श्री नागर की सुपुत्री एवं प्रसिद्ध फिल्म लेखिका डॉ.अचला नागर अपने बाबूजी की स्मृतियाँ बाँटेंगी
अपनी अनूठी भाषा शैली से भारत की बहुरंगी संस्कृति और विरासत से पाठकों का जीवंत साक्षात्कार कराने वाले अप्रतिम साहित्यकार श्री अमृतलालजी नागर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.मालवा रंगमंच समिति के साथ संयुक्त रूप से संयोजित ये कार्यक्रम दि १७ अगस्त, मंगलवार की शाम ६ बजे रवीन्द्रनाथ टैगोर मार्ग स्थित समिति के सभागृह मे होगा.इस कार्यक्रम मे श्रीनागरजी की सुपुत्री एवं निकाह, बाबुल, ईश्वर तथा बागवान जैसी मशहूर फिल्मो और कई चर्चित टी.वी धारावाहिको की लेखिका ड़ा. अचला नागर मुख्य वक्ता के रूप से उपस्थित रहेंगी.
समिति के प्रधानमंत्री श्री बसंतसिंह जौहरी, साहित्यमंत्री ड़ा. पद्मासिंग एवं मालवा रंगमंच समिति के अध्यक्ष श्री केशव राय ने बताया कि पद्मभूषण तथा सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार सहित देश विदेश मे कई अलंकरणों से सम्मानित श्री अमृतलालजी नागर की ९४ वी जयन्ती के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम मे उनकी सुपुत्री ड़ा.अचलाजी अपने बाबूजी से जुडी यादे, उनकी बाते और उनके व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओ को साझा करेंगी. वे इस अवसर पर श्री नागरजी की लिखी कुछ चर्चित पुस्तकों के अंशो का पाठ करेंगी और उनकी साहित्यिक प्रतिबध्दता की चर्चा भी करेंगी. इस तरह इस कार्यक्रम के बहाने शहर के साहित्य प्रेमी श्री नागर के व्यक्तित्व और कृतित्व के कई पहलुओ से रु-ब-रु हो सकेंगे. आपने बताया कि स्व.अमृतलाल नागरजी का हिन्दी साहित्य मे एक विशिष्ट स्थान है. शतरंज के मोहरे, सुहाग के नूपुर, सात घूँघट वाला मुखड़ा, मानस का हंस, और नाच्यौ बहुत गोपाल जैसी अप्रतिम साहित्यिक कृतियों के लेखक श्री नागर ने अपनी लेखनी से साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं जैसे उपन्यास, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी तथा व्यंग्य को समृद्ध किया है.
शब्द परम्परा के उनके संस्कार ड़ा. अचला नागर को विरासत मे मिले है. टी.वी और फिल्मो के लिये कहानी और संवाद लिखने के अलावा वे साहित्यिक सृजन मे भी जुटी है.कुछ समय पहले उनके द्वारा लिखित पुस्तक “अमृतलाल नागर की बाबूजी बेटाजी एंड कंपनी” काफी चर्चित हुई थी.निकाह, बाबुल और बागवान जैसी फिल्मो की कहानी और आखिर क्यौ, अमीर गरीबी, नगीना और निगाहें जैसी मशहूर फिल्मो के संवाद उन्हीं की कलम से निकले है.
प्रचारमंत्री,प्रधानमंत्री
श्रीमध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर
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