्रतियोगिता



दिनांक शनिवार, १६ जनवरी २०१० Hindi USA जिसके संस्थापक हैं श्री देवेन्द्र सिंह एवं रचिता सिंह, उसकी अनेक शाखाओं से अपने आप में सर्वोतम काम करती शाखा जिसके संचालक श्री राज मित्तल हैं "एडिसन हिन्दी पाठशाला" के छात्रों की कविता पाठ प्रतियोगिता सफलतापूर्ण संपन हुई जिसमें एडिसन हिदी पाठशाला के १६० छात्र / छात्राओं ने जो अमेरिका में ही जन्मे तथा पले हैं उन्होंने भाग लिया। अधिकांश छात्र ६ वर्ष से १२ वर्ष की आयु के बीच के हैं। कविता पाठ प्रतियोगिता २ समूहों में विभाजित की गयी है. प्रत्येक समूह में तीन निर्णायकों की एक मंडली रही. इस विभाग के सेनानी संचालक है राज मित्तल, मानक काबरा, अजय कुमार, और गोपाल चतुर्वेदी।

कविता पाठ प्रतियोगिता २ समूहों में विभाजित की गयी। प्रत्येक समूह में तीन निर्णायकों की एक मंडली रही। १२:०० से २:०० बजे निर्णय करने वाले थे-



पहले समूह में रहे श्री रामबाबू गौतम, सुश्री देवी नागरानी जी, डा. श्री उमेश शुक्ला और दूसरे समूह में २.०० से ४.०० तक रहे डा. श्री हिमांशु ओम पाठक , डा. श्री नरेश शर्मा, डा. श्री सुशील श्रीवास्तव.बच्चों के मापदंड की श्रेणियां थीं उच्चारण , आत्मविश्वास, शैली, अभिव्यक्ति, स्मरण।

पहले समूह के तीन सत्र रहे जिन में अलग अलग उम्र के हिसाब से बच्चों को मौका दिया गया था। और उन तीनों सत्रों के संचालन का भार संभाला शशि शर्मा, प्रतिभा जी, और अंजलि मलिक ने। बच्चों ने अनेकों कविताएं पढ़ीं जिनमें कुछ महादेवी वर्मा की और श्याम सुंदर अग्रवाल जी की भी शामिल थी, जिनके उन्वान रहे कोयल, चंदामामा, कछुआ, हाथी राजा, घड़ी, सारी दुनिया गोल है, तोता, मेरा घर, दिवाली, सारे जहाँ से अच्छा। कई कविताएँ सुनी हुई फिर से बच्चों के मुख से सुनने में भली लगी।

कविता पाठ से झलक रही थी हिंदी सिखाने वाले निस्वार्थ भावी हिंदी सेवक-सेविकाएँ की निष्ठा जो शुक्रवार के दिन इन कक्षाओं की बागडोर संभल लेते हैं।

अंत की ओर आते मन को छूने वाली कविता का पाठ किया कुमारी सुमेघा दुबे ने अपने दादा जी श्री सूर्यदत्त दुबे जी ( उनका दुखद निधन १५, जनवरी २०१० को हुआ) की एक रचना उन्हें ही श्रधांजलि स्वरूप अर्पित करते हुए पढ़ी

दीनानाथ दया निधि
दीजे कोई ऐसी संधि

यह प्रतियोगता सिर्फ बच्चों की ही नहीं थी, इस सफ़लता के भागीदार रहे उनके माता-पिता, उनके शिक्षक जिन्होंने इन बच्चों को वतन की मिट्टी और उसके परिवेश के साथ जोड़ने में सहयोगी और सहभागी बने हैं. हिंदी भाषा के माध्यम से ये बच्चे अपने मनोबल को बढ़ाते हुए अपनी संस्कृति के साथ परिचित हो पाए हैं जिसका श्रेय इन हिंदी सेवकों को जाता है जिन्होंने अपने कन्धों पर मातृभाषा को यहाँ इस परिवेश में स्थापित करने की ठान ली है। इस समारोह के सफल कार्यकर्ता रहे : राज मित्तल, मानक काबरा, अजय कुमार, गोपाल चतुर्वेदी, अर्चना कुमार, अरुण कुमार , सीमा गुप्ता, शिव एवं सुधा अग्रवाल, सुशील एवं वन्दना अग्रवाल, दीपक एवं नूतन लाल, तथा अन्य तरुण कार्यकर्ता, अमर्पित अध्यापक एवं अभिभावक। ऐसे देश के सिपाहियों को मेरी शुभकामनयें और हार्दिक बधाई . जय हिंद




प्रस्तुतकर्ताः
देवी नागरानी, न्यू जर्सी, dnangrani@gmail.com

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पाठक का कहना है :

शशि पाधा का कहना है कि -

विदेशी धरती पर हिन्दी भाषा के प्रति नई पीढ़ी का प्रेम बनाए रखना तथा उसे बोलने लिखने के लिये सदैव प्रोत्साहित करना बहुत ही सराहनीय कार्य है। इस संदर्भ में "हिन्दी यू एस ए" नामक संस्था द्वारा कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन करके बच्चों में हिन्दी साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाने की ओर एक सफल माध्यम चुना है । हिन्दी भाषा की निस्वार्थ सेवा करने वाले अध्यापकों, बच्चों के अभिभावकों तथा प्रतियोगिता के आयोजकों को बहुत बहुत बधाई । आदरणीया देवी जी को इस आयोजन से अवगत कराने के लिये धन्यवाद तथा प्रस्तुति के लिये हिन्द युग्म का आभार।

शशि पाधा

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