Tuesday, April 27, 2010

प्रवासी साहित्यकारों के प्रतिनिधि डा॰ दाऊजी गुप्त मुंबई में



17 अप्रैल 2010 की बात है जब देवी नागरानी जी के मोबाइल फोन की घंटी बजी- "मैं दाऊजी गुप्त बोल रहा हूँ लखनऊ से, कल मुंबई पहुँच रहा हूँ।" देवी जी ने क्षण भर को सोचा और ख़ुशी से बोलीं- "आपका स्वागत है हमारी महानगरी में।" और बातों के सिलसिले में यह तय हुआ कि सुनने-सुनाने के सिलसिले को एक काव्य गोष्टी का स्वरूप दिया जाय ताकि कुछ मिलने-मिलाने का भी लाभ मिले।" देवी जी जानतीं हैं कि दाऊजी जो खुद बेहतरीन कवि हैं को कवितायें-ग़ज़लें सुनने का कितना शौक है। लेकिन इतने कम समय में कौन आ पायेगा उनके यहाँ ये सोचनीय प्रश्न था। उन्होंने कहा, "दाऊजी आपका स्वागत है लेकिन मुझे ये सब प्रबंध करने में समय लगेगा आप अगर अनुमति दें तो 20 अप्रैल 2010, मंगलवार को रख लें।" इस तरह मंगलवार की शाम पांच बजे देवी नागरानी जी के घर पर एक काव्य गोष्ठी रखने का कार्यक्रम पक्का हो गया।

जो लोग देवी जी को जानते हैं उन्हें उनकी कर्मठता और कार्य क्षमताओं का पूरा अंदाज़ा है, बहुत मुश्किल लगने वाले काम को वो आसानी से कर दिखाती हैं। एक बार वो जिस काम को करने का बीड़ा उठा लेती हैं उसके बाद उसे पूरा कर के ही सांस लेती हैं। अकेली होने के बावजूद वो कभी अपने आपको अकेला या असहाय नहीं पातीं। उनका ये गुण अनुकरणीय हैं। दाऊजी से बात करने के पश्चात उन्होंने बिना समय गंवाये मुंबई के काव्य रसिकों-शायरों की एक लिस्ट तैयार की और फिर उसके अनुसार एक एक को फोन करने में जुट गयीं। तीन घंटे की लगातार हो रही फोन कालों के बाद कई जाने-माने शायर मंगलवार की शाम उनके घर पर पधारे।

मंगलवार बीस अप्रैल को देवी जी घर सब से पहले पहुँचने वाले दाउजी गुप्त ही थे। पाँच बजे की तपती शाम में देवी जी के घर पहुँच कर दाउजी ने अपने काव्य प्रेम को दर्शा दिया। एक-एक कर काव्य प्रेमी आने लगे। पिंगलाचार्य श्री महर्षि जी, जानी मानी कवयित्री माया गोविन्द और उनके अद्भुत शायर पति राम गोविन्द, हरदिल अज़ीज़ शायर जनाब खन्ना मुज्ज़फ़री, मधुर कविताओं के रचयिता कुमार शैलेन्द्र, 'कुतुबनुमा' पत्रिका के माध्यम से हिंदी की पताका फहराने वाली संपादक डा. राजम नटराजन पिल्ले, अपनी ग़ज़लों से सबके दिलों पर छाने वाले शायर जनाब सागर त्रिपाठी, सौम्य प्रकृति के अनूठे शायर जनाब हस्ती मल हस्ती, 'क़ुतुबनुमा' के संपादक मंडल और अनेकों संस्थाओं से जुड़े श्री अलोक भट्टाचार्य, नारी शक्ति की प्रतीक कवयित्री नीलिमा दुबे, प्रो॰रत्ना झा, खोपोली के शायर नीरज गोस्वामी, रास बिहारी पाण्डेय, आशु कवि श्यामकुमार श्याम, अपनी विशिष्ट शैली से चमत्कृत करने वाले कवि, शायर श्री लक्षमण डुबे, आर. डी. नैशनल कालेज की हिंदी विभाग की अध्यक्षा डा॰ संगीता सहजवानी और जाने माने कवि, शायर, ओर मंच संचालक देव मणि पांडेय मौजूद थे, जिन्होंने सहर्ष कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेवारी भी संभाली। शायर जनाब खन्ना मुज्ज़फ़री अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए, श्री महरिष जी एवं दाऊजी गुप्त, माया गोविंद मुख्य महमान रहे।

गोष्ठी के पूर्व देवमणि पांडेय ने दाऊजी गुप्त परिचय दिया और फिर गोष्टी में आए सभी कावियों का उनसे परिचय करवाया। दाऊजी गुप्त अंतरराष्ट्रीय अखिल विश्व समिति के अध्यक्ष हैं और न्यूयार्क से निकलती सौरभ पत्रिका का प्रधान संपादक भी।





शाम छः बजे से शुरू हुई ये यादगार काव्य रस धारा सुनने-सुनाने वालों को दो घंटों तक लगातार भिगोती रही। दो घंटे कब निकल गए पता ही नहीं चला। बोझिल पलों को देवमणि जी ने अपने कुशल संचालन से रोचक बना दिया। सभी कवियों, कवयित्रियों ने अपनी अपनी रच्नात्मक अभिव्यक्तियों से समा बांधे रखा। धन्यवाद ज्ञापन से पूर्व पिंगलाचार्य श्री महर्षि जी ने श्री दाउजी गुप्त का सम्मान पुष्प गुच्छ और शाल ओढ़ा कर किया, इसके बाद देवी नागरानी जी ने सुश्री माया गोविन्द जी का सम्मान पुष्प गुच्छ और शाल ओढा कर किया। ये भी एक सुखद संयोग था की काव्य रसिक प्रो॰ लखबीर जी, जो राजम जी की शिष्य रह चुकी हैं ने उसी दिन अपना शोध कार्य पूरा कर डाक्टरेट की डिग्री हासिल की थी। श्री दाऊजी गुप्त ने सबकी ओर से उन्हें शुभकामनाओं के साथ पुष्प गुच्छ भेंट किये।
सफल काव्यगोष्ठी के लिये कविगण के सफल प्रयासों को सराहते हुए देवी जी ने सबका आभार प्रकट किया। कार्यक्रम के अंत में मेहमानों ने स्वादिष्ट व्यंजनों से सजे रात्रि भोज का आनंद लिया। ये काव्य गोष्ठी बरसों तक इसमें शामिल मेहमानों के दिलों में याद बनके महका करेगी।

प्रस्तुतकर्ताः नीरज गोस्वामी