Thursday, April 8, 2010

अब्बू का तोहफा का लोकार्पण



विगत दिनों वरिष्ठ बालसाहित्यकार शमशेर अहमद खान की उर्दू ज़ुबान में लिखित बच्चों का मशहूर नावेल अब्बू का तोहफा का लोकार्पण फिल्म समारोह निदेशालय के अपर महानिदेशक श्री एस. एम.खान द्वारा किया गया. इस मौके पर बांसी स्टेट के राजकुमार श्री जय प्रताप सिंह भी मौजूद थे. श्री खान साहब ने लेखक को मुबारकबाद देते हुए उनकी दोनों जुबानों में की जा रही खिदमात पर रोशनी डाली और उम्मीद जाहिर की कि आगे भी वे इसी तरह देश की दोनों जुबानों में अपने नए शाह्कार से बच्चों को एक नेक इंसान बनने और कौम की खिदमत करने योग्य बनाते रहेंगे.उनकी इन सेवाओं पर राष्ट्र को फख्र है.आज बहुत कम लोग ऐसे हैं जो जिंदगी के जद्दोजेहद से निकलकर कौम की खिदमात को अंजाम देते हैं. जनाब शमशेर साहब को मैं अर्से से देख रहा हूं वे बिना किसी लोभ या लालच के बड़ी बेबाकी से इस तरफ मायल हैं.उनकी कलम की ताकत दिन-ब-दिन ताक़तवर होती जा रही है जोकि सकारात्मक दिशा में है जबकि इस अवस्था में अधिकांश अपनी ऊर्जा नहीं बचा पाते. हमारी नेक ख्वाहिसात उनके साथ है.

श्री जयप्रताप सिंह ने कहा यद्दपि मुझे उर्दू नहीं आती लेकिन मैं उनके इस शाहकार की कद्र करता हूं. आज मैं जिस कार्यालय में आया हूं वह फिल्म समारोह का कार्यालय है लिहाजा मेरी इच्छा है कि श्मशेर केवल कागजों को ही स्याह न करते रहें बल्कि बच्चों के लिए फिल्में भी बनाएं ताकि जहां कागज की पहुंच न हो वहां वे फिल्म के माध्यम से अपनी बात पहुंचा सकें.शमशेर को मैं भलीभांति जानता हूं, वे हमारे गृह जनपद सिद्धार्थ नगर से संबंधित हैं. बुद्ध के प्रति प्रेम और श्रद्धा भाव उनकी लेखनी में एक नई ऊर्जा का संचार करता है.आज जबकि भौतिकवाद से चारों तरफ मारकाट और गलाघोटूं स्पर्धा मची हुई है ऐसे में केवल बुद्ध का अहिंसात्मक मार्ग बचता है. इसलिए मैं यह कहूंगा कि वे बच्चों के फिल्म निर्माण में कदम रखें जो वक्त की सख्त जरूरत है.

-मुनीश परवेज़ राणा

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पाठक का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

शमशेर खान एहमद जी को बहुत-बहुत हार्दिक बधाई!

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